चिंता की बात:यमुनानगर, दादरी और फरीदाबाद में खराब हालत में प्रदूषण का स्तर, 18 जिलों में मध्यम स्तर तक एक्यूआई, 6 माह पहले बेहतर थे हालात छह माह पहले 100 से नीचे रहने वाला एक्यूआई, अब खतरनाक स्तर की ओर, 206 जगह फॉयर लोकेशन, सांस रोगियों को दिक्कत
पिछले साल के मुकाबले हरियाणा में छह गुना अधिक फॉयर लोकेशनप्रदेश में प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ने लगा है। यमुनानगर, चरखी दादरी और फरीदाबाद में यह पूअर स्तर तक पहुंच गया है, जबकि 18 जिलों में यह मध्यम स्तर तक जा पहुंचा है। एक मात्र पंचकूला में एक्यूआई 69 तक है। जहां इसी साल 5 अप्रैल को प्रदेश में एक्यूआई अधिकांश जिलों में 100 से नीचे था, यानी वर्ष 1970 में जिस तरह का पर्यावरण होता था, ठीक वैसी स्थिति लॉकडाउन से लौट आई थी।
अब 2 अक्टूबर को यह दो से तीन गुना तक बढ़ चुका है। यह अगले कुछ दिनों में और बढ़ सकता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार पड़ोसी राज्य पंजाब में फॉयर लोकेशन 1424 तक हैं, एक अक्टूबर को पंजाब में यह 289 जगह रही। पिछले साल के मुकाबले हरियाणा में छह गुना अधिक फॉयर लोकेशन हैं। चिंता की बात यह है कि कोरोना कॉल में यदि प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इससे सांस के रोगियों को दिक्कत हो सकती है।पिछले साल 32 फॉयर लोकेशन थी, अब 206 पहुंची
आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वर्ष 2019 के मुकाबले इस साल फॉयर लोकेशन छह गुना अधिक हो चुकी हैं। जहां वर्ष 2019 में 25 सितंबर से एक अक्टूबर तक प्रदेश में 32 फॉयर लोकेशन थी, अब यह आंकड़ा बढ़कर 206 तक जा पहुंचा है। 30 सितंबर को 55 व एक अक्टूबर को 31 जगह फॉयर लोकेशन रही।
खतरनाक गैसों से सांस लेने में होती है दिक्कत
विशेषज्ञों के अनुसार जब प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है तो कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है। आक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत हो जाती है। सबसे बड़ी दिक्कत सांस और त्वचा के रोगियों को होती है, दृश्यता भी कम हो जाती है।
कृषि विभाग चलाएगा जागरुकता अभियान
कृषि विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जागरूता अभियान चला रहा है। वर्ष 2018 से 2019 में 35 फीसदी कम हुई है। गेहूं सीजन में 47 फीसदी कम हुई है। अब इस साल कोरोना का कॉल भी है। फसल अवशेष जलाने से धरती को नुकसान होता है। -एस नारायणन, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरियाणा।