खेदड़ थर्मल पावर प्लांट की यूनिट टू की टरबाइन का राेटर हुआ खराब, 500 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप, लोकल इंजीनियर ठीक नहीं कर पाए तो बुलाने पड़ सकते हैं चाइनीज इंजीनियर 19 सितंबर को यूनिट को लाइटअप करते समय आई परेशानी, अधिकारियों का कहना-वाइब्रेशन निर्धारित क्षमता से अधिक हो गया था
करार खत्म होने के बाद प्लांट से वापस भेजे जा चुके चाइनीज इंजीनियरखेदड़ के राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट की यूनिट टू के टरबाइन में बड़ी खराबी आ गई है। इसके कारण इस यूनिट से 500 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गया है। फिलहाल 500 मेगावॉट की क्षमता वाली केवल एक ही यूनिट चालू है। हालांकि टरबाइन में खराबी के पीछे की वजह का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। अब इससे बड़ी परेशानी इसलिए है कि थर्मल में जिन इंजीनियर्स के सहारे दाेनाें यूनिट से बिजली उत्पादन हाे रहा था वे इंजीनियर चाइनीज थे और उन्हें वापस चाइना भेजा जा चुका है।
थर्मल प्रबंधन ने भारत व चाइना के बीच सीमा विवाद के बाद उनका मेंटीनेंस का करार ताेड़ दिया था। अब बड़ी दिक्कत यह है कि इसे ठीक करने के अब चाइनीज इंजीनियर्स काे दाेबारा बुलाना पड़ सकता है। इसका ज्यादा असर बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। लेकिन एक यूनिट बंद होने से प्रदेश की निर्भरता अन्य प्राइवेट बिजली कंपनियों पर बढ़ जाएगी।
समझिए लाइटअप करते समय कैसे आई खराबी
थर्मल से जुड़े अधिकारियाें का कहना है कि प्लांट की यूनिट टू में 19 सितंबर को बिजली उत्पादन शुरू करने के लिए इसे लाइटअप किया गया था। यूनिट चालू करने से पहले लाइटअप की प्रक्रिया हाेती है, इसके बाद ही इस पर लाेड डाला जाता है। लाइटअप के दौरान इसकी टरबाइन में तकनीकी खामी आ गई व इसका रोटर नामक उपकरण खराब हो गया। यूनिट टू को लाइटअप करते समय इसके टरबाइन में वाइब्रेशन निर्धारित क्षमता से अधिक हो गया था। ऐसे में यूनिट को लोड पर नहीं लिया जा सकता। थर्मल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिस रात ये खराबी आई उस वक्त जिम्मेदार माैके पर नहीं थे। बाहर तेज आवाज आने पर उच्च अधिकारियाें ने इसकी सूचना दी। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी माैके पर नहीं पहुंचे। अगर तकनीकी खराबी के शुरुआत में ही इसे बंद कर दिया जाता ताे इतना बड़ा नुकसान नहीं हाेता। टरबाइन के रोटर में जब तक खराबी रहेगी यानी इसे ठीक नहीं किया जाएगा ताे आगामी कई दिनाें तक यह यूनिट ठप रहेगी। इसका असर पब्लिक तक जा सकता है।
ओवर हिलिंग पर करीब 2 करोड़ आएगी लागत
खेदड़ प्लांट की यूनिट टू के टरबाइन में आई खराबी को ठीक करने में करोड़ों रुपये खर्च हाे सकते हैं। वहीं यदि भारतीय इंजीनियरों से टरबाइन में आई खराबी ठीक नहीं हुई तो इसके लिए चाइनीज इंजीनियर भी बुलाने पड़ सकते हैं। पिछले दिनों ही जब भारतीय सीमा पर चीन के साथ विवाद उत्पन्न हुआ तो खेदड़ थर्मल में रह रहे चाइनीज इंजीनियरों को हरियाणा सरकार द्वारा करार खत्म करने के चलते वापिस भेज दिया गया था। वहीं यह भी सामने आया है कि यूनिट टू के टरबाइन की ओवर हिलिंग (सर्विस) भी करवानी पड़ेगी। इस पर करीब 2 करोड़ रुपयों की लागत आएगी।
बायलर ठंडा होने के बाद पता चलेगा क्या खराबी है: एसई
प्लांट में इस तरह की खराबी आती रहती है। टरबाइन में कोई बड़ी खराबी नहीं है। बायलर के ठंडा होने के बाद ही मालूम होगा कि क्या खराबी है। पहले ताे प्लांट के इंजीनियर ही इसे दुरुस्त करेंगे। यदि नहीं हुआ तो फिर किसी विकल्प पर विचार किया जाएगा। टरबाइन की ओवर हिलिंग पेंडिंग है इसे जल्द कराया जाएगा। 4-5 दिन में खराबी ठीक हो जाएगी।-रमन सोबती, एसई, खेदड़ पावर प्लांट, यूनिट टू इंचार्ज।
इन चार सर्किट को जाती है खेदड़ प्लांट से बिजली
राजीव गांधी खेदड़ पावर प्लांट सें एचवीपीएनएल को बिजली आपूर्ति की जाती है। इसमें दो सर्किट हिसार बरवाला के गांव किरोड़ी स्थित 400 केवीए विद्युत संस्थान पर हैं। इसके अलावा एक सर्किट सिरसा के गांव नुईयावाली 400 केवीए, पावर ग्रिड काॅरपोरेशन ऑफ इंडिया के फतेहाबाद के गांव मताना में बने एक सर्किट को 400 केवीए बिजलीघर को सप्लाई की जाती है। खेदड़ की ईकाई के ठप होने से बिजली आपूर्ति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन दूसरी अन्य बिजली कंपनियों पर निर्भरता बढ़ जाएगी।