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निगम में रोमांच अभी बाकी:निर्मल सिंह बोले-हजपा ने ‘मायाराम हथियार’ से चुनाव जीता

निगम में रोमांच अभी बाकी:निर्मल सिंह बोले-हजपा ने ‘मायाराम हथियार’ से चुनाव जीता, विनोद शर्मा को रोकने के लिए सब एकसाथ आएंबिखरे बहुमत में सीनियर व डिप्टी मेयर की कुर्सी से हजपा को रोकने के लिए निर्मल दे रहे गठजोड़ के संकेत
पूर्व मंत्री के फ्रंट ने सभी 20 वार्डों में प्रत्याशी उतारे थे लेकिन 2 ही जीते, मेयर प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई
अम्बाला सिटी नगर निगम के चुनाव निपटने के बाद भी रोमांच अभी खत्म नहीं होने वाला। शुक्रवार को अपने आवास पर प्रेसवार्ता में पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की हजपा ने ‘मायाराम के हथियार’ से मेयर चुनाव जीता है।

अब सीनियर व डिप्टी मेयर और निगम कमेटियों के चुनाव होने हैं, उसके लिए बाकी सभी दल एकजुट होकर शर्मा को रोकें, उन्हें रोकने के लिए वैचारिक सांझ जरूरी है। सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर पदों पर चुनाव के दौरान यह संदेश देना जरूरी है कि पैसे से सब कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि निगम चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व फ्रंट को भी 60 हजार वोट पोल हुए हैं। करीब 44 प्रतिशत लोगों वोट करने नहीं आए, यह चिंता की बात है। आगे कैंट नगर परिषद और जिला परिषद चुनाव सावधानी से लड़े जाएंगे। हजपा कैंट नप चुनावों में उतरेगी तो इस बार उसे पूरी टक्कर व सबक दिया जाएगा। निर्मल सिंह ने अपने हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के कप प्लेट निशान पर सभी 20 वार्डों में प्रत्याशी उतारे थे। 2 ही जीते और 11 की जमानत जब्त हो गई। फ्रंट की मेयर प्रत्याशी अमीषा चावला को भी 16,421 वोट ही मिले और जमानत नहीं बची। 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़े निर्मल सिंह को सिटी हलके से 55,944 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर रहे थे। उनकी बेटी चित्रा सरवारा को कैंट हलके से 44,406 वोट मिले थे। उत्साहित पिता-पुत्री ने स्थानीय निकाय चुनावों में प्रत्याशी उतारने का एलान कर दिया था।

शर्मा के आईएमटी के वादे पर : निर्मल ने कहा कि इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) तो नगर निगम का मामला ही नहीं है। ये तो सरकार का मामला है। शर्मा जब सरकार में थे, तब आईएमटी अम्बाला से जाने क्यों दिया। एक सैलजा नहीं चाहती थीं और एक हिम्मत सिंह नहीं चाहता था। शर्मा ने जो नौकरियां देने और दूसरी बड़ी-बड़ी बातें कहीं, वो सब सामने आ जाएगा। हिम्मत सिंह के फ्रंट छोड़ने पर…हिम्मत से कोई फर्क नहीं पड़ा। हिम्मत ने जिसे समर्थन दिया उसे भी बस 5 हजार वोट मिले।

हजपा के मुंह खून लग गया, शर्मा कैंट में आएंगे : निर्मल
विधानसभा के 14 महीने बाद ही फ्रंट का वोट ग्राफ गिरने का क्या कारण रहा?
निर्मल सिंह : विधानसभा चुनाव अलग हालात में लड़ा गया था, अब हालात बदले हैं। इसमें उम्मीदवार बदले। चुनाव में हर आदमी को खरीदने की कोशिश की गई और ‘मायाराम’ जीत गया। जिस तरीके से चुनाव लड़ा गया वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता को इस पर विचार करना होगा।

हजपा कैंट नप चुनाव में उतरी तो रोकने के लिए क्या रणनीति होगी?
निर्मल सिंह : निगम चुनाव जीत से हजपा के मुंह खून लग गया है और वह जरूर कैंट आएंगे। चुनाव में मुद्दे होते हैं। हमारी लड़ाई राजनीतिक सम्मान की है। उन्हें कैंट में सबक दिया जाएगा।

विनोद शर्मा का जवाब-कैंट नगर परिषद के चुनाव लड़ने को लेकर बैठक कर फैसला करेंगे
हजपा के पास 7 ही पार्षद हैं, सीनियर व डिप्टी मेयर को लेकर क्या रणनीति होगी। निर्मल सिंह विपक्षी को एकजुट कर रहे हैं?
विनोद शर्मा : निर्मल सिंह के आह्वान करने या बोलने से क्या होगा, उनके फ्रंट की मात्र 2 तो सीटें हैं। चुनाव के बाद इनको अपनी बुरी तरह से हार महसूस हो रही है और उनकी मेयर प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो चुकी है। यह बोलने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते। पार्टी की मीटिंग में अगली रणनीति तय होगी।

पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने आप पर चुनाव में धन बल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, इस पर क्या कहेंगे?
विनोद शर्मा : जनता ने पूरा चुनाव देखा है और चुनावों के नतीजे सामने हैं, इनके कहने से क्या होता है। “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं।

कैंट नगर परिषद के चुनाव हैं, क्या हजपा वहां मैदान में उतरेगी?
विनोद शर्मा : इस पर अभी हम फैसला करेंगे। पार्टी पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा और इसके बाद जो निर्णय होगा उसे अमल में लाया जाएगा।

विनोद शर्मा का जवाब: निर्मल को हार महसूस हो रही, खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे

विपक्ष एकजुट हुआ तो हजपा को परेशानी जुटाना होगा 4 पार्षदों का समर्थन
20 वार्डों में से 8 में भाजपा, 7 में हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा), 3 में कांग्रेस और 2 में फ्रंट के पार्षद बने हैं। ऐसे में सीनियर व डिप्टी मेयर बनाने के लिए सामान्य बहुमत 11 है। हजपा के सामने जहां कम से कम 4 पार्षदों का समर्थन जुटाने की चुनौती है वहीं भाजपा, कांग्रेस व फ्रंट के पास अपने-अपने पार्षद जुटाए रखने की। स्थानीय निकाय में दल-बदल कानून लागू नहीं होता। दूसरे दलों में जो पार्षद जीते हैं, उनमें से कुछ पहले विनोद शर्मा की टीम में थे। इसी बीच शुक्रवार को भाजपा के आठों पार्षद विधायक असीम गोयल, जिला अध्यक्ष राजेश बतौर, डॉ. संजय शर्मा, वंदना शर्मा, अनुभव अग्रवाल व संदीप सचदेवा के साथ सीएम मनोहरलाल व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को चंडीगढ़ में मिले।

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