तहसील स्तर पर कलेक्टर रेट तैयार करने के लिए राजस्व विभाग ने शुरू किया काम, ऐसा करने से जमीन विवादों में आएगी कमीहरियाणा में गांव दर गांव तय होंगे जमीनों के कलेक्टर रेट, पारदर्शी सिस्टम से सरकार के राजस्व में होगी बढ़ोत्तरीहरियाणा सरकार जल्द ही जमीनों के कलेक्टर रेट तय करेगी। यह रेट तहसील स्तर पर तय किए जाएंगे। यदि किसी तहसील में 50 गांव हैं तो हर गांव में जमीन के अलग-अलग कलेक्टर रेट होंगे। सरकार की माने तो ऐसा करने से जहां जमीन विवाद कम होंगे, वहीं राजस्व की बढ़ोत्तरी की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। जो कलेक्टर रेट तय हो जाएंगे, उससे कम पर जमीनों की रजिस्ट्री नहीं हो सकेंगी।
अब तक यह होता रहा है कि यदि किसी ने अपनी जमीन अधिक राशि में बेची है तो वह उसे कागजों में कम राशि में दिखाकर रजिस्ट्री कराता है। इससे सरकार को राजस्व हानि होती है। जमीनों के कलेक्टर रेट तय होने के बाद सरकार उससे कम पर किसी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करेगी। जबकि अधिक रेट पर भले ही रजिस्ट्री कराई जा सकती है। सीएम मनोहर लाल ने वित्त एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को जनवरी तक पूरे प्रदेश में सभी जिलों में जमीनों के कलेक्टर रेट तय करने के निर्देश दिए हैं। यह कलेक्टर रेट हर साल तय होंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि डीसी रेट तय करने के लिए पूरे प्रदेश में एक समान पद्धति बनाई जाए। यह रेट तहसील स्तर पर भी बनने चाहिएं। प्रदेश में कई जिले और तहसीलें ऐसी हैं, जहां जमीनों के रेट काफी हैं लेकिन कई जिले व तहसीलें ऐसी हैं, जिनमें रेट कम हैं। यह सूचना भी मिली है कि कहीं-कहीं तो डीसी रेट ज्यादा है और जमीनों का मार्केट रेट कम है, जबकि कई जिलों में मार्केट रेट ज्यादा है, लेकिन डीसी रेट कम है।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी अधिकारियों को इस दिशा में तेजी से कार्रवाई के निर्देश दिए, ताकि इस व्यवस्था को जल्द से जल्द लागू किया जा सके। वित्त एवं राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल के अनुसार जिला व तहसील स्तर पर जमीनों के कलेक्टर रेट तय करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए एक जनवरी से साल शुरू होगा। इस बार 31 मार्च 2021 तक जमीनों के रेट तय करेंगे। अगले साल से फिर जनवरी से दिसंबर तक कलेक्टर रेट तय होंगे।
कमेटियों का किया गठन
तहसील स्तर पर जमीनों के कलेक्टर रेट तय करने के लिए कमेटियां बनाई जाएंगी। इन कमेटियों में अधिकारी, प्रापर्टी डीलर, जमीन विशेषज्ञ, बाजार के जानकार तथा कुछ संभ्रांत व्यक्ति शामिल होंगे। फिर इन रेट को जन सुनवाई के लिए पब्लिक डोमेन में डाला जाएगा। लोगों से एक माह तक उनके सुझाव और आपत्तियां मांगी जाएंगी। उसके बाद डीसी रेट तय होंगे। यह रेट फाइनल अप्रूवल के लिए वित्त एवं राजस्व विभाग के पास पहुंचेंगे। वहां स्क्रूटनी होगी और आकलन के बाद इन्हें मंजूरी प्रदान कर दी जाएगी। इन कलेक्टर रेट के बारे में पूरे राज्य की एक पुस्तिका तैयार होगी, इसमें प्रत्येक तहसील और उसमें आने वाले गांवों में जमीनों के कलेक्टर रेट निर्धारित किए जाएंगे।