पंजाब विधानसभा में नए कृषि बिल पर हंगामा:विशेष सत्र में बिल की कॉपी नहीं मिली तो आप विधायक सदन में रातभर धरने पर बैठे रहेपंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज केंद्र सरकार के कृषि बिलों और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के खिलाफ प्रस्ताव (रिजोल्यूशन) पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीनों कृषि बिल और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी बिल किसानों और बिना जमीन वाले मजदूरों के हितों के खिलाफ हैं।
अकाली दल ने कांग्रेस के मेनिफेस्टो की कॉपी जलाई
पंजाब विधानसभा के स्पेशल सेशन का आज दूसरा दिन है। आज विधानसभा सेशन में जाने के पहले शिरोमणि अकाली दल के विधायकों ने 2017 चुनाव के कांग्रेस के मेनिफेस्टो की कॉपियां जलाकर विरोध किया। विधायक विक्रम मजीठिया ने कहा कि कांग्रेस वोट लेने के लिए अपने मेनिफेस्टो में कई तरह की बातें तो लिखती है, लेकिन अपनी सरकार आने के बाद भी अमल नहीं करती।
आप के विधायक सदन में ही धरने पर बैठ गए थे
इससे पहले सोमवार को विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। अकाली नेता ट्रैक्टर और आप विधायक काला चोला पहनकर पहुंचे। राज्य सरकार की ओर से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लाए जा रहे बिल की कॉपी न मिलने पर विपक्ष ने काफी हंगामा किया। इसके विरोध में आप विधायक रातभर सदन में ही धरने पर बैठे रहे।
इससे पहले सोमवार को विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। अकाली नेता ट्रैक्टर और आप विधायक काला चोला पहनकर पहुंचे। राज्य सरकार की ओर से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लाए जा रहे बिल की कॉपी न मिलने पर विपक्ष ने काफी हंगामा किया। इसके विरोध में आप विधायक रातभर सदन में ही धरने पर बैठे रहे।
स्पीकर ने कहा कि बिल में सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है। सरकार की कोशिश है कि बिल में ऐसा कोई कानूनी पहलू न छूटे जिससे कोर्ट में मुश्किलें पेश आएं।
बिल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही यूपीए अन्य गैर भाजपा राज्यों में ऐसे बिल पारित करने को कहेगी। इससे पहले आप विधायक हरपाल चीमा विधायकों के साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते स्पीकर के सामने आए और बिल की कॉपी मांगी। अकाली दल ने भी आप का साथ दिया।
जब दोनों दल हंगामा करने से नहीं रुके तो स्पीकर ने कार्यवाही मंगलवार सुबह 10 बजे तक स्थगित कर दी। उधर, कॉपी न मिलने पर आप नेताओं ने सदन के अंदर रातभर धरना दिया। इससे पहले सत्र की शुरुआत शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। इस दौरान आठ रिपोर्टों को सदन में रखा गया।हर एंगल से चेक कर ही सदन में रखेंगे बिल: मनप्रीत बादल
स्पीकर केपी सिंह ने कहा, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने फैसला लिया है कि सत्र कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए बुलाया है, इसलिए सदन में अन्य कामों को स्थगित किया जाए। सरकार ने कानूनों को रद्द करने के लिए बिल तैयार कर लिया है, लेकिन यह मुद्दा बड़ा है, इसलिए इसके हर पहलू पर कानूनी राय लेने के बाद ही सरकार इसे सदन के पटल पर रखेगी। इसलिए उसमें थोड़ा समय चाहिए।
वित्तमंत्री बादल ने कहा कि बिल में सभी जरूरी बातों, कानूनी पहलुओं और हर एंगल को देखा और जांचा जा रहा है। इसलिए कॉपी किसी को नहीं दी जा सकती है।
सरकार की मंशा गलत, इसलिए कॉपी नहीं दे रही: आप
स्पीकर की बात सुनने के बाद आप के नेता हरपाल चीमा ने कानूनों को रद्द करने और तैयार किए गए नए बिल के प्रस्ताव की कॉपी सभी विधायकों को देने की मांग की। उन्होंने कहा कि विधायकों को पता होना चाहिए कि आखिर सरकार कैसे कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव ला रही है और नए बिल में राज्य के किसानों को राहत देने के लिए क्या कदम उठाया जा रहा है, ताकि हम अपने सुझाव पेश कर सकें।
मजीठिया बोले- सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने कहा कि पिछले सदन में तीन मंत्रियों ने कहा था कि कोई भी बिल जो सदन में रखा जाएगा, उसकी कॉपी पहले सदस्यों को दी जाएगी। अब यह अहम बिल है तो इसकी कॉपी क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया।
किसान नेता बोले-सरकार हक में दिखाई नहीं दे रही
भारतीय किसान यूनियन उग्राहां के नेताओं ने तीन मंत्रियों सुखविंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुखविंदर सरकारिया के साथ बिल को लेकर मीटिंग की। मीटिंग के बाद किसान नेताओं ने बताया कि मंत्रियों की कमेटी ने यह तो बताया कि कृषि कानूनों काे रद्द करने के लिए बिल ला रहे हैं पर उसके तहत होगा क्या यह नहीं बताया। हमने कॉपी मांगी थी पर नहीं दी। सरकार जब हमें ही कॉपी देने को तैयार नहीं तो हम कैसे मान लें वह किसानों के पक्ष में ही होगा। मंगलवार को देखेंगे कि सरकार ने क्या किया है। अगर बिल किसानों के पक्ष में हुआ तब उसके अनुसार ही नीति बनाएंगे।
सिद्धू बोले- सरकार भटकाए नहीं, मुद्दे का हल करे
पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने साेशल मीडिया पर अपना पक्ष रखा और कहा, किसानों की नजरें हम पर हैं। इसलिए सरकार को किसानों को भटकाने की बजाय मुद्दे पर आकर हल करना चाहिए। अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो रेत, शराब और केबल माफिया पर लगाम कसे।