ट्रेन में बेडरोल, कंबल और पिलो घोटाला:31 दिन में एक ही अटेंडेंट से गुम हुई 671 बेडशीट, 442 पिलो कवर और 212 टॉवेलदुर्ग से चलने वाली 12 ट्रेनों में 34.38 लाख रुपए के बेडरोल, पिलो और कंबल गुम हो गए। अब बोगियों के अटेंडेंट से इसकी रिकवरी की जा रही है। हद तो तब हुई जब तेज गर्मी वाले महीने मार्च-अप्रैल और मई में भी लोगों को कंबल यूज करना बताया। जो गायब हो गए।
हैरानी की बात तो ये कि गर्मी में कंबल ओढ़कर ट्रेन में कौन सफर करता है। हैरान कर देने वाली बात यहीं खत्म नहीं होती। रेलवे ने बताया है कि एक ही अटेंड ने 31 दिनों में 671 बेडशीट 442 पिलो कवर और 212 टॉवेल गायब कर दिए। जिन अटेंडेंट्स का जिक्र किया गया है उस नाम का अटेंडेंट कंपनी में ही नहीं है। जो गड़बड़ी को जन्म दे रहा है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से हुआ है।
34 लाख के बेडरोल गायब हुए
बाजार रेट से 50 प्रतिशत कम दाम होने की वजह से दुर्ग से चलने वाली 12 ट्रेनों से 21 महीने में साढ़े 34 लाख 38 हजार 399 रुपए के बेडरोल गायब हुए हैं। ट्रेनों में सफर करने वाले एसी कोच के यात्रियों को रेलवे द्वारा बेड रोल की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। दुर्ग स्टेशन से चलने वाली 12 एसी युक्त ट्रेनों में बड़े पैमाने के बेडरोल गायब होने के बाद सूचना के अधिकार में जानकारी जुटाई गई। जुलाई 2018 से लेकर मार्च 2020 तक ये बेडरोल गुम होना दर्ज है।
रेलवे में कंबल, पिलो कवर और टॉवेल की गड़बड़ी इसलिए…
रेलवे का कंबल कैमल ब्रांड का है। एक कंबल गुम हो जाने पर रेलवे द्वारा महज 360 रुपए की वसूली होती है। बाजार में इस क्वालिटी व ब्रांड के कंबल की कीमत 800 रुपए से अधिक है।
रेलवे का एक बेडशीट की कीमत 125 रुपए है। बाजार में इस क्वालिटी का बेड शीट 200 से 250 रुपए है।
रेलवे का फ्रेश टॉवेल 25 रुपए की है। बाजार में इसकी कीमत 50 रुपए की है।
रेलवे का तकिया कवर 39 रुपए की है। इसकी कीमत बाजार में 60 रुपए है।
सबसे ज्यादा 29 हजार 65 फ्रेशर टॉवेल गायब
दुर्ग से चलने वाली ट्रेनों में सबसे अधिक गायब फ्रेशर टॉवेल के हुए हैं। 29065 फ्रेशर टॉवेल गायब हुए हैं। उसके बाद 14 हजार 735 बेडशीट, 6939 पिलो कवर, 1192 पिलो और 1221 कंबल गुम हुए हैं। इतनी ज्यादा संख्या में ये चीजें कैसे गायब हो रही है या चोरी जा रही है यह जांच का विषय है।
दुर्ग से चलने वाली इन ट्रेनों से गायब हुए बेडरोल
दुर्ग हमसफर एक्सप्रेस, दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस, दुर्ग जम्मूतवी एक्सप्रेस, दुर्ग अंबिकापुर एक्सप्रेस, दुर्ग नौतनवा एक्सप्रेस, दुर्ग कानपुर एक्सप्रेस, दुर्ग संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, दुर्ग अजमेर एक्सप्रेस, दुर्ग कामाख्या एक्सप्रेस, दुर्ग अनुरोध एक्सप्रेस।
रेलवे की पोल खोल रहे ये केस…जानिए
1 मई से 31 मई 2019 के बीच रमेश मीणा के नाम से गुम बेडरोल के एवज में 1 लाख 8 हजार 221 रुपए वसूली दर्ज है। इस श्रमिक द्वारा 34 कंबल, 31 पिलाे, 442 पिलो कवर, 212 फ्रेश टॉवेल, 671 बेडशीट गुम बताया गया है। एक एसी अटेंडेंट महज 31 दिन में इतने बेडरोल गुमा सकता है या चोरी कर सकता है जितना उसका महीने का वेतन नहीं है।
एसी कोच से गुम बेडशीट, कंबल, टॉवेल वगैरह की सूची में एसी अटेंडेंट से पैसा वेतन से काटा गया है। इस सूची में रतन मीणा का नाम का उल्लेख है जबकि कंपनी में इस तरह का कोई कर्मी नहीं है।
मार्च, अप्रैल, मई और जून में भीषण गर्मी पड़ती है। आमतौर पर इन चार महीनों में यात्रियों का कंबल की जरूरत नहीं पड़ती। उसके बाद भी मार्च 2019 में 50 कंबल, अप्रैल 2019 में 69 कंबल, मई में 81 कंबल और जून महीने में 51 कंबल ट्रेनों से गुम होना दर्ज किया गया है।
ऐसा कैसे हो सकता है
“बेडरोल गुम होने की भरपाई हम ठेका एजेंसी से करते हैं। दुर्ग की ट्रेनों से इतने बड़े पैमाने में बेडरोल गायब कैसे हो सकता है। इसकी जांच करवाएंगे। हमें इसकी जानकारी नहीं है।”
-डाॅ. विपिन वैष्णव, सीनियर डीसीएम रेलवे
कंपनी में नहीं है अटेंडेंट
“हमारी कंपनी में रतन मीणा नाम का कोई कर्मी नहीं है। बेडरोल चोरी हो रही है या जानबूझकर गायब किए गए हैं इस बारे में नहीं बता सकते। कोविड की वजह से ट्रेनें नहीं चल रही है इसलिए हमने काम बंद कर दिया है।”