विवाद:पहले अयोग्य बताए 4 अभ्यर्थियों के नाम परिणाम में शामिल, 500 अंकों का पेपर हुआ, परिणाम 465 के आधार पर दियानॉन एचसीएस कैडर से आईएएस पद पर प्रमोशन की प्रक्रिया पर उठे सवाल
प्रदेश में नॉन एचसीएस क्लास-1 अफसरों में आईएएस के 5 पदों पर प्रमोशन की प्रक्रिया विवादों में घिरती जा रही है। शुरुआत में ही मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया था। परीक्षा के परिणाम पर भी सवाल उठने लगे हैं। भर्ती के लिए 4 आवेदनकर्ता अधिकारियों को हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से पहले अयोग्य की सूची में डाला था, लेकिन परिणाम में उनका नाम दर्ज है। वे कैसे योग्य हो गए।
इसका जवाब कोई नहीं दे रहा। विज्ञापन में 500 अंक का प्रश्न पत्र निर्धारित किया, परीक्षा भी इतने ही अंकों की हुई, लेकिन परिणाम 465 अंकों के अनुसार जारी किए गए। कमीशन ने शॉर्टलिस्ट कर सरकार को भेज दिए हैं। अब सिलेक्शन कमेटी साक्षात्कार करेगी। यह प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी करने का प्रावधान है, नहीं तो पद खत्म हो जाएंगे और अगले साल नए सिरे से पूरी प्रक्रिया करनी होगी। एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा ने बताया कि परीक्षा उनके जॉइन करने से पहले हो चुकी थी। अंक कैसे कम हुए, सचिव ही बता सकते हैं।
भर्ती के बारे में वह चीजें जो आप जानना चाहते हैं
पूर्व में नॉन एचसीएस कैडर के अफसरों के नाम सरकार की ओर से ही यूपीएससी को भेजे जाते थे। मनोहर सरकार ने परीक्षा का प्रावधान किया।
5 पदों के लिए जून में परीक्षा की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। अफसरों से प्रशासनिक सचिवों के जरिए आवेदन लिए गए।
कुछ अफसरों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। 18 अगस्त को कोर्ट ने स्टे लगा दिया, 23 सितंबर को स्टे हट गया। इसकी अगली तारीख 14 जनवरी है।
9 अगस्त को हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन ने परीक्षा आयोजित की। उस समय आयोग की सूची में 332 योग्य उम्मीदवार थे। 465 ने आवेदन किया। इनमें 133 को अयोग्य ठहराया गया। परिणाम 281 अभ्यर्थियों का जारी किया।
कमीशन को हर पहलू सार्वजनिक करना चाहिए
हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि 9 जून को कार्मिक विभाग ने परीक्षा के पैटर्न जारी किया, जिसके अनुसार 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न निर्धारित किए। अब परीक्षा का परिणाम 465 अंको के आधार पर जारी किया गया। 35 अंक कहां कम किए, यह सार्वजनिक नहीं किया गया। 4 अधिकारी पहले अयोग्य थे, अब योग्य कैसे हो गए। एक अधिकारी के आवेदन व परीक्षा परिणाम में नाम में भी अंतर है।