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73 प्रतिशत पुलिसकर्मी ‘बीमार’ हैं 37 फीसदी को समान वेतन पर कोई दूसरी नौकरी मिलेतो करने को तैयार

कोर्ट ने फिटनेस पर उठाए सवाल:73 प्रतिशत पुलिसकर्मी ‘बीमार’ हैं, 37 फीसदी को समान वेतन पर कोई दूसरी नौकरी मिले तो करने को तैयार पुलिस के लिए अपराधी नहीं खुद का स्वास्थ्य बड़ी चुनौती बन गया है। हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अनफिट पुलिसकर्मियों के कारण उम्रदराज आरोपी भी फरार हो रहे हैं। ऐसे में हमने देशभर में पुलिस की सेहत से जुड़े आंकड़े खंगाले, उनकी सेहत की स्थिति जानी।

स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 73 फीसदी पुलिस वाले किसी न किसी तरह की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें अफसर से लेकर सिपाही तक शामिल हैं। देश में 37% पुलिस वाले ऐसे हैं जिन्हें समान वेतन पर कोई दूसरी नौकरी मिले तो करने को तैयार हैं। दिल्ली में पिछले 10 सालों में एक हजार पुलिसकर्मियों ने वीआरएस लिया है।

वहीं 700 ने इस्तीफा दे दिया। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार हाई बीपी, मानसिक तनाव, नींद न आने, थकान, सांस की समस्या, गैस्ट्रिक परेशानी और शरीर में दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पुलिसकर्मियों में आम हैं। 2018 में इंडियन जर्नल ऑफ़ ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हर दूसरे पुलिसकर्मी ने अपनी सेहत से जुड़ी शिकायत बताई है।शिकायत करने वालों में से लगभग आधे (47%) लोगों को किसी न किसी तरह के इलाज की जरूरत है। सबसे आम स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे मेटाबोलिज्म और हृदय रोग (36.2%), मस्कुलोस्केलेटल (31.5%) और आंखों से सम्बंधित (28.1%) थे। एनसीआरबी के पूर्व प्रमुख नरेंद्र कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि भर्ती के समय हर पुलिसकर्मी फिट रहता है लेकिन कुछ साल बाद ही रोगी हो जाता है।

ऐसा क्यों? काम के दबाब के कारण पुलिस कर्मियों का स्वास्थ्य बहुत खराब रहता है। वहीं मध्यप्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी एसके त्रिपाठी कहते हैं कि जब कई-कई घंटे बिना अवकाश काम लिया जाएगा तो पुलिस वालों की फिटनेस भी कहां रहेगी। पूरे सिस्टम में ही खामी है।

महाराष्ट्र में लगभग तीन लाख पुलिस जवान हैं| इनमें करीब 30% जवानों को डायबिटीज, बीपी और हार्ट संबंधी बीमारियां हैं।
बिहार में पुलिस एसाेसिएशन ने दाे साल पहले फिटनेस की जांच कराई गई थी। 50% जवान व अधिकारी डायबिटीज, हार्ट की बीमारियों से पीड़ित निकले। 10 फीसदी मोटापे के शिकार थे।
छत्तीसगढ़ में 10% पुलिसकर्मियों को ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी जैसी लाइफस्टाइल डिज़ीज हैं।
बिहार में 50% को हार्ट-डायबिटीज जैसी बीमारियां

ट्रेनिंग की कमी : नौकरी के दौरान हरियाणा में 20 फीसदी को ही इन सर्विस ट्रेनिंग मिलती है तो गुजरात में यह आंकड़ा 0.9 फीसदी है। ट्रेनिंग के अभाव में पुलिसकर्मी नई स्किल नहीं सीख पाते।

रोजाना 14 घंटे नौकरी : एक पुलिसकर्मी औसतन रोज 14 घंटे ड्यूटी करता है, अधिकारी का एवरेज 15 घंटे है, जबकि महिला पुलिस का औसत 13 घंटे है। ओडिशा में सबसे ज्यादा 18 घंटे, पंजाब में 17 घंटे है।

22% पद खाली : ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मुताबिक, पुलिस में 22 फीसदी पद रिक्त हैं।

सीनियर के घर के काम: 62 फीसदी पुलिस वालों से सीनियर व्यक्तिगत काम कराते हैं। मप्र में यह आंकड़ा 63 फीसदी है

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