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प्रतिबंध का असर:ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा- कोरोना के दौर में दोस्तों ने भी साथ नहीं दिया

प्रतिबंध का असर:ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा- कोरोना के दौर में दोस्तों ने भी साथ नहीं दिया, अमेरिका कुछ तो इंसानियत दिखाएरूहानी ने कहा कि कोरोनावायरस की वजह से ईरान को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा- हमारे मित्र देशों को चाहिए था कि इस दौर में अमेरिकी प्रतिबंधों को नकार देतेईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि कोरोनावायरस की वजह उनका देश मुश्किल में है, और ऐसे वक्त में भी उन्हें मित्र देशों से मदद नहीं मिल सकी। राजधानी तेहरान में शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान हसन ने कहा- हमारे मित्र देशों को इस वक्त अमेरिकी प्रतिबंधों की फिक्र छोड़कर हमारा साथ देना चाहिए। अमेरिका को भी कुछ इंसानियत दिखाना चाहिए थी।

ईरान में अब तक 3 लाख 80 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसी दौरान 22 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। ईरान और अमेरिका के बीच 2015 में न्यूक्यिर प्रोग्राम आगे न बढ़ाने के डील हुई थी। दो साल पहले ट्रम्प सरकार ने करार रद्द कर दिया। इसके बाद ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगे। हालांकि, दवाएं और दूसरी जरूरी चीजें ईरान इम्पोर्ट कर सकता है।

दोस्तों ने मायूस किया
रूहानी ने किसी मित्र देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन ये जरूर साफ कर दिया कि इन देशों के रवैये से ईरान बेहद मायूस है। रूहानी ने कहा- कुछ महीनों पहले कोरोनावायरस ईरान पहुंचा। कोई हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया। हमारे मित्र देश भी अमेरिकी प्रतिबंधों के डर की वजह से मदद को तैयार नहीं हुए। कम से कम इस वक्त तो उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए थी। ईरान कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक है।

अमेरिका को मानवता दिखानी चाहिए
अमेरिका को लेकर रूहानी के तेवर पहले की तरह सख्त नहीं थे। उन्होंने कहा- अमेरिकी सरकार को इस मुश्किल दौर में मानवता के नाते हमारी मदद करनी चाहिए थी। उनके दिमाग में कुछ तो इंसानियत होगी। उसे कम से कम एक साल के लिए ईरान पर से प्रतिबंध हटा लेना चाहिए। लेकिन, अब तक तो ऐसा नहीं हुआ। हम सात महीने से महामारी झेल रहे हैं। अमेरिका की वजह से एक भी देश हमारे साथ नहीं आया।

लेकिन, झूठ बोल रहे हैं रूहानी
रूहानी ने शनिवार को अमेरिका के बारे में जो कहा, वो सफेद झूठ है। और इसके तमाम सबूत मौजूद हैं। मार्च में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक डिप्लोमैटिक नोट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा था कि वो ईरान की मदद को तैयार है। ट्रम्प सरकार ने कहा था कि यह मदद यूएन के जरिए भी पहुंचाई जा सकती है। लेकिन, ईरान के सबसे बड़े धर्मगुरू अयातुल्लाह खमैनी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था- अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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