किसान आंदोलन:धरने से किसानों को घाटा, दिल्ली में नहीं जा पा रही महंगी सब्जी, उद्योग जगत भी संकट मेंसिंघु बॉर्डर पर किसान आंदाेलन से यहां के किसान भी घाटे में हैं। बॉर्डर पर 6500 से अधिक ट्रक खड़े होने से उद्योग जगह भी संकट में है। रास्ता बंद होने से स्थानीय किसान व आमजन पूरी तरह से प्रभावित हाे रहा है।
किसानाें की दिल्ली व राजस्थान समेत अन्य क्षेत्राें में जाने वाली सब्जियां बंद हाे गई हैं। बाहर से ही भी पानीपत की मंडी में आने वाली सब्जियां व फलाें की आवक आधे से भी कम हाे गई है।
उद्योग को रोजाना 280 करोड़ का नुकसान : पानीपत इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान उद्यमी प्रीतम सिंह सचदेवा ने कहा कि पिछले 6 दिनों से न तो एक्सपोर्टर हो रहा न देश में कहीं माल जा रहा है। मशीन लदे कंटेनर की ट्रेन जयपुर में रुकी हुई है। सालाना 105 हजार करोड़ रुपए कारोबार वाले हैंडलूम उद्योग को रोजाना करीब 280 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
बाहर से आने वाली सब्जियाें की आवक बंद
पानीपत अनाज मंडी में आलू प्रतिदिन 700 से 800 क्विंटल तक आवक हाेनी चाहिए, लेकिन यह 200 क्विंटल तक भी नहीं आ रहा।
इससे आम आदमी काे आलू अब भी 50 रुपए प्रति किलाे तक ही मिल रहा है। जबकि आवक पूरी हाेती ताे आलू का भाव 20 रुपए प्रति किलाे तक हाे जाता। ऐसे ही प्याज भी 60 रुपए से कम नहीं हुआ।
इसके विपरीत पानीपत जिला में 2000 एकड़ में उगी फूल व बंद गाेभी, हरी प्याज, पालक, मेथी, मूली व गाजर समेत अन्य सब्जियाें का निर्यात भी पूरी तरह से बंद है। रिलायंस व मदर डेयरी समेत अन्य कंपनियां भी पानीपत नहीं आ रही है।
असर: मेटल व फुटवियर इंडस्ट्री भी प्रभावित
यमुनानगर: किसान आंदोलन का असर प्लाइवुड इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। फेस विनियर के करीब 350 कैंटर फंसे हुए हैं। इससे नया बोर्ड तैयार नहीं हो पा रहा है। लक्कड मंडी में भी लकड़ी की आवक कम हो गई है। हर दिन यमुनानगर से करीब 150 ट्रक प्लाइवुड के दिल्ली जाते हैं। लेकिन वे नहीं जा पा रहे। दिल्ली से होकर ही दूसरे राज्यों में मेटल का सामान जाता है।
रेवाड़ी: किसान आंदोलन की वजह से रोडवेज प्रबंधन ने चंडीगढ़ के लिए बसों का संचालन सीमित कर दिया है और पंजाब के लिए चलने वाली बसें बंद कर दी है। सोमवार को चंडीगढ़ के लिए दो बस वाया रोहतक-पानीपत के रास्ते भेजा गया है।
बहादुरगढ़: फुटवियर इंडस्ट्री में लगी करीब 300 फैक्ट्रियों के कच्चा माल न आने से काम आधा हो गया है। फिलहाल इंडस्ट्री के संचालक अपने माल की केएमपी की तरफ से भेज रहे हैं।
कैथल फलों की सप्लाई दिल्ली की आजादपुर मंडी से होती थी, जो किसानों के आंदोलन के चलते अब बंद हो गई है। ऐसे में व्यापारी अब जयपुर से फलों को मंगवा रहे हैं।