भूमणशाह चौक पर किसानों का डेरा:चौक पर बैठे किसानों ने कहा- हम यहीं पर डटे रहेंगे, पुलिस के साथ झड़प के बाद भी नहीं लौटे, चौक पर ही शुरू किया धरना किसान नेता बोले-डिप्टी सीएम, बिजली मंत्री भाजपा से इस्तीफा दंे और उनके समर्थन में आएंकृषि बिल के विरोध में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और बिजली मंत्री रणजीत सिंह की कोठी का घेराव करने पहुंचे प्रदेश भर के हजारों किसानों और पुलिस के बीच दोपहर तीन बजे से लेकर शाम 6 बजे तक बैरिकेडिंग पार करने को लेकर 3 घंटे तक जोर अजमाइश चलती रही। जिसका किसानों के प्रदर्शन में घुसे शरारती किस्म के लोगों ने भी फायदा उठाकर बवाल करवाने की साजिश रची थी, मगर जिला प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस के जवानों के संयम ने उनके इरादे कामयाब नहीं होने दिए।
तीन घंटे तक चले संघर्ष में चार बार बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया गया। मगर पुलिस फिर भी उनके आगे डटी रही और मिन्नतें करके उन्हें मनाती रही। इसमें सबसे बड़ा योगदान रोष प्रदर्शन का आयोजन करने वाले किसान नेताओं का रहा। उन्होंने शरारती तत्वों का बिल्कुल भी साथ नहीं दिया और खुद आगे खड़े होकर विरोध किया। यही बड़ी वजह रही कि किसानों का आंदोलन उग्र होने से बच गया और शरारती तत्व को पुलिस खदेड़ने में कामयाब हो गई।
हालांकि किसान भी इस बात की जिद पर अड़े रहे कि वे हर हालत में डिप्टी सीएम और बिजली मंत्री के आवास तक जाएंगे। मगर पुलिस का विरोध करके नहीं। पुलिस उन्हें खुद लेकर जाएगी। इसी जिद को लेकर किसान संगठन के पदाधिकारी बाबा भूमणशाह चौक पर ही देर शाम 6 बजे के बाद दरी बिछाकर धरने पर बैठ गए। किसान मंच अध्यक्ष प्रहलाद ने कहा कि वे हर हालत में कोठी का घेराव करके आएंगे।
चौकसी: सीसीटीवी में कैदी होती रही चौक पर घेराव की वीडियो
बाबा भूमण शाह चौक के चारों ओर लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद होती रही घेराव की वीडियो, डिप्टी सीएम की कोठी से 100 मीटर दूर ही किसानों को रोक लिया था पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन में बवाल करने वाले शरारती किस्म के लोगों की पहचान के लिए जिला प्रशासन ने वीडियोग्राफी का प्रबंध किया हुआ था। इसके अलावा बाबा भूमणशाह चौक के चारों ओर लगे सीसीटीवी कैमरे में प्रदर्शन और झड़प की पूरी तस्वीर कैद होती रही। पुलिस ने स्पेशली किसानों को रोकने के लिए डिप्टी सीएम की कोठी से 100 मीटर दूर बाबा भूमणशाह चौक पर सुरक्षा चक्र बनाते हुए बैरिकेडिंग की थी। वहीं पर पुलिस के साथ झड़प हुई और बैरिकेडिंग तोड़ने के प्रयास हुए थे। इसके अलावा पुलिस ने डिप्टी सीएम और बिजली मंत्री की कोठी को जाने वाले सारे रास्ते पूरी तरह सील कर रखे है। हालांकि कोठी में ना तो डिप्टी सीएम और उनका परिवार था और ना ही बिजली मंत्री सिरसा में थे।
टकराव: पुलिस के साथ टकराव के इरादे से लठ लेकर आए थे कुछ लोग, पुलिस ने दिखाई समझदारी
मंगलवार की सुबह 9 बजे से सीडीएलयू के पास स्थित दशहरा ग्राउंड में प्रदेश भर से 17 संगठनों के बैनर तले हजारों किसान एकत्रित हुए थे । दोपहर 12 बजे 3 हजार से अधिक किसान पहुंच चुके थे। दोपहर तीन बजे तक किसान घेराव में शामिल होने के लिए आते रहे। खास बात यह थी कि किसानों के बीच में ही कुछ लोग पुलिस से टकराव करके बवाल करने के इरादे से आए थे। उनके हाथों में बड़े बड़े लठ थे। उन्होंने जाते ही बैरिेकेडस पर लठ बरसाने शुरू कर दिए। मगर पुलिस ने अपना संयम बरकरार रखा और उन्हें शांत करने की कोशिश में लगे रहे।
संयम: डीसी-एसपी की सांझी रणनीति आई काम
