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अपनी दमदार अदाकारी का जलवा बिखेरने वाले कादर खान का आज 83वां जन्मदिन है।

कभी भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर थे कादर खान, गरीबी के कारण हफ्ते में तीन दिन सोना पड़ता था खाली पेटचाहे कॉमेडी हो या विलेन का किरदार, बॉलीवुड की कई हिट फिल्मों में अपनी दमदार अदाकारी का जलवा बिखेरने वाले कादर खान का आज 83वां जन्मदिन है।

300 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले कादर खान ने 250 से ज्यादा फिल्मों में डायलॉग्स भी लिखे। साल 2019 में पद्मश्री पाने वाले कादर 9 बार फिल्मफेयर में नॉमिनेट भी हुए। दिसंबर 2018 में दुनिया को अलविदा कह गए कादर खान का बचपन बेहद गरीबी में बीता था।

भीख मांगकर किया गुजारा

कादर से पहले उनके परिवार में 3 बेटे हुए थे पर सभी का आठ साल की उम्र तक निधन हो जाता था। कादर के जन्म के बाद उनकी मां डर गईं कि कहीं उनके साथ भी ऐसा ही न हो। तब उन्होंने अफगानिस्तान से भारत आने का फैसला किया और वो मुंबई के धारावी में आकर बस गए।

कादर जब एक साल के थे तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद बचपन में वे डोंगरी जाकर एक मस्जिद पर भीख मांगते थे। दिन-भर में जो दो रुपए मिलते उससे उनके घर में चूल्हा जलता था। एक इंटरव्यू में कादर ने खुलासा किया था कि हफ्ते में तीन दिन वे और उनकी मां खाली पेट ही सोते थे।

इतनी सी उम्र में ही वे पहली बार काम पर जाने वाले थे तब मां ने उन्हें रोककर कहा कि यह तीन-चार पैसे कमाने से कुछ नहीं होगा। अभी तू सिर्फ पढ़ बाकी मुसीबतें मैं झेल लूंगी। कादर ने मां की सलाह मानी और उनका स्कूल में दाखिला हुआ।

कादर को बचपन से ही लोगों की नकल करने की आदत थी। जब मां नमाज के लिए भेजती थी तब वे बंक मारकर कब्रिस्तान में जाकर दो कब्रों के बीच बैठ खुद से बातें करते हुए फिल्मी डायालॅग्स बोलते थे। वहीं एक शख्स दीवार की आड़ में खड़े होकर उनको देखते थे। वो शख्स थे अशरफ खान। वो उस जमाने में ड्रामा कर रहे थे और उनको एक नाटक में 8 साल के बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने कादर को नाटक में काम दे दिया।

दिलीप कुमार ने दिया मौका

कादर पढ़ाई में बेहद होशियार थे। उन्होंने मुंबई के इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वह मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर थे। एक दिन कादर पढ़ा रहे थे तब उनके कॉलेज में दिलीप कुमार का फोन आया। उन्होंने कादर खान से इच्छा जताई कि वे उनका ड्रामा देखना चाहते हैं। कादर ने उनके सामने दो कंडीशन रखीं। एक तो वे ड्रामा शुरू होने से बीस मिनट पहले आएंगे और दूसरा उन्हें यह प्ले पूरा देखना होगा। यही प्ले देखकर दिलीप ने कादर को दो फिल्मों में साइन किया।

1973 से की थी फिल्मों में शुरुआत

1973 में उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्म ‘दाग’ से करियर की शुरुआत की। 1970 और 80 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों के लिए कहानियां लिखीं। इसके अलावा उन्होंने ‘अदालत’ (1976), ‘परवरिश’ (1977), ‘दो और दो पांच’ (1980), ‘याराना’ (1981), ‘खून का कर्ज’ (1991), ‘दिल ही तो है’ (1992), ‘कुली नं। 1’ (1995), ‘तेरा जादू चल गया’ (2000), ‘किल दिल’ (2014) सहित कई फिल्मों में काम किया। वे आखिरी बार 2015 में आई फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में नजर आए थे।

अमिताभ के साथ की 21 फिल्में

अमिताभ और कादर ने ‘दो और दो पांच’, ‘अदालत’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सुहाग’, ‘कुली’, ‘कालिया’, ‘शहंशाह’ और ‘हम’ समेत 21 फिल्मों में साथ बतौर अभिनेता या डायलॉग-स्क्रिप्ट राइटर काम किया था। 31 दिसंबर, 2018 को कनाडा में कादर खान का निधन हो गया था। उन्हें प्रोग्रेसिव सुप्रा न्यूक्लीयर पाल्सी डिसऑर्डर हो गया था।

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