दुनिया में बदनाम चीन:यूरोपियन और नॉर्थ अमेरिकन देशों के मिलिट्री ग्रुप NATO ने चीन को आने वाले दशक में दुनिया के लिए खतरा मानायूरोपियन और नॉर्थ अमेरिकन देशों के मिलिट्री ग्रुप नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) ने चीन को आने वाले दशक में दुनिया के लिए खतरे बताया है। NATO के एक्सपर्ट ग्रुप की रिपोर्ट ”यूनाइटेड फॉर अ न्यू ईरा” में इसका जिक्र किया गया है। बुधवार को इसे जारी किया गया। NATO की इस रिपोर्ट में चीन को विस्तारवादी, सत्ता के लिए लोकतंत्र को खुली चुनौती देने वाला देश बताया गया है।
अटलांटिक तक अपनी पहुंच बढ़ाने में जुटा चीन
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन फुल स्पेक्ट्रम सिस्टमेटिक प्रतिद्वंदी है। इकनॉमिक मजबूती का मंझा हुआ खिलाड़ी है। ये एशिया की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसने अपनी मिलिट्री पहुंच अटलांटिक तक बढ़ानी शुरू कर दी है। रूस के साथ चीन के संबंध मजबूत हो रहे हैं। दोनों मिलकर लंबी रेंज वाली मिसाइलें, एयरक्राफ्ट, एयरक्राफ्ट कैरियर, न्यूक्लियर अटैक सबमरीन जैसे हथियार बड़े पैमाने पर तैयार कर रहे हैं।
NATO की रिपोर्ट में और क्या कहा गया है?
चीन का प्रभाव हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
इसने बेल्ट एंड रोड, पोलर सिल्क रोड, साइबर सिल्क रोड का तेजी से विस्तार किया है।
ये तेजी से यूरोप के इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्युनिकेशन का अधिग्रहण कर रहा है।
चीन पूरी दुनिया में कई बार साइबर अटैक कर चुका है। दूसरे देशों की इंटलेक्चुअल प्रॉपटी चोरी कर रहा है।
चीन व्यापारिक समझौतों के लिए खतरा बन चुका है।
चीन के खिलाफ खड़े मित्र देशों की रक्षा करनी चाहिए
NATO के विजन 2030 में कहा गया है कि ग्रुप के सभी देशों को मिलकर चीन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे मित्र देशों की रक्षा करनी चाहिए। उनकी सुरक्षा और उन्हें मजबूत करने का काम करना चाहिए। चीन को यह मालूम होना चाहिए कि NATO के मित्र देशों का वह फायदा नहीं उठा सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि NATO के अंदर राजनीतिक मतभेदों का सीधा फायदा रूस और चीन को मिलेगा। इससे वह हमारी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और हमें कमजोर बना सकते हैं।