कागजों में किए दावे जमीन पर नहीं:कैल में कचरा खत्म करने व डब्ल्यूजेसी में गिर रहे गंदे पानी को साफ करने के नहीं लगे कामकैल प्लांट में पहाड़ की तरह लगे कचरे के ढेर और डब्ल्यूजेसी में सीधे गिर रहे गंदे नालों के गंदे पानी पर एनजीटी के आदेशों के बावजूद नगर निगम की कार्रवाई सुस्त दिख रही है। हालांकि नगर निगम कैल में कचरे को खत्म करने और डब्ल्यूजेसी में गिर रहे नालों के पानी को प्यूरीफाई करने के वर्क अलॉट कर चुका है, लेकिन कागजों में किए दावों मुताबिक जमीन पर काम नहीं दिख पाया है।
8.40 करोड़ से खत्म होना है कैल का 1.14 लाख टन कचराः सभी यूएलबी (अर्बन लोकल बॉडी) को एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल) ने शहरों में डंप साइड से कचरा खत्म करने के लिए सात अप्रैल 2021 तक डेडलाइन दी है। इसके बचे चार माह में नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के सामने कैल प्लांट में छह साल का डंप 1.14 लाख टन कचरे को खत्म करने की चुनौती है। इससे पार पाने को एक साल से निगम अफसर प्लांट के कचरा की मात्रा व उसके निस्तारण के लिए एस्टिमेट बनने में उलझे रहे, लेकिन उनके बताए कचरे की मात्रा व एस्टिमेट में बार-बार गड़बड़ी के आरोपों निदेशालय ने सीधे फर्मों से रेट लिए।
रेट सबमिट करने वाली दस फर्मों में से नोएडा की भारत विकास ग्रुप के 737 रुपए प्रति टन कचरा निपटान रेट को अप्रूवल दे दी। यानी अनुमानित 8.40 करोड़ खर्च से काम लगना था, जो वर्क अलॉट के माहभर में भी काम नहीं लग पाया है।58 लाख में केमिकल से प्यूरीफाई करना है नालों का पानी|आजादनगर (शांति कॉलोनी), यमुना विहार, यमुना गली व पुराना हमीदा समीप यमुना नहर में सीधे गिरते नालों से दूषित होते नहर के पानी को लेकर पॉल्यूशन कंट्रोल ने कई बार बोर्ड पब्लिक हेल्थ व नगर निगम को नोटिस दिए, लेकिन कई वर्षों तक हल नहीं निकला।
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की कार्रवाई से बचने के लिए नगर निगम अफसरों ने वैकल्पिक रास्ता तैयार किया। नालों को पाइप लाइन के जरिए एसटीपी से जोड़ने के प्रोजेक्ट पर सिंचाई विभाग की ऑब्जेक्शन के बाद तीन माह के लिए नालों का पानी केमिकल से प्यूरीफाई कर नहर में गिराने की प्लानिंग बनाई। इस पर अनुमानित 58 लाख का टेंडर दिल्ली की शिवा ग्लोबल एनवायरमेंटल प्राइवेट लिमिटेड को अलॉट किया था। जिसे इन-सीटू बायोरेमेडिएशन प्रोजेक्ट के तहत नाले से नहर में गिरते पानी में बीओडी 30, सीओडी 150, टीएसस 100, पीएच- 6.5-9.0 एमजी प्रति लीटर लाना था। लेकिन अब भी नालों का गंदा पानी सीधे नहर में गिर रहा है।