जीएसटी काउंसिल की बैठक:राज्यों के GST में कमी पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है, उन्हें मुआवजा देनें में जो कमी है, उसे मार्केट से पूरा किया जाएगा: वित्त मंत्री सभी राज्यों ने तारीफ की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 43वीं जीएसटी परिषद की बैठक के नतीजों पर कहा कि राज्यों की जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए कोई आम सहमति नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि देश के 21 राज्य ऑप्शन-वन से सहमत हैं, जबकि बाकी राज्य केंद्र के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। इस पर बाकी राज्यों से चर्चा के बाद फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि 50 साल के लिए लोन सुविधा की सभी राज्यों ने तारीफ की।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी मुआवजे पर कोई विवाद नहीं है, केवल राय का अंतर है। उन्होंने कहा कि सेस से हुआ कलेक्शन राज्यों को मुआवजा देने के लिए काफी नहीं है। इसकी कमी को मार्केट से पैसा लेकर पूरा किया जाएगा। बता दें कि सोमवार को निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्य के वित्त मंत्रियों में शामिल काउंसिल ने तीसरी बार इस मद्दे पर चर्चा की गई।
निर्मला सीतारमण ने सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उनके साथ वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद रहे। इस बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी थे। साथ में केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में थे।
केंद्र सरकार से राज्यों की मांग
गैर-बीजेपी शासित राज्य दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु केंद्र सरकार के ऊपर लगातार GST मुआवजे का भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं। इन राज्यों का कहना है कि जीएसटी को लाने वाले संविधान संशोधन के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों को मुआवजा देने के लिए बाध्य है। इन राज्यों की मांग है कि इस मामले में आम सहमति बनाने के लिये मंत्रिस्तरीय समिति का गठन होना चाहिए।
केंद्र ने सुझाए थे दो विकल्प
अगस्त माह में केंद्र सरकार ने राज्यों को इस संकट से निपटने के लिए दो विकल्प दिये थे। पहला विकल्प था कि वे 97,000 करोड़ रुपया एक खास विंडो से उधार लें, जिसकी व्यवस्था रिजर्व बैंक करेगा। दूसरा विकल्प यह है कि वे पूरे 2.35 लाख करोड़ रुपए की रकम को उधार लें। बता दें कि राज्यों का करीब 2.35 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी मुआवजा बकाया है। केंद्र सरकार का यह गणित कि इसमें से करीब 97,000 करोड़ रुपए का नुकसान ही जीएसटी लागू होने की वजह से है। साथ ही बाकी करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान कोरोना और लॉकडाउन की वजह से है।