हाईकोर्ट का निर्देश:दूसरे निकाह के लिए पहली पत्नी की सहमति नहीं ली, इस आधार पर जान-माल की सुरक्षा से इनकार नहीं कर सकतेपहली पत्नी की सहमति जान माल की सुरक्षा की मांग करते समय कोई मायने नहीं रखती। मुस्लिम जोड़े की तरफ से शादी के बाद सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे समय पर यह नहीं देखा जा सकता कि पहली पत्नी ने शादी के लिए सहमति दी या नहीं।
जस्टिस अलका सरीन ने नूंह के एसपी को निर्देश दिए कि वह कानून के मुताबिक जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने को लेकर दी गई रिप्रेजेंटेंशन पर फैसला ले।
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि परिवार की इच्छा के खिलाफ शादी की गई है। ऐसे में उनकी जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुस्लिम लॉ के मुताबिक दूसरी शादी के लिए पहली पत्नी की सहमति होना जरूरी है। मौजूदा मामले में पहली पत्नी की सहमति लिए बिना दूसरी शादी कर ली गई। ऐसे में जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग को खारिज किया जाए।
याचियों की तरफ से वकील विशाल गर्ग ने हाईकोर्ट में कहा कि मौजूदा मामले में सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की जा रही है। ऐसे समय में पहली पत्नी की शादी के लिए सहमति के सवाल पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। संविधान में दिए गए अधिकार के मुताबिक जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की जा सकती है।
जस्टिस अलका सरीन ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का अधिकार है कि वह जान-माल की सुरक्षा की मांग कर सकता है। संविधान ने सभी नागरिकों को अधिकार दिया कि वह ये मांग कर सकते हैं।
कानून के मुताबिक किसी नागरिक को महज इस आधार पर यह लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि दूसरी शादी करते समय पहली पत्नी व परिवार की सहमति नहीं ली गई। हाईकोर्ट ने नूंह के एसपी को याचियों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग को लेकर 23 नवंबर को दी गई रिप्रेजेटेंशन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।