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राजकोट में 4.1 तीव्रता के भूकंप के झटके, केंद्र धरती से 14.5 किलोमीटर नीचे राजकोट

गुजरात में हिली धरती:राजकोट में 4.1 तीव्रता के भूकंप के झटके, केंद्र धरती से 14.5 किलोमीटर नीचे राजकोट पुलिस ने कहा कि भूकंप की वजह से किसी भी तरह के नुकसान की रिपोर्ट नहीं मिली है
भूकंप का एपिसेंटर गांधीनगर में स्थित है, जो जिले के उपलेटा शहर से 25 किलोमीटर पूर्व-पूर्व में स्थित थागुजरात के राजकोट जिले में मंगलवार को 4.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) ने बताया कि भूकंप 3 बजकर 49 मिनट पर आया। किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं मिली है।

आईएसआर के मुताबिक, भूकंप का एपिसेंटर गांधीनगर में स्थित है, जो जिले के उपलेटा शहर से 25 किलोमीटर पूर्व-पूर्व में स्थित था। भूकंप का केंद्र धरती से 14.5 किलोमीटर नीचे था। राजकोट पुलिस ने कहा कि भूकंप की वजह से किसी भी तरह के नुकसान की रिपोर्ट नहीं मिली है।

हाल के दिनों में देश के कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। शुक्रवार को लद्दाख और लेह में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सेंटर फॉस सेस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.4 मैग्निट्यूड मापी गई थी। इसका केंद्र लेह से 129 किमी. दूर और जमीन से करीब 10 किमी. अंदर था।

भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगहों पर खतरा

भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। जोन-5 में कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं।

मध्य भारत कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। जबकि, दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं।

ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

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