शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर से रिपोर्ट:4 डिग्री सेल्सियस पारे में रात भर कंपकंपाते रहे, तबीयत बिगड़ने पर 2 किसानों को वापस घर भेजा गयाअलवर जिले के शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। बीती रात अलवर का न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहा। शीतलहर, भीषण ठंड और गिरती ओस के बीच रजाई के अंदर रातभर किसानों की कंपकंपी छूटती रही। रात को स्थिति इतनी बिगड़ गई कि आंदोलन कर रहे 2 किसानों की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद भीलवाड़ा से आंदोलन में शामिल होने आए दो किसानों को वापस घर भेज दिया गया।
हाईवे पर शीतलहर का भंयकर असर शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर इसलिए भी ज्यादा सर्दी पड़ती है क्योंकि यहां आसपास सैकड़ों बीघा तक खेती है। पूरा इलाका खुला हुआ है। इसके चलते यहां यहां शहर, कस्बे और गांवों से ज्यादा सर्दी पड़ती है। आमतौर पर इस इलाके में शहरों और गांवों की तुलना में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तापमान कम रहता है। इस कारण किसान टेंट में दुबके रहने को मजबूर हैं।आंदोलन में काफी बुजुर्ग, उनके लिए मुश्किल ज्यादा
किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में बुजुर्ग किसान भी हैं। ऐसे में ठंड में उनके लिए यहां रात बिताना काफी मुश्किल होता जा रहा है। मजबूरी में किसान ढाबों के आगे जलते अलाव में रात बितानी पड़ रही है। क्योंकि, बाहर खुले में या बिना अलाव के रात गुजारना इनके लिए मुश्किल भरा है। ऐसे में प्रदर्शकारियों के लिए आंदोलन अब मुश्किल होता नजर आ रहा है। फिर भी ज्यादातर किसानों का कहना है कि वे पीछे नहीं हटेंगे। चाहे कुछ हो जाएगा। जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक दिल्ली कूच के अलावा किसी विकल्प पर विचार नहीं हो रहा है।0 दिसंबर को आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धाजंलि देंगे
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा, ’20 दिसंबर को देश भर के गांवों में श्रद्धांजलि सभाएं होंगी। इसमें किसान आंदोलन में अब तक शहीद हो चुके 22 किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।’2 लाख किसान लेकर आएंगे सांसद बेनीवाल
करीब 4 दिन पहले सांसद हनुमान बेनीवाल शाहजहांपुर बॉर्डर आए थे। यहां किसानों के बीच उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे जल्दी दो लाख किसानों को लेकर बॉर्डर पर आएंगे। कोटपूतली व शाहजहांपुर के बीच में किसानों की बड़ी सभा करने की चेतावनी भी दी थी। वे बार-बार सरकार को भी कह चुके हैं कि किसान खुले आसमां तले हैं तो हम चुप नहीं रह सकते हैं। सरकार के साथ भी नहीं। हालांकि, बेनीवाल दोबारा कब आएंगे, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।