कचरा उठाने का टेंडर:मंत्री विज ने कैंट-सिटी का कचरा उठाने का ठेका 18 करोड़ में महंगा बताया था, अब सिर्फ सिटी का कचरा 32 करोड़ में पड़ेगाकचरा छंटाई व ढुलाई पर 19 करोड़ खर्च का अनुमान, निदेशालय को इसी पर आपत्तिडोर-टू-डोर कचरा उठाने का जो टेंडर जुलाई में 8.77 करोड़ रुपए में निकला था, उसी टेंडर को शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने सितंबर में रिकॉल किया और अब 13.07 करोड़ में अलॉट करने की तैयारी है। यानी 4.30 करोड़ ज्यादा में। निदेशालय को सिर्फ छंटाई और ढुलाई (सेग्रिगेशन-ट्रांसपोर्टेशन) की दर पर आपत्ति है। यह दर 2,640 रुपए प्रति टन है। इस रेट को कम करने के लिए निदेशालय में मामला वापस अम्बाला सिटी नगर निगम को भेज दिया है।
खास बात ये है कि वर्ष 2018 में जब नगर निगम में अम्बाला सिटी और कैंट शामिल थे, तब ट्विन सिटी और हुडा सेक्टरों से डोर-टू-डोर कचरा उठाने का टेंडर 1.50 करोड़ रुपए मासिक पर दिया गया था। उस वक्त मंत्री अनिल विज ने इन ठेके को महंगा और काम में अनियमितताओं वाला बताते हुए जांच कराने की बात उठाई थी। जांच होने के बाद यह टेंडर कैंसिल कर दिया गया था और नया टेंडर आमंत्रित किया था। इसके विरोध में गारबेज कलेक्शन का काम करने वाली तीनों एजेंसियां हाईकोर्ट पहुंची थी। पिछले करीब 13 महीनों से डोर-टू-डोर कचरा उठाने का काम नगर निगम कर्मियों के सहारे चल रहा है।
जून में निकाला था 10.63 करोड़ का टेंडर
कैंट से अलग होकर सिटी नगर निगम बनने के बाद निगम ने दिसंबर 2019 में डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन का टेंडर कॉल किया था। इस टेंडर में राशि का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण टेंडर को अलॉट नहीं किया जा सका था। टेंडर को इस साल जून में दोबारा निकाला। तब टेंडर 10.63 करोड़ रुपए वार्षिक का निकाला था। यह टेंडर जब निगम कमिश्नर को ज्यादा लगा तो उन्होंने इस टेंडर रिकॉल किया। जुलाई में यह टेंडर 8.77 करोड़ का निकाला गया, लेकिन इसके बाद जब टेंडर की मंजूरी पोर्टल से शुरू हुई तो यह टेंडर अब लगभग 4.50 करोड़ ज्यादा की कीमत का निकाला गया है।
रोज निकलता 200 टन कूड़ा
सिटी नगर एरिया व हुडा सेक्टरों से रोज औसतन 200 टन कूड़ा निकलता है। कूड़े के छंटाई-ढुलाई के लिए 2,640 रुपए टन का टेंडर निकाला गया। इस दर का साल भर का हिसाब लगाएं तो कुल रकम 19 करोड़ से ज्यादा बनती है। इतनी रकम में कूड़ा पटवी प्लांट में पहुंचाया जाना है।
ऐसे चलता है विभाग का पोर्टल
अगर नगर निगम ने कोई टेंडर निकालना है तो उसकी मंजूरी अब पोर्टल के माध्यम से डायरेक्टर ऑफिस से लेनी जरूरी है। पोर्टल पर पहले नगर निगम का जेई अपनी रिपोर्ट डालता है। इसके बाद एमई और एक्सईएन टेंडर को लेकर रिपोर्ट डालेंगे। यहां से रिपोर्ट ओके होने के बाद नगर निगम कमिश्नर उस पर कमेंट लिखकर पोर्टल पर ओके करेंगे। फिर यह टेंडर पोर्टल पर डायरेक्टर आफिस में खुलेगा। अगर टेंडर में अमाउंट ज्यादा है तो उस पर ऑब्जेक्शन लगाकर वापस नगर निगम में भेजा जाता है।
डायरेक्टर ऑफिस ने सेग्रिगेशन अमाउंट पर ऑब्जेक्शन लगाया है। एजेंसी से बातचीत कर इसे कम कराया जाएगा, ताकि टेंडर जल्द अलॉट हो सके।