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कृषि कानूनों का विरोध:बुजुर्ग पीछे होते गए और यूथ आगे आया; मंच से संचालकों की अपील

कृषि कानूनों का विरोध:बुजुर्ग पीछे होते गए और यूथ आगे आया; मंच से संचालकों की अपील- धक्का-मुक्की, हुल्लड़बाजी न करें, लोगों को रास्ते देंकिसानों का बदलता आंदोलन- धीरे-धीरे करके बुजुर्ग लौट रहे घर और युवा आ रहे, अपनी मर्जी से कहीं भी बैठ रहे और कुछ भी कर रहे, इसलिए माहौल शांत रखने को करनी पड़ रही मशक्कत
आंदोलन बदला-बदला सा नजर आ रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में बैठने वाले बुजुर्गों की संख्या कुछ कम हुई है। कुछ बुजुर्ग घरों की ओर रुख कर रहे हैं तो उधर से ज्यादा तादाद में युवा दिल्ली पहुंच रहे हैं। आंदोलन में एक और नया ट्रेंड दिख रहा है कि स्थाई तौर पर बैठने वालों की संख्या कम हुई है।

वे लोग ज्यादा आ रहे हैं जो दो-तीन दिन रुकते हैं और फिर लौट जाते हैं। इस बदलते परिदृश्य में माहौल पर भी असर दिख रहा है। पहले बुजुर्ग आराम से ट्रॉलियों में बैठते थे, अब जो यूथ आ रहा है वो दिनभर 8 किलोमीटर के एरिया में घूमता रहता है। यह भीड़ मर्जी से सब कर रही है। इसीलिए माइक से बार-बार कहा जा रहा है कि जो भी करें, पर ध्यान रखें कि लोग आपको हुड़दंगी न कहें। दिनभर कोई ट्रैक्टरों की छत पर चढ़कर घूमता रहता है तो कोई कहीं भी जाम लगाकर खड़ा हो जाता है। आंदोलन क्षेत्र के 8 किलोमीटर में 100 से ज्यादा ऐसे ट्रैक्टर, जीप आदि दिखते हैं, जिनकी छतों पर बैठा यूथ हुड़दंग करता फिर रहा था। मंच से संचालक बार बार अपील करते सुनाई देते हैं कि माहौल खराब न करें।

ट्रैक्टरों पर न घूमें और आने-जाने वालों को रास्ता दें। एक दिन पहले तो कुछ यूथ सड़क पर एक मॉल के सामने जाम लगाकर बैठ गए। मंच से बार-बार अपील करने के 2 घंटे बाद वो वहां से हटे। ट्रॉलियों में तो स्थाई भीड़ है, लेकिन दो तीन दिन के लिए आने वाली इस भीड़ के कारण संस्थाओं द्वारा लगाए गए रैन बसेरों के बाहर भी लंबी लाइनें लग गई हैं और वहां व्यव्यस्था संभालना एक चुनौती बन गई है। नई भीड़ से बदले माहौल में अब तक सहयोेग कर रहे स्थानीय लोग भी परेशान दिख रहे हैं। कुंडली के रहने वाले मनोज कुमार ने बताया कि पहले शांति थी, लेकिन अब ये जो युवाओं का जत्था आ रहा है, वह कहीं भी घरों की तरफ डेरा डाल लेता है, जिससे हम लोगों को परेशानी होती है। युवा रातभर हुड़दंग करते हैं और कई बार तो पटाखे बजाते हैं, जिससे सोना भी मुश्किल हो गया है।

नई भीड़ से बदल रहा माहौल कई ट्रैक्टरों की छत पर चढ़कर घूमते हैं तो कहीं भी जाम लगाकर खड़े हो जाते हैं

मैनेजमेंट से मिस मैनेजमेंट की तरफ बढ़ रहा आंदोलन
भीड़ पर नियंत्रण कम होता दिख रहा है। कौन कहां क्या बांट रहा है और क्या खिला रहा है, किसी को पता नहीं। एक ट्रक से किसानों की ओर कंबल फेंका जा रहा था, जिसे लेने के लिए लोगों का हुजूम जान जोखिम में डालता दिखा। ऐसे ही गर्म चद्दरें लेने की होड़ दिखी। किसान नेता राकेश टिकैत ने तो कह भी दिया है कि कौन कब आकर मंच समर्थन दे गया और वो कैसा आदमी है, उस समय पता नहीं चलता। सरकार को कोई गलत दिखता है तो उसे जेल में डाले।

रोज नई यूनियनें आ रहीं सामने
रोज नई-नई किसान यूनियनें सामने आ रही हैं। हाल ही में एक यूनियन तीनों कानूनों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट चली गई और इस पर किसान नेताओं ने कहा कि हम नहीं जानते वो कौन लोग हैं। इसी तरह शनिवार शाम को राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बाकी किसान संगठन सरकार से बातचीत करें या ना करें पर हम वार्ता के लिए तैयार हैं। हमारी मुख्य मांग एमएसपी गारंटी कानून है।

किसान नेताओं में भी दिखने लगे मतभेद
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढूनी भी अब पंजाब के किसान नेताओं की मीटिंग में कम दिख रहे हैं और रोज शाम को मीडिया से बात करने का अपना अलग से समय तय कर दिया है। गृह मंत्री शाह से हुई पिछली मीटिंग के दौरान तो पंजाब के दो किसान नेताओं ने खुलकर नाराजगी जाहिर की थी। सरकार की तरफ से जो संशोधन का प्रस्ताव आया था उस पर भी किसान नेताओं में मतभेद दिख रहे हैं।

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