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माइनस 20 डिग्री में जी तोड़ मेहनत:तीन साल का काम 2021 में पूरा करने का लक्ष्य,

माइनस 20 डिग्री में जी तोड़ मेहनत:तीन साल का काम 2021 में पूरा करने का लक्ष्य, इसलिए दिन-रात एक कर रहे 150 इंजीनियरजोजिला एशिया की सबसे लंबी (14.5 किमी) टू-वे टनल होगी
11,578 फीट की ऊंचाई और माइनस 20 डिग्री तापमान। यहां 150 इंजीनियर और बूमर, ड्रिल जंबो जैसी मशीनों का जमावड़ा है। यह सब कवायद कश्मीर घाटी में पहाड़ों को काटकर सुरंगों का जाल बिछाने के लिए है, ताकि हर मौसम में श्रीनगर से लद्दाख तक लोगों की सुगम आवाजाही हो सके। साथ ही, सेना व साजो-समान तेजी से सरहदी इलाकों तक पहुंच सके।

चीन के साथ चल रहे मौजूदा तनाव के बीच इन प्रोजेक्ट में जबरदस्त तेजी दिख रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोनमर्ग में 6.5 किमी लंबी जेड मोड़ टनल के कार्य की प्रगति पर 70 से अधिक अफसर नजर रखे हुए हैं। तीन साल के लक्ष्य को एक साल में पूरा करने के लिए एक साथ 8 जगहों पर खुदाई हो रही है।

दो शिफ्ट में 24 घंटे काम हो रहा है। करीब 70% काम पूरा हो चुका है। यह सुरंग श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के हिमस्खलन वाले क्षेत्रों को दरकिनार करके सोनमर्ग को गगनगिर से जोड़ेगी। 2378 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही इस टू-वे सुरंग से सोनमर्ग के रिजॉर्ट साल भर खुले रहेंगे। मई 2015 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, पर कंपनी के वित्तीय संकट की वजह से 2018 में काम रुक गया। 2019 में एप्को इंफ्राटेक को यह प्रोजेक्ट मिला और उसने जुलाई 2020 में काम शुरू कर दिया।

एक पुल और एप्रोच रोड इस टनल को एशिया की सबसे लंबी (14.5 किमी) निर्माणाधीन जोजिला सुरंग से भी जोड़ेगी। ये सभी मिलकर लद्दाख के लिए सालभर की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे। जोजिला टनल श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह को जोड़ेगी। जोजिला दर्रा सेक्शन पर श्रीनगर-लेह राजमार्ग की 20 किमी दूरी कम हो जाएगी। इस 20 किमी के रास्ते में हिमस्खलन के खतरे के चलते वाहन रेंगते हुए बढ़ते हैं। सर्दियों में छह महीने रास्ता बंद रहता है। इसके बाद साढ़े तीन घंटे की दूरी 15 मिनट में पूरी होगी। इस टनल के पहले हिस्से में 2.5 किमी लंबी सुरंग इसी साल बननी है। पूरी सुरंग 2024 में तैयार होनी है।

टनल का निर्माण कर रही एमईआईएल कंपनी के डीजीएम प्रशांत बताते हैं कि टेंडर मिलने के दो महीने में ही हम बालटाल और मिनीमर्ग दोनों तरफ से काम शुरू कर चुके हैं। समय बचाने के लिए हम सैटेलाइट की मदद से खुदाई के लिए तीसरी जगह तलाश रहे हैं। हालांकि भारी बर्फबारी की वजह से मिनिमर्ग की तरफ से काम रोकना पड़ा है। सुबह 11 बजे एक मशीन को शुरू करने की कोशिश कर रहे बुलडोजर ऑपरेटर बताते हैं कि हम 3 घंटे से इस बुलडोजर को शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस सर्दी में चालू नहीं हो रहा है।

सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से हो रहा है। इसमें विस्फोट कर पत्थरों को ढीला किया जाता है। फिर उसे बाहर निकाला जाता है और आगे बढ़ा जाता है। काम जब पूरे पीक पर होगा तो रोजाना औसतन 100 मीटर आगे बढ़ेंगे।

45 लाख टन मलबा निकलेगा निर्माण के दौरान, जो करीब 4.2 लाख ट्रक लोड के बराबर है।
4509 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। कंपनी समय से पहले पूरा करती है तो 10% बोनस पा सकती है।
33,000 टन स्टील के साथ 4250 टन विस्फोटक और 3.5 लाख मीट्रिक टन कंक्रीट लगेगा।

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