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पेड़ काटकर गाड़ी में कर रहे थे लोड, वन विभाग की टीम पहुंची तो गाड़ी छोड़कर तस्कर हुए फरार

कलेसर जंगल से खैर के पेड़ काटकर गाड़ी में कर रहे थे लोड, वन विभाग की टीम पहुंची तो गाड़ी छोड़कर तस्कर हुए फरार मौके पर पकड़ी गई गाड़ी कलेसर निवासी इंतजार के नाम पर, पुलिस ने रेड की तो आरोपी बाइक छोड़ भागा
तस्करों ने खैर के 6 पेड़ों को काटकर कैंटर में किया था लोड, टीम ने बाइक व कैंटर को भी कब्जे में लियाखैर के पेड़ों पर तस्करों की कुल्हाड़ी नहीं रुक रही। खैर की लकड़ी की तस्करी जारी है। वन विभाग के कोट ब्लॉक से चोरी की गई खैर की लकड़ी से भरे कैंटर को पकड़ा। इस दौरान तस्कर भागने में कामयाब हो गए। कैंटर में 27 लकड़ी के पीस भरे हुए हैं। वन विभाग की टीम ने कैंटर को सीज कर मामला जांच के लिए पुलिस को सौंप दिया है। वन रक्षक रामकुमार ने छछरौली पुलिस को शिकायत दी है कि रात 3 बजे उनके पास सूचना है कि कुछ लोग जंगल से खैर के पेड़ काट रहे हैं और वे अपने साथ ट्रैक्टर लेकर जंगल में घुसे हुए हैं।

इस पर टीम ने तस्करों की तलाश शुरू कर दी। मैहरनीवाला जंगल के एरिया में कुछ लोग घर के पेड़ काटकर लोड करते मिले। टीम को देखकर यह लोग गाड़ी वहीं पर छोड़ कर फरार हो गए। जांच में पाया तस्करों ने वहां से 6 पेड़ खैर के काटे हुए थे। इन 6 पेड़ को काटकर कैंटर में लोड किया हुआ था। जांच में सामने यह आया कि यह कैंटर कलेसर निवासी इंतजार का है। उसकी तलाश में पुलिस ने दिन में खिजराबाद में एक जगह रेड की तो वह बाइक छोड़कर वहां से फरार हो गया।

वन विभाग की टीम ने उसकी बाइक को भी कब्जे में लिया है। वन विभाग की टीम के अनुसार रात को प्यार के पेड़ काटने में नजीम, रिजवान, तालिब, अफला, गालिब, इरशाद, काला, हसीब, मेहंदा, इरशाद और शमशाद थे। बताया जा रहा है इन लोगों में ज्यादातर ऐसे हैं जो कि पहले भी खैर तस्करी के मामले में शामिल रहे हैं।

बाजार में 5 हजार प्रति क्विंटल बिकता है खैर

खैर की बाजार में खासी डिमांड है। पेड़ को छीलकर इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तैयार कर दिया जाता है, जिनकी बाजार में करीब 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कीमत मिल जाती है। इन्हीं टुकड़ों को उबालकर उनका रस जमा लिया जाता है, जो कत्थे के तौर पर बाजार में बिकता है। बाजार में कत्थे की डिमांड के हिसाब से यह भाव चढ़ते-उतरते भी रहते हैं। खैर की लकड़ी काफी अच्छी मानी जाती है, जिनसे खेती की औजार व घर के साज-सामान भी बनाए जाते हैं।

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