आविष्कार:गोरखपुर के युवा वैज्ञानिक ने बनाया बैटरी से चलने वाला इको फ्रेंडली ट्रैक्टर, 3 घंटे में जोतता है एक एकड़ खेतमहाराजगंज के एक छोटे से गांव से तालुक रखते हैं युवा वैज्ञानिक राहुल सिंह, पिता किसान
इससे पहले अक्टूबर माह में बैटरी से चलने वाली साइकिल बनाकर लोगों का ध्यान खींचा था
कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है। उत्तर प्रदेश में महाराजगंज के युवा वैज्ञानिक राहुल सिंह ने इसे सच कर दिखाया है। राहुल ने इसी साल अक्टूबर माह में बैटरी से चलने वाली साइकिल बनाकर लोगों का ध्यान खींचा था। वहीं अब बैटरी से चलने वाले राहुल के ट्रैक्टर ने इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में पहला स्थान हासिल किया है। तीन घंटे में एक एकड़ खेत जोतने वाला ये ट्रैक्टर स्वतः चार्ज होने के साथ पूरी तरह से ईको-फ्रैंडली भी है।
रिसर्च व पढ़ाई दोनों कर रहे राहुल, मिला युवा वैज्ञानिक का तमगा
महराजगंज जिले के सिसवा बाजार के बीजापार आसमान छपरा गांव के रहने वाले 16 वर्षीय राहुल सिंह गोरखपुर के एबीसी पब्लिक स्कूल दिव्यनगर में 12वीं के छात्र हैं। वे मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के डिजाइन इनोवटर एंड इंक्यूशन सेंटर में इनोवेटर हैं। यहां पर रिसर्च और पढ़ाई करते हैं। राहुल तीन साल से लगातार इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में पहला स्थान हासिल कर रहे हैं। साल 2018 में रोटी मेकर, 2019 में बैटरी से चलने वाली इको-फ्रैंडली साइकिल और 2020 में कोरोना संकट काल में ऑनलाइन हुए इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में उन्होंने बैटरी चालित ट्रैक्टर बनाकर उन्होंने पहला स्थान हासिल किया है।70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार, बैटरी चार्ज करने की आवश्यकता नहीं
राहुल बताते हैं कि ये ट्रैक्टर पूरी तरह से ईको-फ्रैंडली है। बैटरी से चलने की वजह से इसमें आवाज नहीं होती है। इसमें ईधन (डीजल-पेट्रोल) का प्रयोग नहीं होने से वायु प्रदूषण से भी ये पूरी तरह से मुक्त है। उन्होंने बताया कि 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले इस ट्रैक्टर से 3 घंटे में एक एकड़ खेत की जुताई की जा सकती है। राहुल ने इसकी बैटरी और मोटर भी खुद ही बनाया है। वे बताते हैं कि इसकी बैटरी को चार्ज करने की जरूरत नहीं है। वो ट्रैक्टर के चलने के साथ ही स्वतः चार्ज होती रहेगी।
पिता किसान, जुताई में खर्च देखकर बनाने का आया विचार
राहुल के पिता किसान हैं। खेत की जुताई के समय ट्रैक्टर और उसमें लगने वाले ईधन के खर्च को देखने के बाद उनके मन में ये विचार आया था कि वे एक ऐसा ट्रैक्टर बनाएंगे, जो बैटरी से चले और उसे चार्ज करने का झंझट भी नहीं हो। इसके साथ ही वो पूरी तरह से ईको-फ्रैंडली भी हो। वे बताते हैं कि इसे बनाने में 1.5 लाख रुपए का खर्च आया है। अभी वो इस तैयारी में हैं कि इसे बल्क में तैयार करने पर ये किसानों को 45 से 50 हजार रुपए में ही उपलब्ध हो सके।ट्रैक्टर में गियर लगाने की जरूरत नहीं, 1.5 कुंतल वजन
राहुल ने इसमें चार इंडिकेटर भी लगाए हैं। इसके साथ ही इसमें दो हेडलाइट है, जो देर शाम को भी खेत को जोतने में भी मदद करेगी। इसके साथ ही उन्होंने इसमें पावर स्टेयरिंग लगाया है। जिससे ट्रैक्टर हल्का चले। साथ ही एक स्विच भी दिया है। जिसे यूज करने पर ट्रैक्टर आगे या पीछे की ओर चल सकता है। यही नहीं इस ट्रैक्टर में गियर लगाने की जरूरत भी नहीं है। इसे चलाना भी काफी आसान है। इसकी बैटरी आगे की तरफ बोनट के नीचे रखी गई है। इसके साथ ही उसे ठंडा रखने के लिए चार पंखे भी अंदर लगे हैं। इसका वजन सवा क्विंटल के करीब है। उन्होंने बताया कि उनके कोऑर्डिनेटर प्रो. ज्यूस सर और वीसी प्रो. जेपी पांडेय का काफी सहयोग मिला है।