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अफगानिस्तान की विद्राेही सरगना बीबी आयशा का सरेंडर:70 साल की ‘बाज कमांडर’ आयशा

अफगानिस्तान की विद्राेही सरगना बीबी आयशा का सरेंडर:70 साल की ‘बाज कमांडर’ आयशा अपनी घाटी बचाने दशकों तालिबान से लड़ीं, उसी के आगे सरेंडर; कहा- सरकार बेकारसरेंडर से पहले कहा था- ‘तालिबान इस काबिल नहीं, कि वो खुद बदल सके या समाज में सुधार ला सके41 साल बाद 70 साल की अफगानिस्तान की विद्राेही सरगना बीबी आयशा ने तालिबान के सामने अपने हथियार डाल दिए। बीबी आयशा बागलान प्रांत के नाहरिन जिले की हैं और अफगान सरकार से लेकर तालिबान के कमांडरों के बीच ‘बाज कमांडर’ के नाम से जानी जाती हैं। यह नाम उन्हें हत्या करने के उनके तरीके को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।

माना जाता है कि बाज की तरह वे अपने शिकार पर घात लगाती थी और अपना काम करके फरार हो जाती थीं। हथियार डालने से कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था, ‘तालिबान इस काबिल नहीं कि वो खुद बदल सके या समाज में सुधार ला सके। सरकार बेकार है। अफगानिस्तान की ये जंग शांति में कभी तब्दील नहीं होगी। इस मसले को या तो खुदा सुलझा सकते हैं या फिर ये खूबसूरत क्लाशनिकोव राइफलें।’

ये चुनौती जरूर है कि बाज कमांडर ने तालिबान के साथ सुलह कर ली

बीबी के बेटे राज़ मोहम्मद का कहना है कि ‘मेरी मां ने तालिबान के आगे न तो घुटने टेके और न ही वो तालिबान के साथ जुड़ रही हैं। वह बीमार हैं और घुटनों के दर्द के कारण उनका उठना-बैठना भी दूभर हो गया है। चूंकि हम तालिबान से लड़ना नहीं चाहते, इसलिए सुलह की गई है।’ जानकार कहते हैं कि अफगान सरकार के लिए ये चुनौती जरूर है कि बाज कमांडर ने अफगान सरकार को छोड़कर तालिबान के साथ सुलह कर ली।

यह इस बात को साबित करता है कि अफगानिस्तान सरकार की स्थिति कितनी नाजुक है। बागलान घाटी में बीबी आयशा के नाम की गूंज 1979 से बढ़नी शुरू हुई थी। उस वक्त रूस की सेना के साथ हो रही लड़ाई में रूसी कमांडो ने उनकी घाटी को घेर लिया था।

यह वो समय था, जब आयशा ने अपनी खुद की सेना बनाई और घाटी की सुरक्षा के लिए वे रूसी कमांडो से तब तक लड़ती रहीं, जब तक वे हार मानकर उनकी घाटी छोड़कर चले नहीं गए। 1990 के दशक में जब तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में अपना कब्जा जमाया था, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी घाटी में तालिबान को पांव नहीं जमाने दिया।

तालिबान से नहीं डरीं, उनके कमांडरों पर भी तंज कसती थीं

बीबी आयशा तालिबान से कभी नहीं डरीं। उनके प्रांत के तालिबानी कमांडर का वे यह कहकर मजाक उड़ाती थीं कि अगर उन्होंने कमांडर को गिरफ्तार किया तो वे उसे गधे पर बिठाकर शहर में घुमाएंगी। लोग कहेंगे कि वो एक महिला से हार गया। वहीं, कमांडर ने उन्हें गिरफ्तार किया, तो शहर का हर बच्चा हंसेगा कि कमांडर ने महिला को गिरफ्तार किया।

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