कृषि कानूनों विरोध:बढ़ती ठंड में बैठे किसानों की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर, बांट रहे बादाम, खोया और जूस कृषि कानूनों के विरोध में किसान अब ठंड से भी लड़ रहे हैं। खांसी, जुकाम बुखार के मरीज सामने आने के बाद आंदोलन स्थल पर किसानों की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया है। समर्थन दे रही संस्थाओं ने बादाम, किसमिश, मेवा बांटना शुरू कर दिया है। किसान परिवार भी घरों से देशी घी का चूरमा, खोया, पिन्नी आदि ताकत बढ़ाने की खाद्य सामग्री बांटने में लग गए हैं। गन्ने से भरी ट्रालियां खड़ी कर फ्री जूस बांटा जा रहा है। जगह-जगह मूंगफली व रेवड़ी की बोरी रखी गई हैं।
कुंडली बॉर्डर पर सोमवार को न्यूनतम तापमान 11 डिग्री तक रहा। किसान आंदोलन में लगातार बढ़ती भीड़ में करीबन 30 हजार से अधिक किसान ऐसे हैं जो धरना स्थल पर ही ठहरते हैं। ट्रैक्टर-ट्राॅलियों के अंदर किसान सोते हैं। वहीं अब टैंट लगाकर नीचे गद्दे बिछाने शुरू कर दिए हैं। एक हजार से अधिक किसानों की कैपेसिटी का टैंट लख्मीचंद पाठशाला के पास लगाया गया है। छोटे टैंट भी लगे हैं। बावजूद इसके हर दिन 150 के करीब खांसी, जुकाम, बुखार, सिर दर्द की शिकायत वाले किसान सामने आ रहे हैं। इनके लिए रेडक्रॉस और सामाजिक संगठनों ने निशुल्क दवाइयां और चैकअप के कैंप लगाए हैं।
पांच क्विंटल बादाम लाई पटेटो ग्रोवर्स एसोसिएशन
जालंधर के नवा शहर से पटेटो ग्रोवर्स एसोसिएशन देशभर में आलू उत्पादन के लिए बीज उपलब्ध करवाती है। एसोसिएशन पांच क्विंटल बादाम आंदोलन स्थल पर लाई है। एसोसिएशन प्रधान गुरुराज सिंह, अश्वेंद्र पाल सिंह, प्रीतपाल सिंह ने बताया कि सर्दी में किसानों की इम्युनिटी बढ़ाए रखने के लिए बादाम बांटने का निर्णय लिया है।
गन्ने की ट्राॅली लाकर पिलाते हैं जूस
सोनीपत के आंवली से किसान हर दिन गन्ने की ट्राली भरकर लाते हैं। यहां जूस निकालने को कोल्हू लगाया है। जूस पिलाने में लगे टिंकू, अनिल ताजा जूस पिला रहे हैं।
खोया, चूरमा व देशी घी के लड्डू
जत्था श्री अकाल तख्त साहित दिल्ली से आई सुरेंद्र कौर, इशप्रीत सिंह ने बताया कि घरों व गुरुद्वारा में देशी घी से चूरमा, लड्डू, पिन्नी बन रही हैं। किसान परिवारों की महिलाएं दूध से खोया निकालकर पहुंचा रही हैं। आंदोलन में संघर्ष कर रहे किसानों को किसी तरह से कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा।
हरियाणा से पहुंच रहे दूध और लस्सी के टैंकर
जींद व सोनीपत के गांवों से किसान दूध व लस्सी लेकर पहुंच रहे हैं। यहां पर खीर बनाई जा रही है। दूध लेकर आए समेसिंह, बलबीर का कहना है कि किसानों का देसी खाना है। जहां दूध-दही का खाना है, वहां बीमारी दूर रहती है।