पूर्व मेयर ने विज के एक्शन को सही बताया, पार्षद भट्ट बोले- कमिश्नर अकेले गुनहगार नहीं, जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदारइस सत्र में 139 करोड़ रुपए के टैक्स की रिकवरी का लक्ष्य था, लेकिन सितंबर तक सिर्फ 9.74 करोड़ की ही हो पाई, इसलिए विज ने लिया एक्शनहाउस टैक्स की रिकवरी कम होने पर कमिश्नर सुशील कुमार को निलंबित करने की सिफारिश का मुद्दा गुरुवार को निगम दफ्तर में छाया रहा। कमिश्नर दफ्तर में काम करने वाले अधिकांश स्टाफ को गुरुवार सुबह अखबारों में छपी खबर से पता चला। कमिश्नर गुरुवार को दफ्तर नहीं गए। कमिश्नर छुट्टी पर चले गए हैं। अब दफ्तर कब लौटेंगे इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।
दूसरी ओर मेयर अवनीत कौर और पूर्व मेयर सरदार भूपेंद्र सिंह ने मंत्री अनिल विज के फैसले को सही बताया है। वहीं, पूर्व मेयर सुरेश वर्मा ने निगम के पूरे सिस्टम पर ही सवाल उठा दिया। कहा कि लोग तो टैक्स देने को तैयार हैं, लेकिन किसको दें। दूसरी ओर भाजपा के सीनियर पार्षद दुष्यंत भट्ट ने कहा कि इसके लिए सिर्फ कमिश्नर पर कार्रवाई काफी नहीं है। जनप्रतिनिधि भी बराबर के जिम्मेदार हैं।
कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार की नहीं खुद की जेब भरनी चाहिए: मेयर अवनीत
20 से 25 परेशान लोग तो रोज मेरे पास आते हैं। कर्मचारी ठीक ही नहीं करते, आज ही टैक्स सुपरिंटेंडेंट ने एक बुजुर्ग की फाइल फेंक दी। ये तो हाल है। ऊपर से टैक्स कलेक्शन में बैठे हर कर्मचारी की चाह होती है कि निगम के खाते में जाए न जाए, उसकी जेब जरूर भरना चाहिए। ऐसे में तो टैक्स कलेक्शन कम होगा ही। सरकार ने तो हमें सिर्फ चिट्ठी लिखने की पावर दी है, आज भी यहीं लिख रही हूं। -अवनीत कौर, मेयर, नगर निगम
एक भी काम करने को राजी नहीं कमिश्नर, यह तो होना ही था: पूर्व मेयर भूपेंद्र
यह सच है कि कमिश्नर एक भी काम करने को राजी नहीं। 4 माह बीत गए, आज तक किसी पार्षद के साथ समस्या देखने गए। पार्क तो बन गए, उसके माली रखने की व्यवस्था नहीं करते। कई बार कमिश्नर से कहा है कि प्रॉपर्टी टैक्स कलेक्शन के सिस्टम को ठीक कराओ तो करोड़ों रुपए आएंगे। विधायक को भी हाउस में बजट का मुद्दा उठाना पड़ा, ये स्थिति है नगर निगम। यह तो होना ही था। -सरदार भूपेंद्र सिंह, पूर्व मेयर पानीपत
कोई जनप्रतिनिधि अवैध नक्शा पास करा रहा, कोई कॉलोनी काट रहा: भट्ट
एक कमिश्नर को निलंबित करने से ही काम नहीं चलेगा। सभी जनप्रतिनिधि बराबर के जिम्मेदार भी हैं भ्रष्ट सिस्टम के हिस्सेदार भी। कोई जनप्रतिनिधि अवैध नक्शा पास कराने में लगा है, कोई कॉलोनी काटने में, कोई अवैध बिल्डिंग बनवाने में लगा है तो कोई अन्य गलत कामों में। जनप्रतिनिधि जब एक गलत काम करवाते हैं तो अफसर 4 गलत काम करता है। इसलिए, इस निलंबन से सिस्टम नहीं सुधरने वाला है। -दुष्यंत भट्ट, पार्षद
मेयर को अफसरों से पूछना चाहिए कि कितनी रिकवरी हुई है : वर्मा
लोग तो प्रॉपर्टी टैक्स का बिल देना चाहते हैं, लेकिन किसको-किसको दें। कर्मचारियों को अलग चाहिए और निगम को अलग। निगम के पास बिल जमा करने का आज तक कोई सिस्टम नहीं बना है। कौन कितना दे दिया और उस पर कितना बकाया है, कोई रिकॉर्ड नहीं। मेयर की भी बड़ी जिम्मेदारी है। मैं तो खुद 15 दिनों पर अफसरों की मीटिंग बुलाकर पूछता था कि कितनी रिकवरी हुई। जब तक आप पूछेंगे नहीं, कोई काम करने को राजी नहीं है।