किसान आंदोलन:इंडस्ट्री संचालक बोले- लॉकडाउन से भी बुरे हुए हालात; पानीपत का एक्सपोर्ट, राई की फूड इंडस्ट्री से लेकर ऑनलाइन डिलीवरी तक प्रभावितसुबह मीटिंग, दिनभर धरना, कोरोना का डर नहीं, इसलिए न मास्क, न सोशल डिस्टेंसिंग
शाम होते ही ट्रालियों के पास लगती हैं मंडलियां, किसानों के खुले में शौच से लोग परेशानरविवार को किसानों के आंदोलन का चौथा दिन रहा। किसान हाईवे पर कुंडली बॉर्डर से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसका बड़ा नुकसान आमजन और जरूरत के सामान की सप्लाई पर पड़ा है। फल सब्जियों और दवाइयों तक के ट्रक फंस गए हैं। सामान ट्रकों में ही खराब होने लगा है। किसानों के बीच फंसे ट्रकों के ड्राइवर और परिचालक वहीं रात गुजार रहे हैं। पानीपत का एक्सपोर्ट, राई की फूड इंडस्ट्री से लेकर ऑनलाइन डिलीवरी तक प्रभावित हो रही है।
फूड इंडस्ट्री के संचालक अमित कुमार बोले- मौसम और मांग के अनुसार समान तो पहले से तैयार है, लेकिन अब कहीं भी भेज ही नहीं पा रहे। यह लॉकडाउन से भी बुरी स्थिति हो गई है। उसमें लेबर नहीं आ रही थी तो समान बन भी नहीं रहा था, लेकिन अब समान बन गया है, लेकिन नहीं जाने से खराब हो रहा है। कुंडली बॉर्डर पर फंसे ट्रक चालकों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे ट्रकों में फल-सब्जियां और दवाइयां हैं, जो समय पर नहीं गई तो खराब हो जाएंगी। काफी चीजें तो खराब होने भी लगी हैं।
रात को ट्रक में लेटे ड्राइवर प्रदीप सिंह ने बताया कि किसान तो अपनी मांगों के लिए मर्जी से सड़कों पर सो रहे हैं, लेकिन हमें बिना वजह ट्रकों में रात गुजारनी पड़ रही है। 3 दिन से एक इंच भी नहीं खिसक पाए हैं। डिलीवरी कंपनी के ट्रक में बैठे ड्राइवर हरिओम ने बताया कि हमारी कंपनी के 20 से ज्यादा ट्रक यहां फंसे हैं, जिनमें न केवल सोनीपत बल्कि चंडीगढ़ की तरफ के आधे हरियाणा में ऑनलाइन डिलीवरी वाला सामान है। लोग कंपनी को मैसेज किए जा रहे हैं। हम डिलीवरी नहीं कर पा रहे हैं।
कोरोना से बेखोफ किसान: कुंडली बॉर्डर पर सुबह किसानों की मीटिंग होती है, दिनभर हाईवे पर धरना चलता है और देर शाम को धरने से उठ जाते हैं। ट्रालियों के अंदर और आसपास छोटी मंडलियां सजती हैं। जिनमें न केवल गाना बजाना होता है, बल्कि किसान नाच-कूदकर मनोरंजन करते हैं। यहीं बिस्तर लग जाते हैं और न केवल ट्रालियों के अंदर, नीचे भी किसानों के बिस्तर लगते हैं। पंजाब के एक हरविंद्र सिंह रात ढाई बजे चाय बनाते दिखे तो कारण पूछा। उन्होंने कहा कि काफी समय से सोने की कोशिश कर रहा हूं, घर वालों की याद आ रही है इसलिए नींद नहीं आ रही।
सोनीपत में 3500 फैक्ट्री में कामकाज प्रभावित
एनएच-44 जाम होने से फैक्ट्रियों के लिए मुसीबत हो गई है। रॉ मैटीरियल खत्म हो रहा है। तैयार माल भेजे नहीं जा पा रहे हैं। सोनीपत में करीब साढ़े तीन हजार फैक्ट्रियां और यूनिट प्रभावित हो रही हैं। इनसे 200 से 300 करोड़ तैयार माल डिस्पैच होता है। कुछ माल और राॅ मैटेरियल के ट्रक रास्ते में फंसे हैं।
जयपुर में रुकी कंटेनर वाली ट्रेन, 6 हजार ट्रक फंसे
हाईवे पर किसानों के परेशान करने वाले धरने से उद्योग जगत फिर से मुसीबत में हैं। जयपुर में कंटेनर वाली ट्रेन रुकी हुई है। दिल्ली के बॉर्डरों पर करीब 6 हजार ट्रक फंसे हैं। पिछले 5 दिनों से कारोबार प्रभावित है, जिससे एक्सपोर्टरों व कारोबारियों को करीब 1400 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
आसपास के लोगों की बढ़ी परेशानी, किसानों के लिए ढाबे बने सहारा
किसानों का आंदोलन बॉर्डर के आसपास के रहने वालों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। अल सुबह किसान खुले में शौच के लिए निकल जाते हैं, जिससे वहां रहने वाली महिलाओं व आसपास के खेत वालों को परेशानी हो रही है। दिन में भी शौच आदि करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जिन किसानों के ट्रैक्टर-ट्राली पीछे की तरफ हैं और जो अभी आ रहे हैं, उनके लिए ढाबे सहारा बने हैं। ढाबों के बाथरूम आदि के आगे किसानों की भीड़ लगी रहती है।