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आस्था के जले दीप:217 साल में पहली बार कानपुर में काशी-हरिद्वार जैसी गंगा आरती;

आस्था के जले दीप:217 साल में पहली बार कानपुर में काशी-हरिद्वार जैसी गंगा आरती; 11 हजार दीये जले, 11 माह पहले PM ने यहीं की थी आरती1803 में कानपुर को अंग्रेजों ने जनपद घोषित किया था, तब से यहां गंगा आरती का कभी भव्य आयोजन नहीं हुआ
मंडलायुक्त बोले- अभी यह ट्रायल था, आयोजन के लिए गंगा आरती समिति बनेगी, अगले छह माह में माह में एक दिन होगी आरतीहरिद्वार, काशी और चित्रकूट की तर्ज पर अब हर शाम उद्योग नगरी कानपुर में गंगा आरती होगी। वैसे तो यहां मां गंगा की सुबह-शाम आरती होती रही है, लेकिन एक उत्सव की तरह कानपुर के 217 साल के इतिहास में पहली बार हुई है। शाम 5 बजे से यहां अटल घाट पर श्रद्धालुओं का जमघट होने लगा था। सूर्य के अस्त होने के साथ ही अटल घाट 11 हजार दीपों की रोशनी से जगमगा उठा। घंटा-घड़ियाल और शंख की ध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा की विधिवत आरती हुई। हालांकि यह आयोजन एक ट्रायल के तौर पर था, जो सफल रहा। इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनकर लोग अपने को धन्य मान रहे थे।हम क्यों कह रहे कि 217 साल में पहली बार आयोजन हुआ?

दरअसल, 24 मार्च 1803 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने कानपुर को जिला घोषित किया था। तभी से 24 मार्च को कानपुर जिले का स्थापना दिवस मनाया जाता है। कानपुर के इतिहास की जानकारी रखने वाले सोशल एक्टिविस्ट अशोक सिंह दद्दा ने बताया कि कानपुर जनपद की स्थापना काल से कभी यहां काशी-हरिद्वार, प्रयागराज या चित्रकूट की तर्ज पर प्रतिदिन होने वाली आरती नहीं हुई। पिछले साल जब PM नरेंद्र मोदी दिसंबर माह में कानपुर आए थे तो उन्होंने अटल घाट पर ही गंगा आरती की थी। लेकिन भी कानपुर के लंबे इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है। कानपुर का जुड़ाव भगवान राम के पुत्रों लवकुश से भी है। यहीं बिठूर में उनका जन्म हुआ था। आज गंगा मां भी खुश हो गईं।कोविड गाइडलाइंस का हुआ पालन

गंगा आरती के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस का भी पालन किया गया। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के साथ मेयर प्रमिला पांडे व मंडलायुक्त डॉ.राजशेखर शामिल हुए। सभी ने गंगा आरती कर आयोजन का शुभारंभ किया। आरती के दौरान अधिकतम 100 लोगों को ही उपस्थित रहे। आरती पूरे विधि विधान से की गई। यह अद्भुत नजारा मौके पर मौजूद लोगों को हरिद्वार, काशी व चित्रकूट की गंगा आरती का एहसास करा रहा था तो वहीं काशी की तर्ज पर पुरोहितों के लिए आसन भी लगाए गए थे। शाम होते-होते कानपुर के अटल घाट का नजारा बेहद सुंदर और अलग नजर आ रहा था।जिला प्रशासन किसी संस्था को ये दायित्व सौंपने की तैयारी में

यह आयोजन मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर के निर्देशन में शुरू किया गया है। ट्रायल की सफलता के बाद गंगा आरती के आयोजन को अटल घाट पर नियमित किए जाने की तैयारियों को पंख मिल गए हैं और जल्द ही जिला प्रशासन या किसी अन्य संस्था की देखरेख में गंगा आरती कार्यक्रम रोज शाम को पांच बजे से एक घंटे के लिए यह जाने की व्यवस्था अब की जा रही है। जिसके लिए मौके पर मौजूद मंत्रियों से लेकर व्यापारियों ने आगे बढ़कर इस आयोजन को रोज कराने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग करने की बात भी कही है।क्या बोले कानपुर कमिश्नर?

कानपुर के कमिश्नर डॉ. राजशेखर ने बताया कि इस पहले ट्रायल आरती की सफलता को देखते हुए नगर निगम एक “गंगा आरती आयोजन समिति” की स्थापना करेगा। समिति वाराणसी और हरिद्वार भ्रमण कर आरती का अध्ययन करेगी और फिर अगले 6 महीनों के लिए एक महीने में एक दिन आरती की योजना बनाएगी और फिर अगले छह महीनों के लिए हर सप्ताह एक आरती करेगी। एक वर्ष के बाद, एक बार जब चीजें स्थिर हो जाती हैं, तो अटल घाट पर हर दिन आरती की जाएगी। यह स्वच्छ और अविरल गंगा के बारे में जागरूकता के साथ-साथ कानपुर के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।

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