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फिटनेस:कत्थक के साथ कृतिका योगाश्रम में दूसरी महिलाओं को भी दे रही फ्री कोचिंग , बोलीं

फिटनेस:कत्थक के साथ कृतिका योगाश्रम में दूसरी महिलाओं को भी दे रही फ्री कोचिंग , बोलीं-महिलाओं में पीसीओडी की समस्या का एकमात्र सरल उपाय योगालॉकडाउन में बदली जीवन शैली तो योगा से किया 25 किलो वजन कम
कोरोना महामारी ने जनजीवन बदलकर रख दिया है। किसी का कारोबार ठप हो गया तो किसी की नौकरी चली गई। लेकिन कॉलेज बंद होने से वर्कलोड खत्म होने पर एक महिला टीचर की नौकरी पर संकट आया तो उसने न केवल रोजगार का विकल्प तलाशा बल्कि अपनी सेहत पर भी ध्यान दिया। नतीजा ये रहा कि जहां एक ओर 25 किलो तक वजन कम हो गया और महिलाओं की बीमारी पीसीओडी से छुटकारा मिला।

वहीं दूसरी ओर कत्थक की ओर भी लौट आई। अब दूसरी लड़कियां और महिलाएं भी उसके रास्ते पर चल पड़ी हैं। महिला टीचर अब न केवल उन्हें फ्री योगा की शिक्षा दे रही है । हम बात कर रहे हैं सिरसा की बंसल कॉलोनी निवासी कृतिका खुंगर की जो पन्नीवाला मोटा इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टैंट प्रोफेसर के पद पर अनुबंध के तौर पर काम कर रही है। कृतिका बताती है टीचिंग ज्वाइन करने के बाद पीसीओडी ने उसे घेर लिया। इस कारण लगातार वजन बढ़ने लगा। कत्थक में विशारद होने के बावजूद कॉलेज ज्वाइन करने के बाद उसकी डांस प्रैक्टिस भी छूट गई। कृतिका बताती है कि उसका वजन 80 किलो तक जा पहुंचा था।

लॉकडाउन में नौकरी पर आया संकट तो संभली, विकल्प तलाशा और समाधान भी
मार्च में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन घोषित हो गया। इससे उसे अंदेशा हो गया कि अब शिक्षण संस्थान लंबे समय तक बंद रहेंगे। इस कारण वर्कलोड भी खत्म हो गया। ऐसे में उन्होंने सोचा कि इसका विकल्प क्या अपनाया जाए कि रोजगार का संकट भी टल जाए और वजन भी कंट्रोल हो। कृतिका बताती है कि लॉकडाउन में घर में तरह-तरह के पकवान बनाने का चलन चल पड़ा तो चिंता बढ़ी। इसीलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना रोजगार की भी तलाश की जाए और बीमारियों पर भी कंट्रोल किया जाए। इसलिए कृतिका ने घर पर डाइट कंट्रोल करते हुए योगा शुरू किया। कृतिका बताती है कि अब तक उसने 25 किलो तक वजन कम कर लिया है।

जानिए लॉकडाउन के बाद ये हुए बदलाव

लॉकडाउन से पहले जिस योग आश्रम में कृतिका योगा सीखने जाती थी, अब उसी आश्रम में योगा टीचर है और दूसरी महिलाओं व लड़कियों को योगा सीखा रही है।
योगा सीखने वाली महिलाओं और लड़कियों की संख्या 4 से बढ़कर अब 35 तक जा पहुंची है।
यदि टीचर की नौकरी जाती भी है तो अब वह योगा को करियर के रूप में अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
परिवार ने दिया साथ तो पड़ोसियों से भी मिला सहयोग

कृतिका बताती है कि लॉकडाउन के दौरान योगा करने, कत्थक की ओर दोबारा आकर्षित होने में परिवार के सभी सदस्यों ने पूरा सहयोग दिया। खासकर भाई ने। फायदा ये हुआ कि 25 किलो तक वजन कम हुआ तो अब पड़ोस में रहने वाली लडकियों, महिलाओं ने भी उसे फाॅलो करना शुरू कर दिया है। कृतिका बताती है कि पीसीओडी की समस्या से 90 प्रतिशत लड़कियां और महिलाएं ग्रसित हैं, इसलिए उन्हें इससे छुटकारा पाने का आसान रास्ता नजर आने लगा है। इसके अलावा कत्थक भी अब दोबारा शुरू कर दिया है। इससे अब अन्य छात्राएं भी कत्थक की ओर आकर्षित होने लगे हैं।

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