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शाह का बुलावा आते ही रोका मंच का काम, वार्ता विफल होने पर रात में ही बनाया स्क्रीन वाला मंच

किसान आंदोलन का 14वां दिन:शाह का बुलावा आते ही रोका मंच का काम, वार्ता विफल होने पर रात में ही बनाया स्क्रीन वाला मंचअब रातों-रात बदली जा रही रणनीति
दीवारों पर स्लोगन- मैं समय हूं मोदी जी, प्रेम या फ्रेम, काम हमारा है, करके रहेंगेकिसान आंदोलन के 14 दिन बीत चुके हैं। हर रोज बॉर्डर पर आंदोलन में किसानों और समर्थकों की संख्या बढ़ रही है। मंच पर जगह कम पड़ती जा रही है। ऐसे में किसान नेताओं ने मंगलवार को बड़ा और मजबूत मंच तैयार कराने तैयारी की थी। सामान जुटाए जा चुके थे। काम शुरू ही किया था कि गृह मंत्री अमित शाह ने वार्ता की पेशकश भेज दी। किसान नेता रवाना हुए तो मंच का काम रोक दिया गया।

किसानों को लगा कि कोई हल निकलेगा। लोग बातें करने लगे कि मंच बनाने नहीं, अब टेंट समेट कर घर जाने का समय हो गया है, लेकिन देर रात वार्ता विफल हो गई तो किसान नेताओं ने फाेन पर ही सूचना दी। इसके बाद मंच रात में ही बनाने का निर्देश दिया गया। फिर क्या थोड़ी निराशा के बाद ट्रॉलियों में आराम कर रहे किसान उठकर आए और उत्साह के साथ मंच और टेंट लगाने में जुट गए।

सुबह जब किसान उठे तो पक्का मंच बना मिला। पीछे दूर बैठे लोगों को भी सब दिखाई दे, इसके लिए बड़ी स्क्रीनें लगी मिलीं। यह देख किसानों को थोड़ी मायूसी भी हुई। चर्चा शुरू हो गई कि लंबे समय तक बैठना पड़ेगा। बठिंडा से आए नरवीर सिंह से बात की तो बोले- सरकार हमारे संयम की परीक्षा ले रही है। हमारे परिवार वालों की सरकार को चिंता नहीं है। सरकार के मंत्री तो अपने घरों में बैठे हैं, लेकिन हम अपनों से दूर सर्दी में पड़े हैं। शाह को आने-जाने वालों की चिंता है, लेकिन हमारे बारे में कौन सोचेगा।

बॉर्डर पर आंदोलन का रंगरूप हर दिन कुछ न कुछ जगह जरूरत के हिसाब से बदल जाता है। रातों-रात बदलाव ऐसे ही नहीं आते, इसके लिए कई टीमें काम रही हैं। ये टीमें रात को काम करती हैं और दिन में आराम। इनका काम तभी शुरू होता है, जब बाकी आराम कर रहे होते हैं। एक टीम का काम रातभर पानी गर्म करने का है। अलग-अलग टेंट के अंदर 100 से ज्यादा भट्ठियां लगी हैं।

नहाने वालों के सुबह 4 बजे से नम्बर लगने शुरू हो जाते हैं, जिसका जिस समय नम्बर है वो उसी समय नहाता है। रात में 10 टीमें ट्रॉलियों के बीच जाकर पूछती हैं कि किसी को कोई जरूरत तो नहीं है। रात को दीवारों पर पेंटिंग करने और फ्लैक्स आदि लगाने का काम चलता है। दीवारों पर भगत सिंह के विचार लिखे जा रहे हैं। फ्लैक्स पर लिखा है- मैं समय हूं मोदी जी, प्रेम या फ्रेम, हमारा काम है, करके रहेंगे, आपका समय पूरा हुआ।

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