टिकरी बॉर्डर बना मिनी पंजाब:26 किमी. तक किसानों के ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लाइन, किसानों की तादाद हर दिन बढ़ रहीकृषि कानून वापस होंगे या सुधारों से ही किसानों और केंद्र में बात बन जाएगी? इस सवाल के जवाब के लिए सबकी नजरें कल होने वाली बैठक पर हैं। इस बीच, दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। 9 प्वाइंट पर तो आवाजाही ही बंद है। बहादुरगढ़ के टिकरी बॉर्डर पर तो नजारा मिनी पंजाब जैसा है। यहां रोज किसानों की तादाद बढ़ती ही जा रही है।
यहां मेट्रो लाइन से लगी हुई सड़कों पर 26 किलोमीटर तक किसानों के ट्रकों, ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाइन लग गई है। हर सड़क, हर बाजार, हर मोहल्ले में किसान यूनियनों को झंडे नजर आ रहे हैं।
आंदोलन में शामिल हरियाणा के किसानों को यूथ पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। दूध-दही, राशन, सिलेंडर सभी जरूरी चीजों की सप्लाई की जा रही है। यहां की सांगवान खाप 40 भी आंदोलन में डटी है। खाप के प्रधान और विधायक सोमवीर सांगवान ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार खेती कानून वापस नहीं लेती, तब तक वे किसानों के साथ मिलकर संघर्ष करेंगे।आंदोलन में शामिल होने बठिंडा से दिल्ली पहुंचा दिव्यांग
बठिंडा के गांव लहराबैगा का दिव्यांग किसान मक्खन सिंह (45) 3 दिन तक अपनी तिपहिया स्कूटी चलाकर किसान आंदोलन में पहुंचा है। टिकरी बॉर्डर पर पहुंचकर कहा कि दिव्यांग हूं तो क्या हुआ। आंदोलन जब तक चलेगा, यहीं रहूंगा। रोहतक से टिकरी पहुंचे मनीषा और नरेश ग्रेजुएशन कर रहे हैं। प्रीति और मीनाक्षी 12वां की स्टूडेंट हैं। ये 26 नवंबर से ही आंदोलन में शामिल हैं। कहते हैं कि सुबह ऑनलाइन क्लासें लगाते हैं, दोपहर में आंदोलन में शामिल होते हैं। क्रांतिकारी गीत गाते हैं और लोगों को किसान आंदोलन के लिए जागरूक करते हैं।परिवार समेत आंदोलन में पहुंचे दलित
रहेजमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुुकेश मलौद पत्नी अमनदीप कौर, 3 वर्षीय बेटी रावी को साथ लेकर प्रदर्शन में गए हैं। किरती किसान यूनियन यूथ विंग के भूपिंदर लौंगोवाल पत्नी परमजीत कौर व 5 वर्षीय बेटी सविंदर के साथ गए हैं। दलित नेता गुरमुख सिंह पत्नी व बेटी के साथ टिकरी बाॅर्डर पर डटे हैं। ये कहते हैं कि कानून वापसी तक लौटेंगे नहीं।