प्रदेश की हवा खराब:प्रदूषण का स्तर और बढ़ा, 11 जिलों में खराब, 5 में बहुत खराब की स्थिति, प्रदेश में पराली जलाने वाले 207 किसानों के चालान, 5 लाख रुपए से अधिक जुर्माना बुधवार को 54 जगह जले फसल अवशेष, प्रदेश सरकार प्रति एकड़ 20 क्विंटल पराली खरीदेगी
ये होंगी दिक्कतें-कोरोना केसों की संख्या बढ़ सकती है, सल्फरडाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ी, नवजात बच्चों को परेशानीप्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। पांच जिलों में यह वेरी पूअर की स्थिति में पहुंच गया है, जबकि 11 जिलाें में पूअर की श्रेणी में रहा। हिसार, पानीपत, जींद, चरखी दादरी और पानीपत में एक्यूआई 300 के पार आंका गया है। केवल एक मात्र मेवात जिले में एक्यूआई 109 आंका गया। कृषि विभाग ने फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के चालानों में तेजी बरती है।
अब तक 207 किसानों के चालान किए जा चुके हैं, इन पर 5.38 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है। औद्योगिक संस्थान भी चल रहे हैं और वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण में बढ़ोत्तरी कर रहा है। प्रदेश सरका ने किसानों को प्रति क्विंटल 50 रुपए पराली के देने का निर्णय लिया है, एक एकड़ में 20 क्विंटल की राशि यानी 1000 रुपए दिए जाएंगे। इसके लिए किसान को पोर्टल पर जानकारी अपलोड करनी होगी। कृषि विभाग ने बाकायदा फंड का प्राेविजन भी कर लिया है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अब नए जन्म लेने वाले बच्चों को प्रदूषण बढ़ने से दिक्कत हो सकती है, कोरोना के केस भी इससे बढ़ सकते हैं।
यूं जले तीन साल में फसल अवशेष
प्रदेश में पिछले तीन सालों में फसल अवशेष जलाने के मामलों में कमी आई है। जहां प्रदेश में वर्ष 2017 में 12800 जगह फसल अवशेष जलाए गए, वहीं 2018 में यह संख्या 10571 रही, जबकि वर्ष 2019 में यह 6862 रही। 25 सितंबर से 14 अक्टूबर तक प्रदेश में 1390 जगह फसल अवशेष जल चुके हैं।
25 सितंबर से 14 अक्टूबर तक फायर लॉकेशन
विभागीय जानकारी के अनुसार प्रदेश में पिछले छह दिनों में फसल अवशेष जलाने के मामले तेजी से बढ़े हैं। आठ सितंबर को 74, नौ को 101, 10 को 64, 11 को 111, 12 को 47 और 13 अक्टूबर को 72 जगह फसल अवशेष जलाए गए हैं। जबकि 25 सितंबर से अब तक प्रदेश में 1390 जगह फसल अवशेष जलाए जा चुके हैं।
प्रदेश में हर साल जलते हैं 60 लाख टन फसल अवशेष
अधिकारियों का कहना है कि गेहूं और धान सीजन में प्रदेश में करीब 60 लाख टन फसल अवशेष जलते हैं, हालांकि पिछले तीन सालों में यह दोगुना तक कम हो गए हैं। धान में अधिक फसल अवशेष जलते हैं। फसल अवशेष जलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।
यह बीमारी हो सकती है
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश गाडिया के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से सांस के रोगियों की दिक्कत बढ़ सकती है। नए जन्म लेने वाले बच्चों को सांस की दिक्कत हो सकती है, इससे कोरोना के केस बढ़ सकते हैं। क्रोनिक डिजीज वालों को दिक्कत हो सकती है। सबसे अधिक प्रदूषण गाड़ियां चलने से धुआं अधिक होना, जनरेटर चलना, स्ट्रोन क्रेशर के ट्रक आदि से धूल उड़ना, उद्योगों से धुएं में खतरनाक गैस निकलती हैं, फसल अवशेष जलाने से सल्फरडाई आक्साइड की मात्रा बढ़ रही है।