आठ साल के बच्चे से करवाया जा रहा था घरेलू काम, चाइल्ड लाइन व एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट ने किया रेस्क्यू
December 23, 2020
कोरोना वैक्सीन का वक्त आया:देश में एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड को अगले हफ्ते मंजूरी मिल सकती है
December 23, 2020

कृषि कानून:सरकार किसानों को एमएसपी के साथ फसल खरीद की गारंटी भी दे,

कृषि कानून:सरकार किसानों को एमएसपी के साथ फसल खरीद की गारंटी भी दे, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाएइन कानूनों से केवल किसानों का नहीं बल्कि आम आदमी का भी बड़ा नुकसान होगा। गरीब आदमी के लिए चल रहा पीडीएस सिस्टम भी प्रभावित होने वाला है। संविधान का आर्टिकल 19 देश के लोगों को आवाज उठाने का अधिकार देता है। लेकिन कृषि कानून के ये एक्ट किसी भी तरह की कानूनी चुनौती देने से रोकते हैं। सरकार का दावा है कि एमएसपी व्यवस्था खत्म नहीं होगी तो वे इस पर कानून लाकर सुनिश्चित क्यों नहीं करती।

केवल एमएसपी से काम नहीं चलने वाला है। खरीद की गारंटी भी देनी होगी। एमएसपी ज्यादा तय कर दिया और उसे खरीदने वाला ही कोई नहीं होगा तो उस एमएसपी का क्या फायदा होगा। सरकार ने दावा किया है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, तो इस पर उन्हें विधेयक पारित करने से कौन रोक रहा है। इस बिल का आशय ये होना चाहिए कि एमएसपी (स्वामीनाथ फॉर्मूला पर आधारित, जिसका भाजपा ने साल 2014 में वादा किया था) गारंटी होगी।

बड़े व्यापारी, कंपनियां या कोई भी खरीदार एमएसपी से कम दाम पर कृषि उत्पाद नहीं खरीदेंगे। साथ ही गारंटी के साथ किसानों से खरीदी होनी चाहिए। कर्ज माफी के बिना किसानों की कमाई 2032 तक भी दोगुनी नहीं हो सकती है। जिस तरह तीन कृषि कानूनों को थोपा गया है, उसके विपरीत एमएसपी और कर्ज माफी गारंटी वाले विधेयक को आसानी से पारित करवा सकती थी। सरकार का दावा है कि इन कृषि कानूनों का उद्देश्य कृषि बाजारों को खोलना है, ताकि किसानों को उनके उपज का सही मूल्य मिल सके। इसके विरोध में हरियाणा, पंजाब और देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने कृषि सुधार के नाम पर लाए गए इन कानूनों को एपीएमसी मंडियों एवं एमएसपी व्यवस्था के लिए खतरा बताया है।

सरकार कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को सभी समस्याओं का जड़ बता रही है, जबकि ऐसा नहीं है। इन विधेयकों के लागू होने के बाद एपीएमसी व्यवस्था वैसी ही रह जाएगी जैसे कि सरकारी स्कूल हैं। कहने को तो सरकारी स्कूल हैं, लेकिन इनका महत्व नहीं रहा। सभी जगह प्राइवेट स्कूलों ने घेर लिया है। किसान को उचित मूल्य एवं स्थिरता चाहिए, लेकिन सरकार जरूरी मुद्दों के बजाए, जो भी थोड़ी बहुत व्यवस्था बनी हुई थी, उसे उजाड़ रही है। कृषि समुदाय में स्थाईपन की मांग में बहुत बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देख लिए हैं। किसान अपनी उपज का दाम तय नहीं करते हैं, ये काम कोई और करता है।

अब संशोधन को कैसे तैयार है सरकार

हैरानी है कि जिन कानूनों पर सरकार संसद में चर्चा को भी तैयार नहीं थी। उनमें अब आंदोलन के बाद खामियां कैसे स्वीकार कर ली। सरकार अब संशोधन को कैसे तैयार हो गई। किसी कानून में 90% संशोधन के बाद उसका मतलब क्या रह जाएगा। ऐसे में सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे। एमएसपी और खरीद की गारंटी दे। फिर नए सिरे से कमेटी बना किसानों से चर्चा कर कानून लाए। स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करे, जिसका खुद सरकार में आने से पहले इन्होंने वादा किया था। इसके लागू होने से किसानों को सही में लाभ होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES