नकली शराबजगाधरी में देव इंडस्ट्री के नाम से पकड़ी गई नकली शराब की फैक्टरी मामले में खुलासा

नकली शराब की फैक्टरी मामले में खुलासा:प्लास्टिक बोतल, कैरी बैग, फ्लेक्स बनाने की फैक्टरी के नाम पर जीएसटी नंबर लेकर बना रहे थे नकली शराबजगाधरी में देव इंडस्ट्री के नाम से पकड़ी गई नकली शराब की फैक्टरी मामले में खुलासा
जगाधरी की शांति कॉलोनी में देव इंडस्ट्री के नाम से पकड़ी गई नकली शराब की फैक्टरी सरकारी रिकॉर्ड में प्लास्टिक की बोतलें, कैरी बैग, फ्लेक्स बोर्ड और इनसे मिलते-जुलते प्रोडक्ट बनाने की थी। फरार चल रहे सोनीपत के गांव पावंटी निवासी प्रवीन ने जीएसटी नंबर के लिए अप्लाई करते समय यह डिटेल दी थी कि वे यहां पर प्लास्टिक की बोतलें, कैरी बैग, फ्लेक्स बोर्ड और इनसे मिलते-जुलते प्रोडक्ट बनाएंगे।

इसी के आधार पर उन्हें जीएसटी नंबर दे दिया गया। इस नंबर को फैक्टरी के बाहर लगा दिया गया ताकि बाहर से देखने वालों को यह लगे कि इस फैक्टरी में सब काम लीगल काम चल रहा है, लेकिन जीएसटी नंबर और प्लास्टिक की बोतलें, कैरी बैग, फ्लेक्स बोर्ड और इनसे मिलते-जुलते प्रोडक्ट की आड़ में यहां पर नकली शराब बनाई जा रही थी।

इस बात का खुलासा अब तक की पुलिस जांच और सेल्स डिपार्टमेंट की टीम की जांच में सामने आ चुका है। उधर, इस मामले में 10 दिन के रिमांड पर चल रहे विकास दहिया, बलवान सिंह, रविंद्र और दो अन्य को लेकर पुलिस कई जगह रेड कर चुकी है। लेकिन पुलिस के हाथ कोई बड़ी सफलता 16 अक्टूबर के बाद नहीं लगी। जबकि पुलिस की आधा दर्जन से ज्यादा टीमें नकली शराब के मामले में जांच कर रही हैं।

यहां पर बड़ी मात्रा में शराब की खाली बोतलें बनाई जा रही थी। यह बात उस समय भी सामने आई थी जब पुलिस की टीमों ने यहां पर रेड की थी। यहां से टीम ने करीब 25 हजार खाली बोतलें बरामद की है। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि यहां पर खाली बोतलें बनाकर दूसरी जगह भी सप्लाई की जाती थी। हालांकि इसको लेकर फिलहाल पुलिस ने कोई खुलासा नहीं किया है। शुरुआत में यह बात सामने आई थी कि नकली शराब बनाने वाले चंडीगढ़ के एक व्यक्ति के माध्यम से दिल्ली से प्लास्टिक की बोतलें खरीदते थे। इस तरह से तार दिल्ली तक जुड़े नजर आ रहे हैं।

40 दिन बाद की जानी थी फिजिकल वेरिफिकेशन

डीईटीसी सेल्स अशोक पंचाल ने बताया कि प्रवीन कुमार ने सितंबर में जीएसटी के लिए अप्लाई किया था। विभाग की गाइडलाइन के अनुसार 40 दिन में मौके पर जाकर ईटीओ को फिजिकल वेरिफिकेशन करनी होती है। यह फैक्टरी 40 दिन पहले ही पुलिस की जांच में पकड़ी गई। जीएसटी नंबर के लिए अप्लाई करने वाले ने प्लास्टिक की बोतलें, कैरी बैग, फ्लेक्स बोर्ड और इनसे मिलते-जुलते प्रोडक्ट बनाने की डिटेल अप्लाई करते हुए दी थी। कोई रिटर्न इस फर्म के नाम से नहीं की गई।

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