किसानों के घेराव को लेकर जिला प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए थे। पुलिस ने कुल 12 कंपनी तैनात कर रखी थी। चार डीएसपी मोर्चा संभाले हुए थे। किसानों का घेराव बवाल में तब्दील ना हो जाए। इसके लिए डीसी आरसी बिढान ने पहले से ही रणनीति बना ली थी। डीसी एसपी ने मिलकर पहले किसान नेताओं से बातचीत करके उन्हें शांतिपूवर्क घेराव करने के लिए मनाया। उसके बाद पूरी स्थिति को कंट्रोल करते हुए कोठी से 100 मीटर पहले ही नाकाबंदी करके किसानों को रोका। किसाी तरीेके से माहौल ना बिगड़े इसके लिए पुलिस के जवानों को संयम बरतने के आदेश दिए थे।
योगेंद्र यादव की नजर से समझिए तीनों कृषि बिल
योगेंद्र यादव ने किसानों के प्रदर्शन में शामिल होकर सरकार का विरोध किया। घेराव से पहले बातचीत में उन्होंने तीनों कानून को अपना नया नाम दिया। 1. पहला कानून जिसका नाम होना चाहिए जमाखोरी खोलो कानून। इसके तहत जितना मर्जी जमा कर लो। इस पर कोई लिमिट नहीं होगी। इससे स्टॉकिस्ट को सीधा लाभ होगा। थोक के व्यापारी को लाभ होगा। 2. दूसरा कानून जिसे कांट्रेक्ट खेती कानून कहा जा रहा है। उसे योगेंद्र ने बंधुआ किसान कानून का नया नाम दिया है। इसके तहत किसान कांट्रेक्ट करके किसान बंधुआ हो जाएगा और कंपनी को अगर बाजार में रेट महंगे मिले तो किसान से सस्ता खरीदेगी। जबकि अगर बाजार में सस्ता मिलेगा तो कंपनी किसान का माल घटिया बताएगी और औने-पौने दाम पर मंडी से खरीद लेगी। 3. तीसरा कानून एपीएमसी को बाइपास करने वाला है। इसका नया नाम योगेंद्र यादव ने मंडी तोड़ा एमएसपी छोड़ा दिया है। इसका नतीजा यह होगा कि सरकारी मंडी के बाहर प्राइवेट मंडी भी आएगी। पहले साल यह प्राइवेट मंडी 100-50 रुपये अतिरिक्त दे देगी।
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सुबह 9 बजे से 3 बजे तक चलती रही स्पीच
मंगलवार सुबह 9 बजे दशहरा ग्राउंड में किसान एकत्रित होने लगे। यहां पर किसान नेताओं के अलावा स्वराज इंडिया मिशन के संस्थापक योगेंद्र भी पहुंचे। दोपहर तीन बजे तक किसान नेता भाषण करते रहे और बिलों को किसानों के लिए काले कानून बता विरोध जताते रहे।
भाषण देने लगे तो गोकुल सेतिया का हुआ विरोध
डिप्टी सीएम की कोठी से 400 मीटर दूर दशहरा ग्राउंड में किसानों के समर्थन में पहुंचे सिरसा विधानसभा सीट से आजाद चुनाव लड़ चुके गोकुल सेतिया ने जब माइक हाथ में लेकर खुद को राजनेता बताया और स्पीच शुरू की तो किसानों विरोध कर दिया।
3 बजे किया डिप्टी सीएम की कोठी की तरफ कूच
भाषण बाजी खत्म होने के बाद सभी किसान दोपहर तीन बजे डिप्टी सीएम की कोठी की ओर कूच कर गए। सवा 3 बजे बाबा भूमणशाह चौक पहुंचे। वहां पुलिस ने पहले से ही रास्ता सील करके बैरिकेडिंग लगा रखी थी। किसानों से आगे चल रहे कुछ लोगों ने जाते ही बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया।
4 बजे गोकुल बैरिकेडिंग से कूदे फिर हुई झड़प
जब शाम को 4 बजे किसान पुलिस से बैरिकेडिंग खोलने की अपील कर रहे थे। उसी समय गोकुल अंदर आ गए और वह बैरिकेडिंग के ऊपर चढ़ दूसरी तरफ कूदने लगा। वहां पुलिस के साथ झड़प हुई। पुलिस बैरिकेडिंग वापस लगा रही थीप्रदर्शनकारी उसे उखाड़ रहे थे।
चलाई वाटर कैनन और दागे आंसू गैस के गोले
सवा 4 बजे के करीब जब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच स्थिति अनकंट्रोल होने लगी तो किसी ने पुलिस की ओर पत्थर फैंकने शुरू किए। इसके बाद पुलिस ने मार्चो संभाला और भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। पानी की बौछारे चलाई।
शाम को 5 बजे के बाद घटने लगी किसानों की संख्या
शाम को 5 बजे तक किसान पुलिस के साथ कोठी का घेराव करने के लिए जोर अजामाइश करते रहे। जब पुलिस की नाकाबंदी पार नहीं हुई तो 5 बजे के बाद किसान वापस अपने घर लौटने लगे। शाम को 6 बजे तक आधे से अधिक किसान वापस चले गए। संख्या कम होने पर किसानों ने टकराव की स्थिति को छोड़ दिया। शाम को 7 बजे केवल 100 से 150 किसान ही बचे थे। इसके बाद किसानों ने वहीं पर लंगर मंगवा लिया और चौक पर ही धरना लगाकर बैठ गए।