पटरी पर लौट रही व्यवस्था:अब रोजाना औसतन 31 हजार किमी चल पौने 8 लाख का रेवेन्यू ला रहीं बसें, हिसार-सिरसा जाने को अभी भी 25 मिनट की वेटिंग156 में से 97 बसें हुईं ऑन रूट, गैर जरूरी रात्रि ठहराव बंद करने की तैयारी, राजस्व बढ़ाने काे शेड्यूल में होगा बदलावकोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के बाद रोडवेज विभाग अभी तक पहले जैसी स्थिति मेंं नहीं पहुंच पाया है। लेकिन फिर भी अक्टूबर महीने में जिला रोडवेज की 156 में से 97 बसें ऑन रूट होने तथा बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ने से अब जिला रोडवेज की बसें प्रतिदिन औसतन 31 हजार किलोमीटर चलना शुरू हो गई हैं। इससे विभाग के प्रतिदिन आने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
अब जिला रोडवेज को प्रतिदिन साढ़े 7 से पौने 8 लाख रुपये राजस्व आ रहा है। राजस्व को और अधिक बढ़ाने के लिए विभाग अब शेड्यूल में कई प्रकार के बदलाव करेगा। इसके तहत जहां कम रिसिप्ट वाले रूटों के फेरे बंद होंगे वहीं इन रूटों पर चेंकिंग भी बढ़ाई जाएगी। वहीं लोकल रूटों पर बसें बिना टाइम टेबल के ही चल रही हैं। इसके अलावा हिसार व सिरसा रूट पर बस के लिए यात्रियों को 20 से 25 मिनट तक इंतजार करना पड़ रहा है।
सिरसा व हिसार के लिए अधिक सवारियां फिर भी लंबी वेटिंग
फतेहाबाद से सिरसा व हिसार दोनों रूट सबसे व्यस्त रूट हैं। लेकिन इन दोनों रूटों पर बसों के लिए यात्रियों को 20 से 25 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है। अधिकारी इसका कारण दूसरे जिलों से आ रही बसों की कम संख्या बता रहे हैं।
चंडीगढ़ और पंजाब सेवा शुरू होने से बढ़ा रोडवेज का राजस्व
पिछले सप्ताह ही रोडवेज विभाग को पंजाब व उत्तरप्रदेश सरकार ने बसें भेजने की अनुमति दी थी। इसके बाद से विभाग ने जिले में वाया पंजाब चंडीगढ़, हरिद्वार के लिए बसें शुरू की थी। इसके अलावा रतिया, जाखल व टोहाना से भी पंजाब के साथ लगते एरिया में बसें शुरू की गई थी। जिसके चलते राजस्व में बढ़ोतरी हुई है।
अक्टूबर में बढ़ी टीआर
यदि पिछले साल अक्टूबर महीने से तुलना करें तो इस बार ट्रैफिक रिसिप्ट में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल अक्टूबर में ट्रैफिक रिसिप्ट 21.74 रुपये थी जो इस बार 24.05 है। वहीं डीजल में पिछले साल 1 लीटर में बसें 4.98 किलोमीटर चल रही थे जो अब प्रति लीटर में 5.02 किलोमीटर की औसत दे रही हैं।
कुछ जगह रात्रि ठहराव में गड़बड़ी कर रहे चालक और परिचालक
रोडवेज की कई बसें लोकल रूटों पर रात को गांवों में ठहराव कर रही हैं। इसके पीछे का सच यह भी है कि जहां बसें रात को रुकती हैं वहीं आसपास चालक व परिचालक के गांव है। ऐसे में वे कर्मचारी अपने परिचित लोगों से अधिकारियों को ज्ञापन दिलाकर उन गांवों में रात्रि ठहराव करवा रहे हैं। ऐसा करने से एक तो कर्मचारी अपने घर तक बस लेकर जाते हैं जबकि उन्हें नाइट के 400 रुपये भी विभाग देता है।
7 महीने से 1 किलोमीटर भी नहीं चली किलोमीटर स्कीम की बसें
यहां बता दें कि सरकार की किलोमीटर स्कीम के तहत जिला रोडवेज में 20 बसें शुरू की गई थी। लेकिन सवारियों की संख्या कम होने के चलते इनमें से अभी तक एक भी बस ऑन रूट नहीं हो पाई है। इन बसों के रूटों पर अभी तक रोडवेज बसें ही चल रही हैं।