जो आपका जानना जरूरी है:पंजाब विधानसभा ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 4 विधेयक पारित किए, दोनों स्थितियों में है बड़ा अंतरविशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को साढ़े 5 घंटे की बहस के बाद विधानसभा में 4 विधेयक पारित किए गए
सेंट्रल एडिश्नल सालिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को गैर संवैधानिक बताया
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा बोले-बहलाने की कोशिशपंजाब विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों को प्रभावहीन करने को करीब साढ़े पांच घंटे की बहस के बाद सर्वसम्मति से चार विधेयक पारित किए गए हैं। इन विधेयकों के माध्यम से केंद्र सरकार के कानूनों के प्रावधानों को बेअसर करने के कई प्रावधान किया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब सरकार के लिए केंद्रीय कृषि कानूनों को बेअसर कर पाना इतना आसान भी नहीं है, जितना समझा जा रहा है। ऐसा क्यों है, यह जानने के लिए दोनों स्थितियों के बीच के अंतर को समझना होगा।विधानसभा में पारित बिलों पर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी
विधानसभा में पारित कृषि बिलों को कानून बनने के लिए अब राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। इस बारे में प्रसिद्ध कानूनविद जेएस तूर का कहना है कि क्योंकि यह समवर्ती सूची का मामला है और इस विषय पर केंद्र सरकार ने पहले ही कानून बना दिए हैं, ऐसे में पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी। राज्यपाल के माध्यम से ही ये विधेयक राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। राज्यपाल केवल इस पर कानूनी राय लेकर कृषि मंत्रालय को भेजेंगे। उसके बाद मंत्रालय ने यह राष्ट्रपति को भेजना है। इस विषय पर अब केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने ही कानून बना दिए हैं, अब फैसला राष्ट्रपति को करना है। राष्ट्रपति के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं है।
संवैधानिक संकट की आशंका, राष्ट्रपति भेज सकते हैं सुप्रीम कोर्ट को
पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह का भी कहना है कि इससे संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। राज्यपाल इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे और राष्ट्रपति इस पर सालिसिटर जनरल से सलाह लेंगे या फिर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भी रेफर कर सकते हैं। वहां से सलाह आने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है। इसकी कोई समय सीमा नहीं है।
सेंट्रल एडिश्नल सालिसिटर जनरल चेतन मित्तल बोले-पंजाब विधानसभा में पारित विधेयक गैर संवैधानिक
सेंट्रल एडिश्नल सालिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को गैर संवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि इन बिलों में ही केंद्रीय कानूनों का जिक्र किया गया है इसलिए इसे केंद्रीय एक्ट के संशोधन के रूप में ही माना जा सकता है। केंद्रीय कानूनों में संशोधन का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास ही है। इसमें सिर्फ आर्टिकल 254 की क्लाज दो में गया है यदि केंद्र किसी भी कानून में कोई राज्य संशोधन लाना चाहता है तो उसे विधानसभा में पेश करने के बाद उसे राष्ट्रपति से पास करवाना जरूरी है। चेतन मित्तल ने कहा कि जब तक इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती ये गैर संवैधानिक हैं।
नेता विपक्ष हरपाल चीमा ने कहा-बेवकूफ बना रहे हैं कैप्टन
कैप्टन के साथ संयुक्त तौर पर राज्यपाल से मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और नेता विपक्ष हरपाल चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के बनाए गए कानूनों को रद्द कर सकती है?
भाजपा पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का मानना-केंद्र के पास ही आएगा प्रस्ताव
भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने कहा कि कैप्टन अमरिेंदर सिंह की सरकार ने जो विधेयक विधानसभा में पारित कराया है उन्हें लागू करना या न करना फिर केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। कैप्टन विशेष सत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाकर लोगों को बहला रहे हैं।