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किसान आंदोलन में आत्महत्या का मामला:पंचतत्व में विलीन हुए संत राम सिंह;

किसान आंदोलन में आत्महत्या का मामला:पंचतत्व में विलीन हुए संत राम सिंह; बिलखते रहे अनुयायी, पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल समेत हजारों ने किए दर्शन करनाल जिले के गांव सिंघड़ा के रहने वाले थे 65 वर्षीय राम सिंह , गांव में ही है डेरा
बुधवार को दोपहर बाद सिंघु बॉर्डर पर खुद को गोली मार ली थी राम सिंह ने, रात 11 बजे करनाल में हुआ पोस्टमॉर्टमकिसान आंदोलन के समर्थन में सुसाइड नोट लिखकर खुद को गोली मारने वाले संत राम सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इससे पहले बीते दिन पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल समेत 10 हजार से ज्यादा लोगों ने संत राम सिंह के अंतिम दर्शन किए। उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव सिंघड़ा में 5 फीट ऊंचा चबूतरा बनाया गया था, देश-दुनिया के हजारों लोग इकट्ठा हुए।

65 वर्षीय राम सिंह करनाल जिले के गांव सिंघड़ा के रहने वाले थे। गांव में ही उनका डेरा भी है। वह खुद कई सिख संगठनों में अलग-अलग पदों पर रह चुके थे। वहीं दुनिया के अलग-अलग देशों में प्रवचन करने के लिए जाते थे। उनके हरियाणा-पंजाब के अलावा दुनियाभर में लाखों अनुयायी हैं। पिछले कई दिन से वह सोनीपत के सिंघु बॉर्डर चल रहे धरने में शामिल थे। वहां बुधवार को दोपहर बाद राम सिंह ने खुद को गोली मार ली थी।

एक शिष्य के मुताबिक इस खौफनाक कदम के उठाने से पहले उन्‍होंने कहा था, ‘मैं किसानों की मौजूदा हालत से काफी दुखी हूं। सरकार के कानून किसानों को बर्बाद कर देंगे। मैं इस पीड़ा में ही जान दे रहा हूं।’ इसके कुछ ही देर बाद उनकी पार्थिव देह बरामद की गई। सूचना के बाद पुलिस ने उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया।

रात 11 बजे करनाल के मेडिकल हॉस्पिटल में संत राम सिंह के शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। गुरुवार को 10 हजार से ज्यादा लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए। पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादी भी संत राम सिंह के अंतिम दर्शन को पहुंचे, वहीं इसके बाद शुक्रवार को अंतिम संस्कार से पहले भी अनुयायियों का आना लगातार जारी रहा।

ये थे मौत से पहले के हालात

करीब 2 दशक से राम सिंह के शिष्य गुलाब सिंह ने इस पूरी घटना को लेकर बात की। गुलाब सिंह के मुताबिक, 8-9 दिसंबर को ही बाबा राम सिंह ने करनाल में एक समागम किया, जिसमें किसान आंदोलन के लिए अरदास रखी गई। उन्होंने खुद भी आंदोलन में मदद के लिए पांच लाख रुपए, गर्म कंबलों की सेवा दी।

संत राम सिंह ने अपनी डायरी में किसान आंदोलन को लेकर दुख व्यक्त किया था और कहा था कि अब उनसे ये देखा नहीं जा रहा है। इसके बाद वह आंदोलन वाली जगह आए। उन्होंने अपने साथ आए लोगों से स्टेज के पास जाने को कहा और खुद गाड़ी के पास चले गए। वहां अपने अंतिम नोट में लिखा कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए लोग नौकरी, घर छोड़कर आ रहे हैं। ऐसे में मैं अपना शरीर समर्पित करता हूं।

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