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IIM संबलपुर का शिलान्यास:मोदी बोले- हमने 6 साल में 14 करोड़ गैस कनेक्शन दिए,

IIM संबलपुर का शिलान्यास:मोदी बोले- हमने 6 साल में 14 करोड़ गैस कनेक्शन दिए, इतने ही कनेक्शन 67 साल में बांटे गएधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के संबलपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) के स्थायी कैंपस की आधारशिला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रखी। मोदी ने कहा कि IIM का नया कैंपस ओडिशा को नई पहचान दिलाएगा।। बीते दशकों में एक ट्रेंड देश ने देखा। बाहर की मल्टीनेशनल कंपनियां बड़ी तादाद में आईं और आगे बढ़ी। ये सदी नए मल्टीनेशनल के निर्माण का रहा है।

मोदी के भाषण की अहम बातें

ब्रांड इंडिया को ग्लोबल बनाना है
मोदी ने कहा कि भारत के मल्टीनेशनल्स दुनिया में छा जाएं, ये समय आ गया है। टीयर-2, टीयर-3 शहरों में आज स्टार्टअप्स बन रहे हैं। आज का स्टार्टअप, कल का मल्टीनेशनल है। इसके लिए नए मैनेजर चाहिए। आज खेती से लेकर हर सेक्टर में रिफॉर्म किए जा रहे हैं। ब्रांड इंडिया को ग्लोबल पहचान की दिलाने की जिम्मेदारी हम सबकी खासकर युवाओं की है।

नेचुरल एसेट्स के मैनेजमेंट पर भी काम करना है
जो लोग संबलपुर के बारे में ज्यादा नहीं जानते, IIM के बनने के बाद ये एजुकेशन का हब बन जाएगा। सबसे खास बात ये होगी कि ये पूरा इलाका प्रैक्टिकल लैब की तरह होगा। ओडिशा का गौरव हीराकुंड बांध ज्यादा दूर नहीं है। संबलपुरी टैक्सटाइल भी दुनियाभर में मशहूर है। इस क्षेत्र में हैंडीक्राफ्ट का भी बहुत काम होता है। यहां का इलाका मिनरल और माइनिंग स्ट्रेंथ के लिए भी जाना जाता है। देश के इन नेचुरल एसेट्स का मैनेजमेंट कैसे हो, यहां के लोगों को विकास कैसे हो, आपको इसे लेकर भी काम करना है। आप जब ओडिशा के लोकल फॉर वोकल के लिए काम करेंगे तो आत्मनिर्भर अभियान अपने आप मजबूत हो जाएगा।

ह्यूमन मैनेजमेंट के साथ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट भी जरूरी
2014 तक हमारे यहां 13 IIM थे, आज 20 हैं। अब दुनिया में अपॉर्च्युनिटीज हैं तो चैलेंजेज भी नए हैं। डिजिटल कनेक्टिविटी 21वीं सदी के बिजनेस को ट्रांसफॉर्म करने वाली है। भारत ने भी इसके लिए रिफॉर्म्स किए हैं। हमारी कोशिश समय के साथ नहीं, बल्कि उससे आगे चलने की की है। आज जितना ह्यूमन मैनेजमेंट जरूरी है, उतना ही टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट भी जरूरी है। कोरोना के दौरान देश ने मास्क, पीपीई किट, वेंटीलेटर का परमानेंट सॉल्यूशन निकाला।

मैनेजमेंट का मतलब बड़ी कंपनियां नहीं, जरूरतें पूरी करना है
हम अब शॉर्ट टर्म नहीं, लॉन्ग टर्म समाधान के बारे में सोचने लगे हैं। जो गरीब कभी बैंक के दरवाजे तक नहीं जाता हो, ऐसे 40 करोड़ लोगों के खाते खोलना आसान नहीं है। मैनेजमेंट का मतलब बड़ी कंपनियां नहीं, लोगों की जरूरतें पूरी करना है। रसोई गैस एक लग्जरी बन गई थी। गरीबों को इसके लिए चक्कर लगाने पड़ते थे।

परमानेंट सॉल्यूशन की सोच जरूरी
2014 तक देश में रसोई गैस की कवरेज सिर्फ 55% थी। इसकी वजह परमानेंट सॉल्यूशन सोच की कमी थी। इसी रफ्तार से चलते तो हर घर में गैस पहुंचाने में पूरी सदी लग जाती। शुरुआत करना तो आसान होता है, पर उसे 100% पर लाना बहुत मुश्किल होता है। घरों में गैस पहुंचाने को लेकर केस स्टडी की जा सकती है। परमानेंट सॉल्यूशन के चलते आज देश में 28 करोड़ गैस कनेक्शन हैं। 2014 तक देश में ये कनेक्शन केवल 14 करोड़ थे।

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