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300 के भी पार पहुंचा एक्यूआई, प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ों और हवा में कराया पानी का छिड़काव,

प्रदूषण में जिला देश में टाॅप-5 में:300 के भी पार पहुंचा एक्यूआई, प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ों और हवा में कराया पानी का छिड़काव, इंडस्ट्री की पहचान कर कार्रवाई के आदेशप्रदूषण स्तर बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत व आंखों में जलन की समस्या आ रहीयमुनानगर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में आ गया है। ऐसा कैसे हुआ, इसका जवाब तो किसी के पास नहीं है क्योंकि जहां इन दिनों प्रदूषण बढ़ने पर पराली जलाने वाले किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता था, कृषि विभाग अधिकारियों के अनुसार ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इस बार किसान पहले से ज्यादा पराली में आग लगा रहे। जितने केस पिछले साल आए थे, लगभग उतने ही इस बार हैं।

यमुनानगर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसे कम करने के लिए अब प्रशासन भी जुट गया है। मंगलवार को डीसी मुकुल कुमार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए रणनीति बनाई। फायर ब्रिगेड की गाड़ियाें से रेलवे रोड और कन्हैया चौक से लघु सचिवालय रोड तक पेड़ों और हवा में पानी का छिड़काव कराया गया। इससे पंचायत भवन एरिया में जो प्रदूषण स्तर 300 तक पहुंचा था, वह दोपहर को 151 पर पहुंच गया।

इसका असर पूरे जिले में नहीं हुआ। कहने को तो प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण के काम में जुट गया है, लेकिन इस पर कब तक काबू पा लिया जाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। लाेगों को आंखों में जलन और सांस की समस्या बढ़ी है। एक्यूआई का अधिकतम स्तर 100 पॉइंट होना चाहिए, जो अक्टूबर माह के शुरुआत से 150 से 200 के बीच रहा है। सोमवार को यह खतरनाक स्तर यानि एक्यूआई 300 के भी पार गया। जबकि 100 से 200 के बीच एक्यूआई अनहेल्दी, 200 से 300 के बीच वेरी अनहेल्दी और 300 के पार खतरनाक स्तर माना जाता है।

पीएम-2.5 का 350 और पीएम-10 का 350 तक पहुंच बन गया रिकॉर्ड
वायु प्रदूषण के स्तर की गणना एक्यूआई में होती है, जिसमें पीएम-2.5 और पीएम-10 अहम हैं। पीएम-2.5 की मात्रा 60 और पीएम-10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित मानी जाता है। किंतु पिछले 48 घंटों में पीएम-2.5 अधिकतम 350 और पीएम-10 भी 350 तक पहुंचा।

पीएम 2.5 और पीएम 10
पीएम को पर्टिकुलेट मेटर कहा जाता है। यह वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। जबकि पीएम 10 में कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है। इसमें धूल, मिट्टी और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 2.5 में कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है।

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