गाय के पेट से निकला 63 किलो पॉलीथिन, दुर्दशा देख बनी गोसेवक आर्मी रोज दे रही चारा-पानी

युवाओं की अच्छी पहल:गाय के पेट से निकला 63 किलो पॉलीथिन, दुर्दशा देख बनी गोसेवक आर्मी रोज दे रही चारा-पानी7 से 40 वर्ष के युवा खुद आर्थिक मदद जुटा चलाते हैं शहर में गोसेवा का प्रकल्प, टीम में 40 फीसदी विद्यार्थीसोशल मीडिया पर बीमार गाय के पेट से ऑपरेशन के दौरान निकला 63 किलो ग्राम पॉलीथीन कचरा देख बेचैन हुए युवाओं ने बेजुबान की मदद की ठानी। इसके लिए गोसेवक भगत सिंह आर्मी का गठन किया। जो साढ़े 3 साल से शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक गोवंश सहित सभी बेसहारा-बीमार और घायल बेजुबान जीवों के चारा-पानी और इलाज का इंतजाम कर रही है।

सामान्य परिवारों से आने वाले 17 से 40 वर्ष आयु वर्ग की इस टीम में 40 फीसदी विद्यार्थी हैं। ये खुद की आर्थिक मदद से 24 घंटे सेवा का निरंतर प्रकल्प चलाते हैं। मोबाइल फोन पर एक मैसेज से ही पूरी टीम निर्धारित स्थान पर सहयोग के लिए जुट जाती है। खास बात है की टीम का कोई भी सदस्य अपना नाम बताने को तैयार नहीं है। उनका कहना है की सभी युवाओं की मदद से सामाजिक सेवा का यह अभियान निरंतर संचालित हो रहा है। इस संगठन में कोई पदाधिकारी नहीं है। सभी सेवक हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि किसी भी तरह की सियासतबाजी से गोसेवक भगत सिंह आर्मी को बचाया जा सके।

चारा-पानी के लिए शहर में कई जगह बनवाई खोर-खेल
गोसेवक भगत सिंह आर्मी के सबसे सीनियर साथी दलबीर राठी ने बताया कि शहर में विभिन्न विभिन्न स्थानों पर खोर और खेल का निर्माण कराया गया है। जहां पर नियमित सुबह-शाम जनसहयोग से चारा पानी का प्रबंध किया जाता है। इन स्थानों में गौड़ कॉलेज, सुखपुरा चौक, माता दरवाजा चौक, नए बस स्टैंड के पास, सेक्टर 2-3 मार्केट की पुलिया के पास, बजरंग भवन मंदिर, जिमखाना क्लब के नजदीक महादेव मंदिर और पाड़ा मोहल्ला आदि स्थानों पर चारा पानी का इंतजाम किया जाता है।

एक रुपए और एक रोटी के सहयोग से हुई शुरुआत
गोसेवक आर्मी के सदस्य बताते हैं कि साढ़े 3 वर्ष पहले युवाओं के सहयोग से ही गो सेवक भगत सिंह आर्मी का जन्म हुआ था। शुरुआत में एक रुपए और एक रोटी के सहयोग का अभियान चलाया गया। इसमें शहर वासियों विशेषकर युवाओं ने खास दिलचस्पी दिखाई और कुछ महीने में ही समाजसेवियों की फौज खड़ी हो गई।आज खुद से ही शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक के युवा उत्साह के साथ सहयोग दे रहे हैं। जहां भी किसी गोवंश या अन्य पशु पक्षी के घायल बीमार होने की खबर आती है, तुरंत युवाओं की टीम मौके पर पहुंचती है। उसे इलाज के लिए गोशाला व अस्पताल तक ले जाती है।

फायरिंग के बाद भी नहीं टूटा हौसला, गो तस्करी रोकने को लगाते हैं नाका
गोसेवक भगत सिंह आर्मी गो तस्करों से भी लोहा लेती रही है। ये साथी निहत्थे होकर भी खबर लगते ही संबंधित रोड पर नाके लगाकर गो तस्करों को रोकते हैं। अब तक 3 बार इनके ऊपर फायरिंग भी हो चुकी है। फिर भी गोसेवा का इनका उत्साह कम नहीं है, हालांकि इन युवाओं का दर्द भी है कि जब गो तस्करों की सूचना पर वे संबंधित थाने तक जाकर पुलिस फोर्स की मदद मांगते हैं तो उनको सहयोग के बजाय फटकार कर भगा दिया जाता है। उनकी मांग है कि जिले के शीर्ष अधिकारी अपने स्तर से सभी थानों में यह सुनिश्चित कराएं कि जब भी गो सेवक भगत सिंह आर्मी की टीम सहयोग मांगे तो उन्हें पुलिस बल उपलब्ध कराया जा सके।

कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक करती है टीम
कोविड-19 के दौर में भी इन युवाओं ने बेजुबानों की सेवा के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए समय-समय पर अभियान चलाया। वे अपने मोहल्लों व आसपास के चौक -चौराहों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच कर आमजन को कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक करते हैं।

निस्वार्थ भाव से उत्साही युवाओं की टीम 24 घंटे मदद के लिए रहती है तैयार
गोसेवक भगत सिंह आर्मी उत्साही युवाओं की मजबूत टीम है जो निस्वार्थ भाव से बेसहारा गोवंश व अन्य पशु पक्षियों की 24 घंटे मदद को तैयार रहती है कुछ दिन पहले एक बीमार गाय के इलाज को लेकर इन साथियों से मुलाकात हुई थी तब से इनके निस्वार्थ सेवा प्रकल्प के साथ हूं इनकी कुछ दिक्कतें थी उनको दूर कराया गया है आगे भी इनका निरंतर सहयोग किया जाता रहेगा। -राजेश लूंबा टीनू, प्रधान, सीता देवी संतोष देवी राधे-राधे सेवा समिति।

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