एक महिला पार्षद के दो चेहरे:दाे महीने पहले गुरुद्वारे में कसम उठाते हुए चुनाव स्टे से मुकर गई थी पार्षद, अब हाईकोर्ट में शपथपत्र देकर माना-मैंने ही लगाई थी याचिकानगर परिषद सिरसा के प्रधान पद के चुनाव पर स्टे याचिका के मामले में आखिर दो महीने 6 दिन बाद सच्चाई सामने आ ही गई। हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई इस मामले की सुनवाई में महिला पार्षद बलजीत कौर के झूठ का पर्दाफाश उसी की ओर से कोर्ट में दिए गए शपथपत्र से हो गया है। शपथपत्र में बलजीत कौर ने स्वीकार कर लिया है कि उसने ही प्रधान पद के चुनाव पर स्टे याचिका लगाई थी और याचिका पर हस्ताक्षर भी उसके हैं।
कोर्ट में सच सामने आने के बाद सिरसा के विधायक और बीजेपी नेता भी कांग्रेस और उनके समर्थित पार्षदों पर हमलावर हो गए हैं। इस मामले में शुक्रवार को अदालत में दोनों ही पक्ष वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। अदालत ने मामले में सुनवाई की तारीख 29 अक्टूबर तय की है। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल, कुछ नगर पार्षदों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव व याचिकाकर्ता बलजीत कौर की ओर से उनके वकील पेश हुए।
एडवोकेट जनरल की ओर से साक्ष्य के रूप में पैन ड्राइव पेश की गई, जबकि याचिका कर्ता की ओर से शपथपत्र दिया गया। यहां बता दे कि बीती 8 अक्टूबर को अदालत ने नगर पार्षद बलजीत कौर को शपथपत्र देने की हिदायत दी थी कि उसने याचिका दाखिल की है या नहीं? याचिका पर उसके हस्ताक्षर है या नहीं। मामले में कुछ पार्षदों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने, याचिका दाखिल करके वापस मांगने वाली पार्षद बलजीत कौर को निलंबित किए जाने और प्रधान के चुनाव पर हुए स्टे को तोडऩे की मांग की थी।
11 अगस्त को नप प्रधान पद का चुनाव होना था, इसी दिन स्टे होने का खुलासा हुआ
बीती 11 अगस्त को नप प्रधान पद का चुनाव होना था। इसी दिन स्टे होने का खुलासा हुआ। जब 22 नंबर वार्ड की पार्षद बलजीत कौर का नाम आया तो वह कांग्रेस नेता और पार्षदों को साथ लेकर नगरपरिषद पहुंच गई। वहां पर एसडीएम के साथ भी तनातनी हुई। कांग्रेस नेताओं और पार्षदों ने प्रशासन पर भी मिलीभगत के आरोप जड़े थे। सभी कांग्रेस नेता भी महिला पार्षद को पाकसाफ बताते हुए बीजेपी और हलोपा नेताओं पर षडयंत्र रचने का आरोप जड़ा था।
शपथपत्र में वार्ड 22 की पार्षद बलजीत कौर ने स्वीकारा, याचिका पर मेरे ही हस्ताक्षर हैं
वार्ड नंबर 22 की महिला पार्षद ने नगर परिषद के प्रधान पद के चुनाव टालने के लिए रचे गए षड्यंत्र में जहां हाईकोर्ट को गुमराह किया। वहीं पवित्र स्थान श्री गुरुद्वारा साहिब को भी अपनी झूठ छुपाने का जरिया बना डाला। लोगों में विश्वास बनाने और खुद को पाक साफ सिद्ध करने के लिए गुरुद्वारा साहिब में जाकर महिला पार्षद ने अपने परिवार के साथ झूठी कसम उठाते हुए स्टे याचिका नहीं लगाने की बात कही थी। अब कोर्ट के आदेश पर दिए गए शपथपत्र में पार्षद बलजीत कौर की ओर से यह स्वीकार किया गया कि याचिका पर उसके ही हस्ताक्षर है और उसकी हिदायत पर ही वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पार्षद बलजीत कौर के इस आशय के शपथपत्र ने यह स्पष्ट कर दिया कि हर जगह राजनीति का खेल नहीं खेला जा सकता। बीती 11 अगस्त को जमकर नौटंकी की गई। चीख-चीख कर कहा गया कि उसने याचिका दाखिल नहीं की। वह वकील को नहीं जानती। उसे नहीं मालूम की किसने उसके नाम से याचिका दाखिल की है। अब, कोर्ट में दिए गए शपथपत्र में कैसे स्वीकार कर लिया? आखिर झूठ कब तक टिकता है।
मैंने तो बोला था, राजनीति को विधायक नहीं बना
मैंने तो पहले ही कहा था कि गोपाल कांडा राजनीति करने के लिए विधायक नहीं बना है। मेरा मकसद है सिरसा का विकास करना। इसलिए शहर का विकास हर हालत में होगा। मैने कहा था सच सामने लाया जाएगा। अब खुद पार्षद ने सच को स्वीकार कर लिया है। शहर के विकास कार्य करवाकर विरोधियों को जवाब दिया जाएगा। जो कल तक इस मामले में हमारे पर आरोप लगा रहे थे। वे अब जवाब दें कि षडयंत्रकारी कौन है। इन लोगों ने हाईकोर्ट को भी गुमराह किया है।