ठंड के साथ बिगड़ने लगी शहर की आबो हवा:कैथल में पिछले एक सप्ताह से तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर, 248 पहुंचा एक्यूआईअक्टूबर खत्म होते-होते ठंड बढ़ने लगी है और अंधेरा होते ही आसमान में स्मॉग छा जाती है। ठंड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण की मात्रा अचानक बढ़ने लगी है। प्रदूषण बढ़ने से आंखों में जलन और घुटन महसूस होने लगी है। धान का कटोरा कहे जाने वाले अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और कैथल में से कुरूक्षेत्र की हवा सबसे जहरीली हो गई और कैथल की सबसे स्वच्छ है।
करुक्षेत्र की हवा में प्रदूषण का स्तर 289 तक पहुंच गया है जो गंभीर स्थिति में है। 277 के साथ करनाल दूसरे, 248 के साथ अम्बाला तीसरे और 248 के साथ कैथल चौथे स्थान पर है। वहीं आगजनी की घटनाओं के मामले में करनाल टॉप पर है। यहां अब तक सबसे ज्यादा खेतों में अवशेष जलाने की 630 घटनाएं सामने आईं। वहीं उसके बाद 572 घटनाओं के साथ कुरूक्षेत्र दूसरे और कैथल तीसरे नंबर पर है। अम्बाला में सबसे कम आगजनी की 364 घटनाएं सामने आई हैं।
21 अक्टूबर 2019 की बात करें तो चारों ही जिलों में इस वर्ष के मुकाबले हवा में प्रदूषण कम था। 2019 में कैथल की हवा सबसे स्वच्छ थी। कैथल का एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे कम 118 था, वहीं उसके बाद अम्बाला का 186, कुरुक्षेत्र का 217 और करनाल का 262 था। वहीं एक अक्टूबर 2020 की बात करें तो हवा आज की तुलना में काफी स्वच्छ थी। हवा में प्रदूषण की मात्रा करनाल में सबसे स्वच्छ 100 थी, कैथल में 118, कुरुक्षेत्र में 131 और करनाल में 133 थी।
हवा में प्रदूषण के स्तर के मामले में कैथल की स्थिति अब तक ठीक थी, पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण बढ़ा है। प्रशासन व कृषि विभाग के सहयोग से किसानों को जागरूक करने के साथ ही अवशेष जलाने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है। उनकी किसानों से अपील है कि वे खेतों में आग न लगाएं। ऐसा करके किसान अपनी जमीन को तो बंजर बना ही रहें साथ ही जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। -राजेंद्र शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कैथल।
अस्थमा व हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक है प्रदूषण का यह स्तर
हवा में प्रदूषण के स्तर को 0 से 50 तक ही सही माना गया है। उससे ज्यादा होने पर यह अस्थमा व हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक माना जाता है। वहीं जिले में अब इसकी मात्रा 200 को पार कर 248 तक पहुंच गई है जो हर वर्ग के लिए नुकसानदायक है। हवा में प्रदूषण या स्मॉग मरीजों के साथ-साथ बच्चे और बूढ़ों को भी बहुत तेजी से अपना शिकार बनाता है। संभव हो तो बाहर कम से कम निकलें, घर से बाहर निकलते समय मुंह पर कपड़ा या मास्क का प्रयोग करें, कुछ समय के लिए सुबह के समय बाहर खुले में व्यायाम बंद कर दें, सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डाॅक्टर की सलाह लें।