किसानों पर पड़ रही मौसम की मार:बुजुर्गों की हालत बिगड़ रही, बच्चे व महिलाएं भी हो रहीं बीमार, अलाव के सहारे कट रही हैं रातेंकिसानों का आंदोलन 40 दिन पूरे कर चुका है। जनवरी में ठंड बढ़ गई है। तापमान भी एक डिग्री तक पहुंच रहा है। ऐसे में किसानों की रात अलाव के सहारे कट रही है। किसान भले ही ट्राॅलियों में सो रहे हैं, लेकिन उनकी ट्राॅली के आसपास अंगीठी जलाई जा रही है, जिससे आग की तपन से ट्राॅलियों में सो रहे किसानों को कुछ राहत मिल सके।
जैसे- जैसे सर्दी बढ़ रही है कुंडली बॉर्डर पर बुजुर्गों, बच्चों व महिलाओं की हालत बिगड़ रही है। मेडिकल कैंप में सेवा दे रहे सरदार तरनजीत सिंह ने बताया कि ठंड की वजह से बच्चे व महिलाएं खांसी- जुकाम व बुखार की चपेट में आ रहे हैं। कैंप में ज्यादातर बुजुर्ग किसान भी बुखार व दर्द की दवाई लेने आ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की मेडिकल टीम के सेवादार भी शाम होते ही खुद ट्राॅलियों में जाकर किसानों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं।
किसान विक्रमजीत सिंह बाजवा ने कहा कि किसान मर रहे हैं, लेकिन सरकार को उनका दर्द दिखाई नही देता। किसान आंदोलन में लगातार किसान हार्टअटैक से मर रहे हैं। मेडिकल कैंप के चिकित्सक रंदीप सिंह ने कहा कि वे लगातार किसानों को हल्दी का दूध व खजूर पीने की सलाह दे रहे हैं। डॉ. रंदीप सिंह ने कहा कि उनकी टीम लगातार किसानों से संपर्क कर रही है। उन्हें सर्दी से बचने का आग्रह किया जा रहा है। अधिकतर किसान ठंडे पानी की स्नान करने की वजह से भी बीमार हो रहे हैं।
रेवाड़ी में एनएच- 48 पर किसानों ने किया कब्जा
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के मकसद से किसान ट्रैक्टर लेकर प्रदेश के आखिरी छोर की तरफ पहुंच रहे हैं। दावा है कि टिकरी बॉर्डर से रेवाड़ी पहुंचे काफिले में 2 हजार से ज्यादा वाहन शामिल हैं। शनिवार रात को एनएच-71 के टोल को फ्री कराया था। एनएच-48 पर ज्यादातर किसानों के साथ रुक गए हैं। जबकि, कुछ प्रदर्शनकारी साहबी पुल के उग्र आंदोलन में शामिल हो गए।
ठंड में बूढ़े, बालक, महिलाएं बैठे हुए हैं, वाहेगुरु इनकी अरदास सुनें: पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल बोले
पद्मश्री पर्यावरण विद संत बलबीर सिंह सीचेवाल भी रविवार को किसानों को समर्थन देने के लिए कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को 11 क्विंटल मूंगफली व दो सौ तिरपाल दान किए। मंच पर अपना प्रवचन देते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास का नारा देते थे। आज न तो सबका साथ दिखाई देता है और न सबका विकास। किसान सरकार बनाते हैं और किसान ही सड़क पर सोने को मजबूर हैं। अन्नदाता 1 डिग्री तापमान पर ठंडे पानी से नहा रहे हैं। बच्चियां, बूढ़े सब परेशान हैं। सरकार को किसान की सुननी चाहिए। मन बहुत दुखी और उदास है। हमारे किसान के साथ ऐसा व्यवहार होगा, ये तो कभी सपने में भी नही सोचा था।
26 को ट्रैक्टर परेड में महिलाओं के हाथों में भी होगा स्टेयरिंग
किसानों की मांगें न माने जाने पर 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर ट्रैक्टर परेड करने का ऐलान किया गया। खास बात यह है कि इस परेड में महिलाओं के हाथों में भी स्टेयरिंग थमाने की कवायद की जा रही है। किसान उन्हें ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। ट्रेनिंग में संकरी गलियों और ब्रेकरों से ट्रैक्टर को कैसे निकालना है सिखाया जा रहा है। पाई के ग्रामीणों की दासू पट्टी दरवाजा पर पंचायत हुई, जिसमें आंदोलन के लिए रणनीति बनाई गई। आंदोलन में लंगर लगाने के लिए पूरे गांव से चंदा इकट्ठा करने पर सहमति बनी। हर घर से 200-200 रुपए चंदा इकट्ठा किया जाएगा।