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किसानों को डर है कि कहीं बाहरी लोग आंदोलन को खराब न कर देंअलर्ट

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन:किसानों को डर है कि कहीं बाहरी लोग आंदोलन को खराब न कर देंअलर्ट- रोज मंच से करते हैं मुनादी, नजर रखने के लिए लगती है अलग-अलग युवा की ड्यूटी
चिंता- किसान बोले- कई संगठनों के शामिल होने से कहीं हमें अलग नजरिए से न देखने लगें लोगकृषि कानूनों के विरोध में बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में हर दिन लोगों की संख्या बढ़ रही है। समर्थन देने वाले संगठनों की फेहरिस्त भी 100 से अधिक हो चुकी है। गैरकिसान संगठन दिल्ली और आसपास के राज्यों से भी पहुंच रहे हैं। इनके साथ भीड़ भी आती है, जिन पर धरनारत किसानों का नियंत्रण नहीं होता। वे इधर-उधर घूमते और बयानबाजी करते हैं। कुछ लोग अर्मादित टिप्पणी कर देते हैं।

बॉर्डर पर दिल्ली की तरफ जहां फोर्स खड़ी है, वहां पर ज्यादातर लोग जाते रहते हैं। इसलिए किसानों को डर है कि बाहरी लोग आंदोलन को बर्बाद न कर दें। उन पर भी गैरजरूरी टिप्पणी करने से वे बाज नहीं आते। इसलिए यहां किसानों ने फोर्स की बैरिकेड्स के पास युवाओं को मुश्तैद किया है कि वहां से गुजरने वालों से पूछ लिया करें। ऐसी स्थिति हमारे साथ भी पेश आई, जब हम पुलिस टीम की ओर बढ़ रहे थे। कुछ युवाओं ने हमें रोका और पूछा कि भाई उधर कहां? हमने बताया कि मीडिया से हैं तो जाने दिया। पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि धरनास्थल के अलग-अलग हिस्सों में हमने युवाओं की टीमें लगाई हैं, ताकि बाहर से आने-जाने वालों पर नजर रखी जा सके।

पंजाब के किसान नेता सतनाम सिंह बेहरू ने कहा कि लोगों को हमने कई बार मंच पर न आने की अपील की है। कुछ दिनों में बॉर्डर पर विभिन्न राज्यों से 100 से अधिक संगठन समर्थन दे कर गए हैं। इनमें शाहीनबाग की महिलाओं से लेकर जेएनयू और डीयू छात्रों की टीम तक शामिल है। वहीं, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति व मच्छवारा संघ महाराष्ट्र, मेधा पाटकर के संगठन से लेकर सीटू, एआईकेएस और खापों तक ने आकर समर्थन दिया है, लेकिन जिस तरह शाहीनबाग और जेएनयू से आकर आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है। इससे आंदोलनरत किसानों को चिंता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को लोग कहीं अलग नजरिये से न देखें। एक दिन पहले ही शाहीनबाग वाली दादी आई थीं, उन्हें तो पुलिस ने लौटा दिया था। कई राजनीति लाेगों को तो मंच से विरोध कर भगा चुके हैं।

गैस सिलेंडर संभाल कर रखें

पंजाब से जितने भी किसान ट्रैक्टर ट्राॅली लेकर आए हैं, सभी में गैस सिलेंडर रखे हैं। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के गुरुद्वारे जो लंगर सेवा कर रहे हैं, उनके भी बड़ी संख्या में गैस सिलेंडर यहीं हैं। इससे यहां हजारों की संख्या में गैस सिलेंडर हैं। रोज शाम को मंच से किसानों को अलर्ट किया है कि अपने सिलेंडरों को संभाल कर रखें। एरिया अनुसार किसानों की घूमने के लिए ड्यूटी लगती है।

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