मानसून के 97 दिन में 14% कम बरसा पानी, ये सामान्य की श्रेणी में; रुक-रुक कर हुई बारिश से यमुना में हथिनीकुंड बैराज पर अधिकतम पानी 56 हजार क्यूसिक रहा, ये अब तक का सबसे कम मानसून की पिछली बार से हफ्तेभर पहले व बिना बरसे वापसी।
10 साल में दूसरी सबसे अच्छी बारिश, लेकिन झड़ी नहीं लगी।पिछले 10 साल में दूसरी सबसे अधिक बारिश वाले मानसून की मंगलवार से विदाई शुरू हो गई। 2 दिन में यह पूरे प्रदेश से वापसी कर जाएगा। पिछली बार से यह हफ्तेभर पहले लौट गया। जाते समय बरसा भी नहीं। पिछले साल यह 23 जून से 7 अक्टूबर तक रहा था। इस बार 24 जून को दस्तक दी व 97 दिन डटा रहा, लेकिन बारिश की झड़ी नहीं लगी।
यमुना नदी में हथनीकुंड बैराज पर पानी अधिकतम 56 हजार क्यूसिक तक पहुंचा। यह मानसून में अब तक का सबसे कम है। 2019 में 8 लाख 28 हजार क्यूसिक पहुंचा था, जो रिकॉर्ड है। 1 जून से शुरू हुए मानसून सीजन में 29 सितंबर तक 438.2 मिमी. के मुकाबले 376.1 मिमी. पानी बरसा। यानी 14% कम। हालांकि, ये सामान्य की श्रेणी में आता है।
खास बात: जहां से दस्तक दी, वहीं सबसे कम बरसा
मानसून ने सबसे पहले पंचकूला में दस्तक दी थी। यहीं सबसे कम बरसा। यहां 65% कमी रही।
सिरसा में सबसे ज्यादा बारिश हुई। यहां 43% अधिक बारिश हुई है।
करनाल में सबसे ज्यादा 705.4 मिमी. पानी बरसा।जुलाई में अच्छा बरसा, सितंबर में निराश किया
मानसून सीजन में 9 पश्चिमी विक्षोभ आए। ये कम ऊंचाई के थे। इससे मानसून की सक्रियता लगातार बनी रही। जून में 10 साल में चौथी सबसे अधिक, जुलाई में 10 साल में सबसे अधिक, अगस्त में 7 साल में सबसे अधिक बारिश हुई। जबकि आखिरी महीने सितंबर में 10 साल में सबसे कम बारिश हुई है।30 साल में 12 बार सामान्य या ज्यादा वर्षा
साल 1990 के बाद 12 बार सामान्य या इससे अधिक बारिश हुई। 17 बार सामान्य से कम बारिश हुई। 1995 में 83% अधिक बारिश हुई थी, तब बाढ़ आई थी। 1998 में 39.6% व 2010 में 21% अधिक बारिश हुई।
फायदे: फसलों और जलस्तर में
धान उत्पादन 3 क्विंटल तक बढ़ा: पिछली बार प्रति एकड़ 35 क्विंटल तक मोटे धान का उत्पादन हुआ था, इस बार यह 38 क्विंटल तक पहुंचा है।
आधा मीटर बढ़ सकता है भू-जलस्तर: भू-जल वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार रुक-रुक कर बारिश हुई। इससे भू-जलस्तर में आधा मीटर तक सुधार हो सकता है। फिलहाल यह औसतन 21 मीटर है।