किसानों की एकजुटता:कुंडली में दिखी शान, सभी धर्मों का खान-पान; एसी ट्रैक्टर, मनोरंजन की सुविधाओं से लैस ट्रॉलियां, लग्जरी गाड़ियां भी पहुंचींट्रैक्टर की बैटरी से ट्राॅली में टीवी और मोबाइल चार्जिंग का जुगाड़
ट्रैक्टरों पर लगे हैं एक लाख रुपए तक के म्यूजिक सिस्टम
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में किसानों के खान-पान और शान की झलक भी दिख रही है। आंदोलन में किसान 30 लाख रुपए तक के ट्रैक्टर-ट्राॅलियां लेकर पहुंचे हैं। पंजाब के किसान गाड़ियों से भी महंगे ट्रैक्टर-ट्राॅली लाए हैं। कई ट्रालियां ही ट्रैक्टरों से महंगी हैं। कई ट्रैक्टर में एसी लगे हुए हैं। पंजाब के अमृतसर से आए परमीत सिंह ने बताया कि हमारे यहां यह शौक है। हम गाड़ी भी महंगी रखते हैं और ट्रैक्टर लग्जरी।
अपना ट्रैक्टर को दिखाते हुए बोले- यह फुली एसी है। जब खेत में लंबा काम करना पड़ता है तो आराम रहता है। बताया कि 9 लाख से एसी वाले ट्रैक्टर शुरू होते हैं और 30 लाख रुपए तक कीमत है। यहां पहुंचीं ट्राॅलियां भी लग्जरी हैं। इनमें साइड से विंडो सिस्टम, पानी का टैंक फिट है। हरदीप सिंह ने कहा- मेरी ट्राॅली ट्रैक्टर से भी महंगी है। मैं गन्ने की खेती करता हूं और कई दिन तक मिल में रहना पड़ता है। इसलिए ठहरने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं हैं। लोगों ने ट्राॅलियों में पूरा घर बसाया है।
ट्रैक्टर की बैटरी से कनेक्शन लेकर ट्राॅली में टीवी व मोबाइल चार्जिंग का विकल्प है। किसान पंजाब से पराली के छोटे-छोटे बंडल लेकर आए हैं, जिन्हें नीचे बिछाकर गद्दे जैसा आरामदायक बनाया है। वहीं, किसान महंगी गाड़ियां और बाइक लेकर भी पहुंचे हैं। अधिकतर युवाओं के पास बुलेट, सफारी, फॉर्च्यूनर, बीएमडब्ल्यू, इंडेवर जैसी लग्जरी गाड़ियां हैं। फॉर्च्यूनर में पटियाला से आए सुखबीर ने बताया कि काम भी पूरी मेहनत से करते हैं और शौक भी। सामाजिक संस्थाओं के जरिए मुफ्त में ट्रैक्टर, गाड़ी रिपेयरिंग से लेकर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं।
मशीन पर रोटी व ट्रैक्टर पर म्युजिक
यहां जो ट्रैक्टर खड़े हैं, उनमें से 80 प्रतिशत में बड़े म्युजिक सिस्टम लगे हैं। पंजाब के बड़े गायकों ने डीजे जैसे धमाकेदार और जोश भरने वाले दर्जनों गाने बना रखे हैं। जोश भरने के लिए इनपर केवल आंदोलन वाले गाने बजते रहते हैं। शुरुआती दिनों में जहां किसान छोटे चूल्हों पर रोटी बना रहे थे। वहीं अब किसानों ने पंजाब और दिल्ली से रोटी बनाने की मशीने मंगवानी शुरू कर दी हैं। हर ट्रैक्टर के साथ खाना बनाने की जगह अब ग्रुपों में मशीनों पर रोटियां बना रहे हैं।