गैस की कालाबाजारी रोकने पायलट प्रोजेक्ट:अब उपभोक्ताओं को बिना ओटीपी बताए नहीं मिलेगा सिलेंडर,

गैस की कालाबाजारी रोकने पायलट प्रोजेक्ट:अब उपभोक्ताओं को बिना ओटीपी बताए नहीं मिलेगा सिलेंडर, शहर की 10 गैस एजेंसियों से जुड़े डेढ़ लाख उपभोक्ताओं पर होगा नियम लागूघरेलू गैस की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने एक प्लानिंग तैयार की है। अब उपभोक्ताओं को बिना ओटीपी नंबर बताए गैस सिलेंडर नहीं मिलेगा। 1 नवंबर से नए नियमों के तहत व्यवस्था लागू की जाएगी। ऐसे में जिन उपभोक्ताओं का मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड नहीं है वह गैस एजेंसी में गैस बुकलेट और फोन लेकर जाकर रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। बुकिंग भी ओटीपी नंबर के साथ होगी और डिलीवरी के दौरान भी ओटीपी नंबर दिखाना होगा।

शुरुआत में उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ सकती है, लेकिन कालाबाजारी को रोकने के लिए यह कदम अहम है। गैस एजेंसियों के कारिंदे दूसरों की कॉपी पर सिलेंडर भरवाते रहते हैं। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी होती है। इस व्यवस्था को जांचने के लिए करनाल और फरीदाबाद में नए नियम शुरू किए जा रहे हैं। इसके परिणाम बेहतर मिले तो पूरे हरियाणा में इन नियमों के तहत ही सिलेंडर मिलेगा। शहर के एलपीजी उपभोक्ताओं को अब बुकिंग के बाद अपने मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी नंबर को बताने के बाद ही गैस सिलेंडर की डिलीवरी मिलेगी।

बुकिंग कराने वाले असली उपभोक्ता को ही सिलेंडर की डिलीवरी मिलेगी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद एजेंसी कर्मचारी अपनी मर्जी के बुक सिलेंडर को किसी अन्य उपभोक्ता को नहीं दे पाएंगे। शहर में 10 गैस एजेंसी हैं और इन पर डेढ़ लाख उपभोक्ता जुड़े हुए हैं। सरकार की तरफ से करवाए जा रहे इस प्रोजेक्ट पर करनाल में विभिन्न गैस एजेंसी कर्मचारी और संचालकों की ट्रेनिंग हो चुकी है।

गैस एजेंसी संचालकों की मांग है कि नई व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करने में और टाइम दिया जाए, ताकि लोगों को भी इसकी आदत हो और वेंडर्स भी कार्यप्रणाली को सही से समझ लें। पुराने नियमों में एक मोबाइल फोन से दो गैस कनेक्शन भी रजिस्टर्ड हो जाते हैं। जिस कारण गैस ब्लैक करने वाले रसोई गैस का मिसयूज करते थे, लेकिन नए नियमों के तहत एक मोबाइल फोन से एक गैस कनेक्शन ही चालू रहेगा। दूसरा कनेक्शन कट जाएगा। इससे सभी लोगों को गैस कनेक्शन लेना पड़ेगा।

घर के मुखिया का नंबर ही होता रजिस्टर्ड, बढ़ेगी परेशानी

अक्सर गैस कनेक्शन पर घर के मुखिया का फोन नंबर रजिस्टर्ड होता है। ऐसे में घर से कोई दूसरा सदस्य जाएगा तो उन्होंने मुखिया से ओटीपी नंबर पूछना पड़ेगा। इस स्थिति में डिलीवरी देने जा रहे कर्मचारी का टाइम अधिक लगेगी। एजेंसी संचालक बताते हैं कि जो कर्मचारी दिन में 100 सिलेंडर डिलीवर करता था, नई व्यवस्था से वह सिर्फ 20 सिलेंडर ही दे पाएगा। इससे वेटिंग लिस्ट बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को सिलेंडर देने में दिक्कत आएगी। गैस डिलीवरी के लिए कम पढ़े लिखे लोग लगाए हुए हैं। इससे भी परेशानी बढ़ सकती है।

एजेंसी संचालक बोले- ओटीपी का झंझट बढ़ाया जा रहा है, उपभोक्ताओं को परेशानी होगी

एजेंसी संचालक बताते हैं कि गैस का मिसयूज नहीं है। सिलेंडर का रेट 603 रुपए 50 पैसे है। सब्सिडी मात्र 6 से 7 रुपए आती है। जब सिलेंडर ही इतना महंगा है तो मिसयूज का सवाल नहीं है। कनेक्शन के साथ आधार नंबर लिंक हैं। ओटीपी का झंझट बढ़ाया जा रहा है। गैस एजेंसी संचालक सुभाष गर्ग का कहना है कि इस सिस्टम को शुरू करने के लिए अभी टाइम मांगा गया है। अचानक इस पर अमल करने में परेशानी बढ़ेगी।

कुछ एजेंसियों ने यह व्यवस्था शुरू कर दी है : निशांत यादव

गैस बुकिंग और डिलीवरी के लिए नए नियम एक नवंबर से लागू होंगे। करनाल में यह पायलट प्रोजेक्ट है। यदि इसके परिणाम अच्छे मिले तो पूरे हरियाणा में यह व्यवस्था लागू रहेगी। ओटीपी नंबर पर डिलीवरी मिलेगी। इससे किसी भी स्तर पर गड़बड़ होने की संभावना नहीं रहेगी। कुछ एजेंसी ने यह व्यवस्था शुरू कर दी है।

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