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केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के वैज्ञानिकों ने क्लोन से मुर्रा नस्ल के 9 कटड़े तैयार किए

आमदनी बढ़ाने एनडीआरआई का बड़े लेवल पर रिसर्च:एनडीआरआई और केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के वैज्ञानिकों ने क्लोन से मुर्रा नस्ल के 9 कटड़े तैयार किए, अगले बीस माह बाद मिलेगा किसानों को सिमनदेश में भैंस के दूध देने की एवरेज 6 से 8 प्रति किलोग्राम
वैज्ञानिकों का टारगेट प्रति भैंस का 10 से 12 किलोग्राम करने का है, दूध उत्पादन बढ़ने से पशुपालक किसानों की दोगुना हो जाएगी आमदनकेंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दौगुनी करने का प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान(एनडीआरआई) मुर्रा नस्ल की भैंसों का दूध बढ़ाने बड़ा रिसर्च कर रही है। इसके परिणाम भी अच्छे रहे हैं। एनडीआरआई के वैज्ञानिक पशु क्लोनिंग तकनीक को नए आयाम दे रहे हैं। मुर्रा नस्ल के झोटे के क्लोन तैयार कर इनका सिमन देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों को दिया जाएगा।

एनडीआरआई और केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के वैज्ञानिकों इस पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत अधिक बेहतर नस्ल के मुर्रा भैंसों के झोटे क्लोन से तैयार किए जा रहे हैं, जिनका सीमन किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। यह सब देश में पहली बार एनडीआरआई में हो रहा है। इससे पशुपालन क्षेत्र में नई क्रांति की उम्मीद है। अब तक एनडीआरआई में दो और भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार में सात मुर्रा नस्ल के कटड़े क्लोन से तैयार किए जा चुके हैं। सभी स्वस्थ और सुंदर नस्ल के हैं।

मुर्रा भैंस के कान के टुकड़े से तैयार किए हैं क्लोन, दूध बढ़ाने पर विशेष फोकस

वैसे तो हरियाणा की मुर्रा भैंस का दुनिया में कोई तोड़ नहीं है। लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च कर अब ज्यादा दूध बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। एनडीआरआई के निदेशक डा. एमएस चौहान ने बताया कि देश में एवरेज एक भैंस छह से आठ किलोग्राम दूध देती है, एनडीआरआई का प्रयास है कि अगले बीस से 22 माह में क्लोन से तैयार सांड के सिमन से जो कटड़ी पैदा होगी, उनकी दूध देने की क्षमता 10 से 12 किलोग्राम होगी।

एनडीआरआई क्लोनिंग पर दस साल से काम कर रही है। हर साल दस से 12 सांड तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। जो भैंसे तैयार हो गए हैं , अगले 20 से 22 माह में इनसे सिमन मिलना शुरू हो जाएगा। इसके बाद सिमन को फ्रिज किया जाएगा, रिसर्च के बाद इसे पशुपालक, किसान और एनजीओ को दिया जाएगा। साल में एक सांड के सिमन से पांच से दस हजार डोज तैयार की जा सकती है।

बेहतर नस्ल के सीमन तैयार करने का प्लान

केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक पशु क्लोनिंग तकनीक की मदद से बेहतर मुर्रा भैंसों के झोटे का उत्पादन करेंगे। उनसे बेहतर नस्ल के सीमन की बढ़ती मांग को पूरा किया जाएगा। इस पर काम शुरू हो गया है। भारत में 2021-22 तक जमे हुए प्रजनन योग्य सीमन की लगभग 140 मिलियन की मांग होगी, जबकि इस समय देश में 85 मिलियन प्रजनन योग्य सीमन का उत्पादन हो रहा है।

यहां यूरिन समेत 11 कोशिकाओं से तैयार किए गए क्लोन

एनडीआरआई ने पिछले 10 सालों में जिन 16 क्लोन तैयार किए हैं, उनमें से 11 मादा भैंस हैं। 6 फरवरी 2009 को अपनी पहली मादा कटड़ी समरूपा को हैंड गाइडेड तकनीक की मदद से मुर्रा भैंस के एक सेल से क्लोन किया था। अब तक कान, दूध, मूत्र, रक्त, सीमन और भ्रूण स्टेम सेल सहित 11 प्रकार की दैहिक कोशिकाओं का उपयोग हो रहा है। 16 क्लोन पशुओं में से 10 अभी जीवित हैं। दोनों लिंग के क्लोन किए गए जानवरों का प्रजनन सामान्य है। इसके बाद एक क्लोन भैंस गरिमा का कृत्रिम गर्भाधान भी किया गया। गरिमा की चौथी पीढ़ी तैयार हो गई है। सभी सामान्य तरह से विकसित हो रहे हैं।

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