टेंशन में चीन:भारत और ताइवान के बीच ट्रेड वार्ता शुरू हो सकती है; चीन ने कहा- भारत वन-चाइना पॉलिसी का सम्मान करेचीन ने अमेरिकी अधिकारी के तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांगे से मुलाकात की भी निंदा की
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा- दुनिया में केवल एक ही चीन है और ताइवान इसका अभिन्न हिस्सा हैचीन ने मंगलवार को चेतावनी दी कि भारत को वन-चाइना पॉलिसी का मजबूती से पालन करना चाहिए और ताइवान को लेकर समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। चीन ने कहा- भारत ताइवान के साथ ट्रेड टॉक शुरू कर सकता है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर भी निशाना साधा। कहा कि तिब्बत मामलों के लिए नियुक्त किए गए नए अमेरिकी अधिकारी ने तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांगे से मुलाकात की है। तिब्बत के मामले पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है। किसी बाहरी पक्ष को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा- दुनिया में केवल एक ही चीन है और ताइवान इसका अभिन्न हिस्सा है। वन चाइना सिद्धांत पर भारत समेत वैश्विक समुदाय की सहमति है।
ताइवान के साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन का विरोध करते हैं: चीन
झाओ ने ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के आधार पर कहा कि भारत ताइवान के साथ ट्रेड टॉक शुरू कर सकता है। यह (वन-चाइना सिद्धांत) चीन का अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए, हम चीन और ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच किसी भी ऑफिशियल एक्सचेंज या कोई भी डिप्लोमैटिक रिलेशन या किसी भी समझौते का मजबूती से विरोध करते हैं।
चीन ने भारतीय मीडिया के लिए गाइडलाइन जारी की थी
ताइवान के नेशनल डे 10 अक्टूबर को चीन ने भारतीय मीडिया को इसे देश के तौर पर पेश नहीं करने की सलाह दी थी। दिल्ली स्थिति चीन के मिशन ने इसके लिए मीडिया हाउसेस को चिट्ठी लिखकर कहा था- हमारे मीडिया के दोस्त, आपको याद दिलाना चाहेंगे कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है। सिर्फ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की सरकार ही पूरी दुनिया में चीन का प्रतिनिधित्व करती है। ताइवान को देश के तौर पर पेश नहीं किया जाए। इसकी राष्ट्रपति साई इंग-वेन को भी राष्ट्रपति न बताया जाए। इससे आम लोगों में गलत संदेश जाएगा।
वहीं, इस पर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इसका प्रेस वाइब्रेंट और लोग आजादी पसंद हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट चीन इस सब कॉन्टीनेंट पर भी सेंशरशिप थोपना चाहता है। ताइवान के भारतीय दोस्तों का एक ही जवाब होगा- भाड़ में जाओ।