लापरवाही:हाईवे निर्माण में नीचे रहे तार की चपेट में आने से बालक झुलसा, नाराज ग्रामीणों ने लगाया जाममिट्टी डालकर सड़क को 6-7 फीट ऊंचा उठाया मगर बिजली तार ऊंची नहीं उठाई
गांव लहरोदा के निकट निर्माणाधीन नेशनल हाईवे के ऊपर से गुजर रही 33 हजार केवी की बिजली लाइन की चपेट में आने से बुधवार रात एक किशोर बुरी तरह झुलस गया। गंभीर रूप से झुलसे किशोर का बहरोड़ के एक अस्पताल में उपचार चल रहा है। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
इस घटना के विरोध में गुरुवार को लहरोदा के ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट मैनेजर के खिलाफ थाने में रपट दर्ज कर निर्माणाधीन नेशनल हाईवे के कार्य को बंद कर करीब 4 घंटे तक रोष जताया। घटनास्थल पर बैठे ग्रामीणों ने बताया कि निर्माणाधीन नेशनल हाईवे के ऊपर से 33 हजार केवी की लाइन गुजर रही है। इस लाइन को ऊंचा उठाए बिना प्रोजेक्ट मैनेजर ने उसके निकट मिट्टी डाल कर सड़क को 6 से 7 फीट ऊंचा उठा दिया है।
ऐसे में निर्माणाधीन सड़क से 33 हजार केवी की लाइन की दूरी मात्र चार से पांच फीट रह गई है। जोठेकेदार की घोर लापरवाही है। ठेकेदार की इसी लापरवाही के चलते बुधवार शाम को अपनी दादी के साथ खेत पर जा रहा 15 साल का बच्चा सर्विस रोड से गुजर रहे डंपर से बचने के लिए ऊंची उठाई गई सड़क पर चला गया।
इस दौरान 33 हजार केवी लाइन ने इस बच्चे को अपनी तरफ खिंच लिया। इससे बच्चा करंट की चपेट में आ गया। 33 हजार केवी की लाइन होने के कारण करंट लगने के दौरान बच्चे के कपड़ों में आग लग गई। इस दौरान मौके पर उपस्थित गांव के युवकों ने उस बच्चे पर मिट्टी फेंककर आग बुझाई तथा उसे उपचार के लिए नारनौल के नागरिक अस्पताल ले गए। जहां चिकित्सकों ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए उसे प्राथमिक उपचार के बाद पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया, लेकिन परिजन समय के अभाव को देखते हुए उसे बहरोड़ एक निजी अस्पताल में ले गए। जहां उसकी हालत गुरुवार को दूसरे दिन भी गंभीर बताई जा रही है।
वहीं निर्माण कार्य बंद करवाने की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे निर्माणाधीन नेशनल हाइवे के प्रोजेक्ट मैनेजर नरेश चौधरी ने ग्रामीणों की पूरी बात सुनी। इस दौरान ग्रामीणों व प्रोजेक्ट मैनेजर ने बीच करीब ढाई घंटे तक चली बातचीत के बाद प्रोजेक्ट मैनेजर ने अपनी लापरवाही स्वीकार कर ग्रामीणों की मांग पर बहरोड़ जाकर बच्चे का हालचाल जाना तथा उसके उसके इलाज का पूरा खर्चा उठाने का आश्वासन दिया। इसके बाद ही ग्रामीण शांत हुए।
किशोर के उपचार का पूरा खर्चा उठाने की सहमति के बाद शांत हुए ग्रामीण
सड़क निर्माण ठेकेदार की लापरवाही के कारण बच्चे के साथ हुए इस दर्दनाक हादसे के विरोध में ग्रामीणों ने गुरुवार सुबह एकत्रित होकर ठेकेदार के खिलाफ सदर थाना में रपट दर्ज करवाई तथा नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य बंद करवा दिया।
ग्रामीणों की शिकायत मिलने पर एसएचओ सत्यनारायण ने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का मौका-मुआयना किया तथा ग्रामीणों की बात सुनी। इसके बाद एसएचओ ने फोन कर प्रोजेक्ट मैनेजर नरेश चौधरी को मौके पर बुलाया।
पुलिस के बुलावे पर मौके पर पहुंचे प्रोजेक्ट मैनेजर नरेश चौधरी ने ग्रामीणों की पूरी बात सुनी। ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट मैनेजर पर 33 हजार केवी लाइन को ऊंचा उठाए बिना नेशनल हाइवे का निर्माण करवाने का आरोप लगा उसे बच्चे के साथ हुए हादसे का जिम्मेदार बताया।
इस पर ठेकेदार ने अपनी लापरवाही की बात स्वीकार कर करंट से झुलसे बच्चे के उपचार का पूरा खर्चा देने की बात की, परंतु ग्रामीण मौके पर ही इलाज का पूरा खर्चा देने के साथ के पालन-पोषण का भी खर्चा देने की मांग की। इस पर प्रोजेक्ट मैनेजर ने पालन-पोषण का खर्चा देने के मामले में आनाकानी करते हुए बताया कि इस हादसे के लिए ग्रामीण भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि उसके कारिंदे तीन बार इस लाइन को ऊंचा उठाने के लिए यहां टावर की फाउंडेशन के लिए आ चुके हैं, लेकिन खेत मालिक उन्हें टावर की फाउंडेशन नहीं भरने दे रहा है।
इस पर ग्रामीणों व प्रोजेक्ट मैनेजर के बीच करीब ढाई घंटे तक समझौते की बातचीत चली। आखिर ढाई घंटे बाद ग्रामीण व प्रोजेक्ट मैनेजर फिलहाल उपचाराधीन किशोर के उपचार का पूरा खर्चा देने की बात पर सहमति बनी। इसके बाद प्रोजेक्ट मैनेजर शाम को 3.30 बजे गांव के मौजिज लोगों को लेकर बच्चे का हालचाल जानने तथा उपचार के पैसे देने के लिए बहरोड़ के लिए रवाना हो गए।